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महिला की यात्रा में महरम का होना शर्त है, भले ही यात्रा छोटी हो

प्रश्न: 103932

हम एक ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं और कभी कभी मैं अपने चाचा के घर की ज़ियारत करना चाहती हूँ जो हम से 50 किलोमीटर की दूरी पर एक शहर में स्थित है। इसके लिए मुझे मिश्रित सार्वजनिक परिवहन के साधन का प्रयोग करना पड़ता है, और मैं हमेशा बिना महरम के जाती हूँ क्योंकि मेरे पिता का विचार है कि परिवहन का खर्च मंहगा है। या तो मैं अकेले जाऊँ या जाऊँ ही नहीं। मेरे पास कोई अन्य स्थान जाने के लिए नहीं है, ज्ञात रहे कि मैं हर पाँच या आठ महीने में एक बार जाती हूँ। तो क्या मेरे लिए बिना महरम के जाना जायज़ है या नहीं ?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

सहीह सुन्नत (हदीस) इस बात को प्रमाणित करती है कि महिला के लिए बिना महरम के यात्राकरना जायज़ नहीं है, और यह जमहूर विद्वानों के निकट लंबी यात्रा और छोटी यात्रा दोनोंको सम्मिलित है, अतः जिसे भी यात्रा का नाम दिया जाता है उससे औरत को रोका जायेगासिवाय इसके कि उसके साथ कोई महरम हो।

बुखारी (हदीस संख्या : 1729) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2391) ने इब्ने अब्बासरज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लमने फरमाया : ”महिला बिना महरम के यात्रा न करे। तथा उसके पास कोई आदमी प्रवेश न करेसिवाय इसके कि उसके साथ कोई महरम हो’’

इस पर एक आदमी ने कहा : ऐ अल्लाह के पैग़म्बर ! मैं फलाँ जंग में जाना चाहता हूँऔर मेरी पत्नी हज्ज के लिए जाना चाहती है। तो आप ने फरमाया : ”तुम उसके साथ निकलो।’’

इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने ‘‘शर्ह सहीह मुस्लिम’’ में यह स्पष्ट करते हुए कि यहाँ पर यात्रा किसी निश्चित दूरीके साथ विशिष्ट नहीं है, फरमाया :

निष्कर्ष यह कि जिसे भी यात्रा की संज्ञा दी जाती है उससे औरत को बिना पति या महरमके रोका जायेगा, चाहे यात्रा तीन दिन की हो,या दो दिन की हो, या एक दिन की हो याएक बरीद (दो पड़ाव के बीच की दूरी को बरीद कहा जाता है) की हो या इसके अलावा हो ; क्योंकि सहीह मुस्लिममें इब्ने अब्बास की रिवायत है कि : ‘‘कोई महिला यात्रा न करे मगर किसी महरम के साथ।’’ यह हदीस हर उस चीज़को सम्मिलित है जिसे यात्रा का नाम दिया जाता है,और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।’’ कुछ संशोधन के साथअंत हुआ।

तथा ‘‘फतावा स्थायी समिति’’ (17/339) में आया है : ‘‘महिला पर बिना महरम के यात्रा करना सामान्य रूप से निषिद्ध(हराम) है, चाहे दूरी लंबी हो या छोटी।’’ समिति की बात समाप्त हुई।

इस आधार पर अगर आपके देश में लोग इस दूरी को यात्रा समझते हैं, तो आपके लिए बिना महरमके यात्रा करना जायज़ नहीं है, और आपको आपकी नीयत पर अल्लाह ने चाहा तो पुण्य मिलेगा, और आप अपने चाचा सेटेलीफोन के द्वारा संपर्क स्थापित कर सकती है। इन शा अल्लाह यह आपके लिए काफी होगा।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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