प्रश्न : यदि एक परिवार रमज़ान के महीने में उम्रा करता है, तो क्या उनके लिए मक्का मुकर्रमा में ठहरने के दौरान रोज़ा तोड़ देना जायज़ है? या कि वे लोग मक्का पहुँचते ही खाने से रूक जायेंगे
रमज़ान के महीने में दूर स्थानों से उम्रा करने के लिए आनेवाले व्यक्ति का रोज़ा तोड़ देना
प्रश्न: 128673
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर :
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
”रमज़ानमें उम्रा करनेवाला यदि दूर केनगरों जैसे किनज्द या उसके अलावासे आया है, तो वहमुसाफिर है। वहरास्ते में रोज़ानहीं रखेगा चाहेवह रियाद से आयाहो, या क़सीम से, या हाइलसे या मदीना से।उसके लिए रास्तेंमें और मक्का मेंरोज़ा तोड़ देना(यानी रोज़ा न रखना)जायज़ है। परंतुअगर उसने चार दिनोंसे अधिक ठहरनेका दृढ़ संकल्प(पक्का इरादा) करलिया है, तो जब वह मक्कापहुँच जाए तो उसकेलिए सबसे अधिकसावधानी का पहलूयह है कि वह रोज़ारखे, तथा सबसे अच्छाभी यही है कि व रोज़ारखे ; क्योंकि जमहूरविद्वानों (विद्वानोंक बहुमत) का विचारयह है कि यदि उसनेचार दिनों से अधिकठहरने का पक्काऔर सच्चा संकल्पकर लिया है तो वहनमाज़ पूरी पढ़ेगाऔर रोज़ा नहीं तोड़ेगा।
लेकिन यदिउसका संकल्प दोदिन, या तीन दिन,या चार दिन ठहरनेका है, इससे अधिकवह नहींठहरेगा, तो उसकेलिए रोज़ा तोड़नाभी जायज़ और रोज़ारखने की भी अनुमतिहै। उसके लिए चाररकअत वाली नमाज़ोंको क़स्र कर दो रकअतपढ़ने की अनुमतिहै, तथा उसके लिए लोगोंके साथ चार रकअतपढ़ना भी जायज़ है।अगर वह अकेले हैतो उसके लिए जमाअतके साथ नमाज़ पढ़नाज़रूरी है। लेकिनयदि उसके साथ दूसरेलोग भी हैं, तो उसेइस बात का अख्तियारहै कि यदि वह चाहेतो वह और उसके साथके लोग दो रकअतनमाज़ पढ़ें, और अगरवे चाहें तो लोगोंके साथ जमाअत मेंचार रकअत नमाज़पढ़ें। परंतु अगरचार दिन से अधिकठहरना है तो उनकेलिए विद्वानोंकी बहुमत के निकटरोज़ा रखना और नमाज़पूरी पढ़ना उचितहै।” अंत हुआ।
समाहतुश्शैखअब्दुल अज़ीज़ बिनबाज़ रहिमहुल्लाह
स्रोत:
"फतावा नूरुन अलद् दर्ब"