मैं अध्ययन करने के लिए विदेश में एक छात्र हूँ और दिन का अधिकांश हिस्सा कार्यस्थल पर गुज़ारता हूँ। जब मुझे पेशाब करने की जरूरत पड़ती है तो मैं खड़े होकर पेशाब करता हूँ। क्योंकि मुझे लगता है कि शौचालय की सीट अशुद्ध हो सकती है, तथा मैं मानसिक रूप से उस पर बैठने को स्वीकार नहीं करता, जबकि जितना संभव हो पेशाब की छींटों से बचने की कोशिश करता हूँ तथा मैं पेशाब से पवित्रता हासिल करने के लिए टिशू पेपर का उपयोग करता हूं, तो पेशाब के उन मामूली बूंदों का हुक्म क्या है जो (सावधानी अपनाते हुए) खड़े होकर पेशाब करने के बाद पैंट पर पड़ सकते हैंॽ
तथा मैं इसका भी स्पष्टीकरण चाहता हूँ कि क्या उस समय हुक्म जब आदमी उसके बारे में सुनिश्चित हो उससे अलग होता है जब उसे केवल संदेह होॽ
तथा क्या उस जगह पानी का छिड़कना या पानी के साथ हाथ फेरना पर्याप्त है जिस जगह पेशाब की छींटों के पड़ने की संभावना हैॽ
क्या इस मामले में बहुत अधिक प्रश्न करना वसवसा (वहम) के अंतर्गत आता हैॽ