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क्या गैर-मुस्लिम अनाथों का भरण-पोषण करना जायज है?

प्रश्न: 100055

क्या गैर-मुस्लिम अनाथों का भरण-पोषण किया जा सकता है, जिनकी माताएँ ईसाई, हिंदू, बौद्ध वग़ैरह हैंॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

ग़ैर-मुस्लिम अनाथों का भरण-पोषण करना दो शर्तों के साथ जायज़ है :

पहली शर्त : यह मुस्लिम अनाथों के भरण-पोषण को प्रभावित न करे।

दूसरी शर्त : वे अनाथ मुसलमानों की देखभाल और देखरेख में हों और उनके बीच हों। यदि वे अपने गैर-मुस्लिम परिवारों के पास हैं, या गैर-मुस्लिम देशों में अपने संस्थानों और केंद्रों में हैं : तो उनका भरण-पोषण करना जायज़ नहीं है।

शैख़ अब्दुल्लाह बिन जिबरीन – रहिमहुल्लाह – से पूछा गया :

यह आपके लिए कोई रहस्य नहीं है कि अनाथ का भरण-पोषण करने वाले का अपार अज्र-व-सवाब है। कुछ धर्मार्थ समितियाँ या संगठन हैं जो विभिन्न देशों में कुछ अनाथों का भरण-पोषण करने में एक महान भूमिका निभाते हैं। उस समाज (देश) में मुसलमान, ईसाई और अन्य धर्मों के लोग पाए जाते हैं। तो क्या निम्नलिखित उद्देश्यों और हितों को प्राप्त करने के लिए ईसाई अनाथों का भरण-पोषण करना अनुमेय है :

1- उन्हें इस्लाम की ओर आमंत्रित करना।

2- उन अनाथों के रिश्तेदारों को प्रभावित करने और फिर उनके इस्लाम स्वीकारने में योगदान देना।

ध्यान में रहे कि मुसलमान अनाथ भी पाए जाते हैं, जिनमें से कुछ के भरण-पोषण का प्रबंध हो चुका, जबकि कुछ अन्य के भरण-पोषण का अभी तक प्रबंध नहीं है।

तो उन्होंने जवाब दिया :

“ईसाई अनाथों का भरण-पोषण करना जायज़ नहीं है, यदि वे अपने देश में हैं और ईसाइयों के बीच रहते हैं; क्योंकि आम तौर पर वे बड़े होने के बाद ईसाइयों के बीच रहेंगे, और वे अपने धर्म और अपने कुफ़्र पर बाक़ी रहेंगे। तो इस तरह जिसने उनका भरण-पोषण किया है, उसने दरअसल काफ़िरों की मदद की और कुफ़्र के बाक़ी रहने और उसके सशक्तीकरण पर उनका सहयोग किया। इसके विपरीत यदि ईसाई बच्चे कुफ़्र की भूमि से बाहर लाए गए हैं और मुसलमानों के बीच बस गए हैं और ईसाई धर्म के लोगों से उनका संबंध कट चुका है : तो ऐसी स्थिति में वे उन लोगों के धर्म पर प्रशिक्षित होंगे, जिनके पास उनका पोषण होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर बच्चा फ़ितरत (प्राकृतिक मानव स्वभाव) पर पैदा होता है। वह मात्र पालन-पोषण के कारण बदल जाता है। इसके अलावा, अगर कुछ देशों में मुस्लिम अनाथ पाए जाते हैं जिन्हें समर्थन की आवश्यकता है : तो वे ईसाई बच्चों की तुलना में, तथा राफिज़ा, सूफिया,  इबाज़िया आदि जैसे बिदअतियों के बच्चों की तुलना में देखभाल और भरण-पोषण के अधिक हक़दार हैं। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है। तथा अल्लाह मुहम्मद और उनके परिवार और साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।”

फ़तवा संख्या : (7907) शैख की वेबसाइट से।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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