मैं हस्तमैथुन और मासिक धर्म के समाप्त होने के बाद व स्नान करने से पूर्व संभोग करने से संबंधित सभी उत्तर पढ़ चुका हूँ, और मैं इस चीज़ के बारे में स्पष्टीकरण चाहता हूँ कि क्या उन पापों से छुटकारा पाने के लिए जिन्हें पुरूष या स्त्री ने किए हैं, कोई पश्चाताप का तरीक़ा है, जैसे उदाहरण के तौर पर कोई दुआ ॽ
मासिक धर्म समाप्त होने के बाद और स्नान करने से पहले पत्नी के साथ संभोग करने से पश्चाताप करने का तरीक़ा
प्रश्न: 12662
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
मासिक धर्म वाली औरत से यौनि में संभोग करना हराम (निषिद्ध) है, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :
ويسألونك عن المحيض قل هو أذى فاعتزلوا النساء في المحيض [البقرة :222]
“वे आपसे मासिक धर्म के बारे में प्रश्न करते हैं, आप कह दीजिए कि वह गंदगी है, अतः तुम मासिक धर्म मे औरतों से अलग थलग रहो।” (सूरतुल बक़रा : 222).
और जिसने ऐसा किया तो उसके ऊपर अनिवार्य है कि वह अल्लाह सर्वशक्तिमान से क्षमायाचना करे और उसके समक्ष तौबा करे, तथा जो कुछ उससे हुआ है उसके परायश्चित के तौर पर एक दीनार या आधा दीनार दान करे, जैसाकि अहमद और असहाबुस्सुनन ने अच्छी इसनाद के साथ इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस आदमी के बारे में जो अपनी औरत से उसकी मासिक धर्म की हालत में संभोग करता है, फरमाया : “वह एक दीनार या आधा दीनार दान करे।” और उन दोनों में से जो भी दान कर दे पर्याप्त होगा, . . तथा पवित्र होने अर्थात खून के बंद होने के बाद और स्नान करने से पहले उससे संभोग करना जायज़ नहीं है, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :
ولا تقربوهن حتى يطهرن [البقرة : 222]
“और उनके निकट न जाओ यहाँ तक कि वे पवित्र हो जायें।” (सूरतुल बक़राः 222)
तो अल्लाह तआला ने मासिक धर्म वाली औरत से संभोग करने की अनुमति नहीं दी है यहाँ तक कि उसका खून बंद हो जाए और वह स्नान कर पवित्रता हासिल कर ले। जिसने स्नान करने से पहले उससे संभोग कर लिया उसने पाप किया और उसके ऊपर कफ्फारा (परायश्चित) अनिवार्य है . . . अंत हुआ। देखिए किताब फतावल उलमा फी इश्रतिन्निसा पृष्ठ/51.
फत्वा स्थायी समिति
जहाँ तक उन गुनाहों से छुटकारे की बात है जिन्हें आदमी और औरत ने किए हैं तो उसके लिए प्रश्न संख्या (14289), (329 ) देखें।
अतः आप अल्लाह अताला के समक्ष तौबा व पश्चाताप करें, इसलिए कि आप ने आयत में वर्णित निषेद्ध का उल्लंघन किया है और अल्लाह तआला के इस फरमान का पालन नहीं किया है :
فإذا تطهرن فأتوهن من حيث أمركم الله [البقرة :222]
“जब वे पवित्र हो कर स्नान कर लें तो तुम उन के पास उस जगह आओं जहाँ अल्लाह तआला ने तुम को आदेश दिया है।” (सूरतुल बक़रा : 222)
और वह इस प्रकार कि आप से जो कुछ हुआ है उसपर आप को पछतावा हो और उसे दुबारा न करने का संकल्प करें, और अधिक से अधिक नेकियाँ करें क्योंकि नेकियाँ बुराईयों को मिटा देती हैं, और अल्लाह तआला बड़ा क्षमा करनेवाला और बड़ा दयावान है।
इसलाम प्रश्न और उत्तर
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
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