रमज़ान का रोज़ा रखने की फ़ज़ीलत उसके सभी दिनों के रोज़े रखने के द्वारा प्राप्त होती है
रमज़ान के महीने के आगमन की बधाई देना
नमाज़ के अंदर मुसहफ (क़ुरआन) से देखकर पढ़ने का हुक्म
यदि कोई व्यक्ति हुक्म या समय का ज्ञान न होने के कारण रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों का उपयोग कर ले
आदमी का रोज़े की हालत में अपनी पत्नी को गले लगाना
रोज़े के फ़िद्या में खाना खिलाने के बदले पैसा निकालना जायज़ नहीं है
उसने सोचा कि क़ज़ा का रोज़ा स्वैच्छिक रोज़े की तरह है जिसको तोड़ना जायज़ है
कोरोना महामारी के प्रति एक मुसलमान के लिए क्या करना धर्मसंगत हैॽ
जिस व्यक्ति पर रमज़ान के रोज़े हों, जिनकी संख्या उसे याद न हो
उसने दो साल रोज़े नहीं रखे और अब वह क़ज़ा करने में असक्षम है, तो उसे क्या करना चाहिए?
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