यदि किसी व्यक्ति को तवाफ़ के बारे में संदेह हो जाए, तो क्या उसे भूलने के लिए सजदा करना चाहिए, यह देखते हुए कि काबा का तवाफ़ करना नमाज़ का एक रूप हैॽ
“वह यह सजदा नहीं करेगा; क्योंकि वह तवाफ़ में सजदा के द्वारा इबादत नहीं करता है। (यानी सजदा करना तवाफ़ का हिस्सा नहीं है)। अतः जब मूल इबादत में सजदा है ही नहीं, तो उसमें संदेह की स्थिति में सजदा कैसे किया जाएगा?! सजदा करके उसकी कमी कैसे पूरी की जाएगी जबकि उसमें मूल रूप से सजदा है ही नहींॽ!” उद्धरण समाप्त हुआ।
“मजमूओ फतावा इब्न उसैमीन” (22/347)।