यदि मुझे नमाज़ के अंदर याद आ जाए कि मोज़े पर मसह करने की अवधि समाप्त हो गई है, तो मैं क्या करूं ॽ क्या मैं नमाज़ से बाहर निकल जाऊँ और क्या यदि मैं वुज़ू की हालत में मोज़े के नीचे जुर्राब पहन लूँ फिर मैं मोज़ा उतार दूँ और जुर्राब पहने रहूँ तो क्या मेरा वुज़ू टूट जायेगा या मैं तहारत पर बाक़ी रहूंगा ॽ
यदि मसह की अवधि समाप्त हो जाए या ऊपर का मोज़ा निकाल दे तो क्या वुज़ू टूट जायेगा ॽ
प्रश्न: 100112
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सर्व प्रथम :
यदि मोज़ों पर मसह की अवधि समाप्त हो जाए और आप तहारत की हालत में हों,तो राजेह कथन के अनुसार जिसे विद्वानों के एक समूह ने चयन किया है, जिनमें इब्ने हज़्म और शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह शामिल हैं, आपकी तहारत समाप्त नहीं होगी ; क्योंकि तहारत के टूटने की कोई दलील नहीं है, बल्कि तहारत (पवित्रता) सर्वज्ञात वुज़ू तोड़ने वाली चीज़ों से ही समाप्त होती है जैसे हवा खारिज होना। तथा प्रश्न संख्या (69829) देखिए।
इस आधार पर,यदि अवधि समाप्त हो गई और आप नमाज़ के अंदर हैं,तो आप नमाज़ को जारी रखें और जितनी चाहें नमाज़ पढ़ें यहाँ तक कि आप का वुज़ू टूट जाए।
दूसरा :
यदि इंसान मोज़ा या जुर्राब को उन पर मसह करने के बाद उतार दे तो विद्वानों के सही कथन के अनुसार आपकी तहारत अमान्य नहीं होगी, क्योंकि जब आदमी ने मोज़े पर मसह कर लिया तो शरई दलील के तक़ाज़े के अनुसार उसकी तहारत मुकम्मल हो गई। फिर यदि उसने उसे निकाल दिया तो शरई प्रमाण के अनुसार साबित यह तहारत किसी दूसरे शरई प्रमाण के द्वारा ही समाप्त हो सकती है। और इस बात पर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है कि मसह किए गए मोज़े या जुर्राब को निकाल देना वुज़ू को तोड़ देता है। इस आधार पर उसका वुज़ू बाक़ी रहेगा,और इसी को शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या और विद्वानों के एक समूह ने चयन किया है। देखिए : “मजमूओ फतावा शैखिल इस्लाम इब्ने तैमिय्या” (21/179, 215) तथा मजमूओ “फतावा व रसाईल शैख इब्ने उसैमीन” (11/179).
मोज़ा उतारने पर मसह का समाप्त होना निष्कर्षित होता है,अर्थात् उसके लिए उसे पुनः पहनने और उसके ऊपर मसह करने की अनुमति नहीं है यहाँ तक कि वह मुकम्मल वुज़ू कर ले जिसमें अपने पैरों को धुला हो।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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