क्या उसके ऊपर उन दिनों की क़ज़ा करना अनिवार्य है जो इस्लाम स्वीकार करने से पहले बीत चुके हैंॽ
''उसके ऊपर उन दिनों की क़ज़ा करना अनिवार्य नहीं है जो उसके इस्लाम स्वीकार करने से पहले बीत चुके थे, क्योंकि उस समय वह रोज़ा रखने के आदेश का संबोधित नहीं था। अतः वह उन लोगों में से नहीं था जो रोज़ा रखने के वाध्य थे कि उस पर सकी क़ज़ा करना अनिवार्य हो।'' समाप्त हुआ।
फज़ीलतुश्शैख इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह
‘‘अल-इजाबात अला अस्इला-तिल जालियात’’ (1/8).