उस व्यक्ति के रोज़े का क्या हुक्म है जो केवल रमज़ान में नमाज़ पढ़ता है बल्कि ऐसा भी होता है कि रोज़ा रखकर भी नमाज़ नहीं पढ़ता है ॽ
उस व्यक्ति के रोज़े का हुक्म जो केवल रमज़ान में नमाज़ पढ़ता है
प्रश्न: 105362
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर :
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्यहै।
जिस व्यक्ति पर भी कुफ्र का हुक्म लगा दिया गया उसके आमालनष्ट और व्यर्थ हो गए, अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَلَوْ أَشْرَكُوا لَحَبِطَ عَنْهُمْمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ [الأنعام : 88]
“यदि ये (चयनित संदेष्टा) लोग भी शिर्क करते तो जो कुछ कार्य ये किया करते थेसब उनसे नष्ट हो जाते।” (सूरतुल अनआमः88).
तथा अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَمَنْيَكْفُرْ بِالإِيمَانِ فَقَدْ حَبِطَ عَمَلُهُ وَهُوَ فِي الآخِرَةِ مِنَالْخَاسِرِينَ [المائدة : 5]
“और जो ईमान कोनकार दे तो उसका अमल नष्ट हो गया और वह परलोक में घाटा उठाने वालों में से होगा।” (सूरतुल मायदाः 5)
विद्वानों का एक समूह इस बात की ओर गया है कि अगर वह उसकेअनिवार्य होने का इक़रार करने वाला है तो वह कुफ्र अक्बर (बड़े कुफ्र) का करने वालानहीं होगा, बल्कि उसका कुफ्र छोटा कुफ्र होगा, और उसका यह कार्यज़िना (व्यभिचार) और चोरी आदि करने वाले के कार्य से बढ़कर घिनावना और घृणित होगा,इसके बावजूद उनके निकट उसका रोज़ा और हज्ज सही होगा यदि उसने उन्हें शरीअत केअनुसार किया है, लेकिन उसका अपराध नमाज़ की पाबंदी न करना होगा, और वह विद्वानोंके एक समूह के निकट बड़े शिर्क में पड़ने के भयानक खतरे पर है। तथा कुछ लोगों नेअधिकांश लोगों का कथन यह उल्लेख किया है कि यदि उसने सुस्ती व लापरवाही के तौर परनमाज़ छोड़ी है तो वह कुफ्र अक्बर का करने वाला नहीं होगा, बल्कि उसने इसकीवजह से छोटा कुफ्र, एक महा अपराध और एक घिनावनी बुराई की है जो ज़िना, चोरी,माता पिता की अवज्ञा से बढ़कर और शराब पीने से बढ़कर है, – हम अल्लाह तआला से सलामतीका प्रश्न करते है -, लेकिन विद्वानों के दो कथनों में से शुद्ध और सही कथन यह हैकि उसने कुफ्र अक्बर (महा कुफ्र) किया है,- हम अल्लाह तआला से इस से बचाव का सवालकरते हैं -, उन शरई प्रमाणों के आधार पर जो पीछे गुज़र चुके हैं। अतः जो व्यक्तिरोज़ा रखे और नमाज़ न पढ़े तो उसका रोज़ा नहीं है, और न ही उसका हज्ज सही है।” अंत हुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर