मेरी पत्नी नमाज़ पढ़ती थी यहाँ तक कि उसने अपना पहला बच्चा जन्म दिया, तो वह आलसी हो गई यह दावा करते हुए कि कोई भी महिला जो बच्चा जनती है उसके सभी गुनाह मिट जाते हैं उस दर्द और पीड़ा के कारण जो जनने के दौरान उसने सहन किए हैं, तो आप उसे क्या कहेंगे ॽ
यह बात सही नहीं है, बल्कि महिला को अन्य आदम की संतान के समान जब कोई चीज़ पहुँचती है और वह उस पर सब्र करती है और अज्र व सवाब की आशा रखती है तो उसे इन कष्टों और आपदाओं पर पुन्य मिलता है यहाँ तक कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस से निम्न चीज़ का उदाहरण दिया है, आप ने काँटे का उदाहरण दिया है जो उसे चुभ जाता है तो उसके कारण उसके पाप को मिटा दिया जाता है,तथा आप इस बात को जान लें कि मनुष्य को जो मुसीबतें और अपदाएं पहुँचती हैं यदि वह उनपर सब्र से काम लेता है और अल्लाह से पुण्य की आशा रखता है तो उसने जो सब्र किया है और अज्र व सवाब की आशा रखा है, उस पर उसे पुण्य मिलेगा। और स्वयं मुसीबत और आपदा उसके गुनाहों के लिए कफ्फारा हो जायेगी। अतः हर हाल में आपदाएं गुनाहों के लिए परायश्चित हैं,यदि उनके साथ सब्र भी मिल गया तो मनुष्य को उसके उस सब्र के कारण पुण्य भी मिलेगा। चुनांचे इसमें कोई संदेह नहीं कि महिला जनने के समय पीड़ा और तकलीफ से ग्रस्त होती है और इस दर्द के कारण उसके गुनाहों को मिटा दिया जाता है,यदि वह सब्र करे और अल्लाह से अज्र की आशा रखे तो परायश्चित से उसके पुण्य और नेकियों में वृद्धि होगी . .और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
शैख उसैमीन के फतावा से।