क्या मुझे ठहर जाना चाहिए और इस बात की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि मेरे बच्चे पैदा हूँ, क्योंकि मुझे डर है कि अल्लाह तआला मुझे जो बच्चे देगा मैं उन के लिए परिवार में एक इस्लामी वातावरण (माहौल) उपलब्ध नहीं कर सकूंगा ? मेरे ऊपर पिछले ऋण हैं जिन्हें मैं चुका रहा हूँ, उस पर जो सूद बढ़ता है वह अतिरिक्त है। मैं सोचता हूँ कि मेरे लिए उपयुक्त यह है कि बच्चे पैदा करने से रूका रहूँ यहाँ तक कि मैं क़र्ज़ का भुगतान कर दूँ। तो इस विषय में आप के क्या विचार हैं ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
सर्वशक्तिमान अल्लाह का फरमान है : “और धरती पर जितने भीजीव हैं उन की आजीविका अल्लाह पर है।” (सूरत हूद : 6)
तथा सर्वशक्तिमान अल्लाह फरमाता है : “और बहुत से जीव प्राणीहैं जो अपनी रोज़ी लादे नहीं फिरते, उन सब को और तुम्हें भी अल्लाह तआला ही रोज़ी देताहै, वह बड़ा सुनने वाला जानने वाला है।” (सूरतुल अनकबूत : 60)
तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : “यक़ीनन अल्लाह तआला तो ख़ुदरोज़ी देने वाला, ताक़त वाला और बलवान है।” (सूरतुज़ ज़ारियात : 58)
तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : “अत: तुम अल्लाह तआला से हीरोज़ी मांगो और उसी की इबादत करो और उसी का शुक्रिया अदा करो, उसी की तरफ तुम लौटायेजाओ गे।” (सूरतुल अनकबूत : 17)
तथा अल्लाह तआला ने जाहिलियत के समय काल के लोगों की निन्दाकी है जो गरीबी के डर से अपने बच्चों को मार डालते थे, और उन के कर्तूत (कृत्य) सेरोका है, अल्लाह तआला ने फरमाया : “और गरीबी के डर से अपने बच्चों को क़त्ल न करो!उन को और तुम को हम ही रोज़ी देते हैं। यक़ीनन उन का क़त्ल करना बहुत बड़ा पाप है।”(सूरतुल इस्रा : 31)
और अल्लाह तआला ने अपने बन्दों को सभी मामलों में अपने ऊपर हीभरोसा करने का आदेश किया है, और जो व्यक्ति उस पर भरोसा करता है वह उस के लिए काफी(पर्याप्त) है, अल्लाह तआला का फरमान है : “और अगर तुम ईमान रखते हो तो अल्लाहतआला ही पर भरोसा करो।” (सूरतुल माईदा : 23)
तथा सर्वशक्तिमान अल्लाह ने फरमाया : “और जो इंसान अल्लाहपर भरोसा करेगा, अल्लाह उस के लिए काफी होगा।” (सूरतुत्तलाक़ : 3)
अत: ऐ प्रश्न करने वाले भाई ! आप अपनी रोज़ी और अपने बच्चोंकी रोज़ी की प्राप्ति के लिए अपने पालनहार स्वामी पर भरोसा करें, और गरीबी का डर आपको औलाद के चाहने और बच्चों के जन्म के कारण से न रोके, क्योंकि अल्लाह तआला ने सभीलोगों की जाविका की ज़िम्मेदारी ली है, तथा गरीबी के डर से बच्चे पैदा करने से रूक जानेमें जाहिलिया (अज्ञानता) के समय काल के लोगों की मुशाबहत (समानता) पाई जाती है।
फिर ऐ सम्मानित भाई ! आप को यह बात भी जान लेना चाहिए कि लाभ(व्याज) पर क़र्ज़लेना उस सूद में से है जिस के लेन देन करने वाले को अल्लाह तआलाने कष्टदायक यातना की धमकी दी है, तथा वह सात विनाशकारी घोर पापों में से एक है, अल्लाहके पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “सात विनाशकारी गुनाहों सेबचो ….. और सूद खाना।” तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “सूदखाने वाले और उस के खिलाने वाले पर अल्लाह तआला का शाप हो . . .”।
तथा सूद खाना. गरीबी और बरकत की अनुपस्थिति के सब से बड़े कारणोंमें से है, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है : “अल्लाह तआला सूद (ब्याज) को मिटाताहै और ख़ैरात (दान) को बढ़ाता है।” (सूरतुल बक़रा : 276)
मुझे लगता है कि आप को सूद पर ऋण लेने के हुक्म का पता नहींहै, अत: जो कुछ हो चुका उस पर आप अल्लाह तआला से क्षमा याचना करें, और दुबारा ऐसा कामन करें, तथा सब्र से काम लें और अपने पालनहार की तरफ से संकट मोचन और आसानी की प्रतीक्षाकरें और उसी से रोज़ी मांगें, और उसी पर भरोसा करें, नि: सन्देह अल्लाह तआला तवक्कुलकरने वालों को पसन्द करता है।