जो व्यक्ति किसी बीमारी, या कमज़ोरी या बुढ़ापे के कारण सूरज के गोले के गायब होने से पूर्व अरफा से बाहर निकल गया उसका क्या हुक्म है ॽ
बीमारी के कारण वह मग़्रिब से पहले ही अरफात से बाहर निकल गया
प्रश्न: 109363
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
“राजेह कथन यह है कि सूरज के डूबने तक अरफा में बने रहना अनिवार्य है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सूरज के डूबने से पहले प्रस्थान नहीं किया, यदि ऐसा करना जायज़ होता तो आप सूरज डूबने से पहले अवश्य प्रस्थान करते ; क्योंकि वह दिन का समय है और उसमें लोगों के लिए अधिक आसानी है। तथा यदि इंसान सूरज डूबने से पहले प्रस्थान कर जाता है तो वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत से निकल कर जाहिलियत (अज्ञानता के युग) की सुन्नत (तरीक़े) की ओर चला गया, क्योंकि जाहिलियत के लोग ही सूरज के डूबने से पहले अरफा से प्रस्थान करते थे, और जिसने ऐसा किया तो यदि उसने जानबूझ कर किया है तो उसके इस कार्य पर दो बातें निष्कर्षित होती हैं :
प्रथम : गुनाह
दूसरा : अक्सर विद्वानों के निकट एक फिद्या (दम, क़ुर्बानी) अनिवार्य है जिसे वह मक्का में ज़ब्ह करेगा, और गरीबों में वितरित कर देगा, परंतु यदि वह अनजाने में सूरज डूबने से पहले अरफा से निकल जाता है तो उससे गुनाह समाप्त हो जायेगा, लेकिन अक्सर विद्वानों के निकट उसके ऊपर बदला (फिद्या) अनिवार्य है, और वह यह है कि वह मक्का में एक बकरी की क़ुर्बानी करके उसे गरीबों में वितरित कर दे।” अंत हुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर