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6,55113/राबी प्रथम/1431 , 27/फ़रवरी/2010

ईद या इस्तिस्क़ा की नमाज़ में इमाम के साथ तशह्हुद पाने वाले आदमी का हुक्म

سوال: 118864

जो व्यक्ति ईदैन (ईदलु फित्र और ईदुल अज्ह़ा) की नमाज़, और इस्तिस्क़ा (अर्थात् अल्लाह तआला से वर्षा मांगने) की नमाज़ में अन्य नमाज़ियों के साथ केवल तशह्हुद को पाता है उस का क्या हुक्म है ? क्या वह दो रक्अत नमाज़ पढ़ेगा और उसी तरह करेगा जिस तरह इमाम ने किया है, अथवा वह क्या करेगा ?

متن پاسخ

ستایش خدا و صلوات و سلام بر رسول خدا و خاندانش.

"जिस ने ईदैन (ईदलु फित्र और ईदुल अज्ह़ा) की नमाज़, या इस्तिस्क़ा (अर्थात् अल्लाह तआला से वर्षामांगने) की नमाज़ में इमाम के साथ केवल तशह्हुद को पाया, तो वह इमाम के सलाम फेरने के बाद दो रक्अत नमाज़ पढ़ेगा जिन में वह उसी तरह तकबीर, क़िराअत, रूकूअ़ और सज्दे करेगा जिस तरह कि इमाम ने किया था।

और अल्लाह तआल ही तौफीक़ देने वाला (शक्ति का स्रोत) है, तथा अल्लाह तआला हमारे ईश्दूत मुहम्मद, आप की संतान और साथियों पर अपनी दया और शांति अवतरित करे।" (समाप्त हुआ)

शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़, शैख अब्दुर्रज़्ज़ाक़ अफीफी, शैख अब्दुल्लाह बिन ग़ुदैयान।

منبع

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