बल द्वारा ज़ब्त की गई संपत्ति की ज़कात
प्रश्न: 129657
मेरे पास एक ज़मीन है जिसका मैं सरकारी कागज़ात के द्वारा मालिक हूँ, परंतु एक व्यक्ति ने चाल चलकर (छल के द्वारा) उसके स्वामित्व को अपने लिए सिद्ध रक लिया और अभी तक हमारा मामला अदालत (न्यायालय) में है, जबकि उस पर साल गुज़र चुका है, तो क्या इस ज़मीन की ज़कात मेरे ऊपर निकालना अनिवार्य है ॽ
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार
की प्रशंसा और
स्तुति केवल अल्लाह
के लिए योग्य है।
सर्व
प्रथम :
यदि
आपकी नीयत निवास
के लिए या किराये
पर देने के लिए
उस पर निर्माण
करना है तो इस ज़मीन
में ज़कात नहीं
है, क्योंकि यह
व्यापार के सामान
में से नहीं है,
तथा प्रश्न संख्या
(129787) का उत्तर देखें।
लेकिन
यदि आपकी नीयत
उसका व्यापार करना
है, तो मूल बात यह
है कि व्यापार
के सामान में ज़कात
अनिवार्य है,अतः जब
जब भी साल पूरा
होगा इस ज़मीन की
क़ीमत लगाई जायेगी,
फिर बाज़ार में
उसकी क़ीमत के अनुसार
उसकी ज़कात निकाली
जायेगी।
किंतु
. . . जब यह ज़मीन हड़प्
कर ली गई है, और आप
उसके अंदर कोई
तसर्रुफ
(हस्तक्षेप) नहीं
कर सकते हैं,
तो विद्वानों के
दो कथनों में से
शुद्ध कथन के अनुसार
उसमें ज़कात अनिवार्य
नहीं है।
इब्ने
क़ुदामा ने “अल-काफी” में
फरमाया : “ग़सब
(बलपूर्वक
ज़ब्त) की हुई चीज़,
गुमशुदा चीज़,
और ऐसे आदमी के
ऊपर क़र्ज़ में,
जिससे तंगी
(दिवाला), या इनकार
या टालमटोल के
कारण पूर्ण
रूप से
प्राप्त करना संभसव
नहीं है, दो कथन
(विचार) हैं . . .”
अंत तक।
शैख
इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह
ने फरमाया : “. . .
और वे दोनों (हंबली)
मत में दो कथन हैं,
हंबली मत यह है
कि : उसमें ज़कात
अनिवार्य है लेकिन
उसका भुगतान
करना ज़रूरी नहीं
है यहाँ तक कि उसे
अपने क़ब्ज़े में
कर ले, फिर गुज़रे
हुए सालों की ज़कात
भुगतान करे चाहे
वह दस वर्ष बाक़ी
रहा हो।
दूसरा
कथन यह है कि : उसके
ऊपर उसमें कोई
ज़कात नहीं है ;क्योंकि
माल उसके हाथ में
नहीं है और उसके
लिए उसकी
अधियाचना
(तक़ाज़ा)
करना भी संभव नहीं
है, और यदि वह
तक़ाज़ा करे तोअसक्षम रहेगा,
और यही क़ौल सही
है।”
“अश-शर्हुल
काफी” से अंत हुआ।
तथा
शैखुल इस्लाम इब्ने
तैमिय्या रहिमहुल्लाह
ने फरमाया : “और वह
(यानी ज़कात) दीर्घ
काल के क़र्ज़,
या तंगहाल व्यक्ति
या बेरोज़गार या
इनकार करने वाले
के ऊपर कर्ज़,
या हड़प कर लिए
गए या चोरी कर
लिए गएमाल
में ज़कात नहीं
है, चाहे वह उसके
हाथ ही में क्यों
न मिला हो।यह इमाम अहमद
की एक रिवायत है,
और इसे उनके अनुयायियों
के एक समूह ने पसंद
किया है और सहीह
कहा है,और
यही अबू हनीफा
का भी क़ौल (विचार)
है।”
अल-इख्तियारात
पृष्ठ 146 से समाप्त
हुआ।
तथा
सावधानी का पक्ष
यह है कि : जब आप इस
ज़मीन को प्राप्त
कर लें तो उसकी
एक साल की ज़कात
निकाल दें,
यद्यपि वह हड़प
करने वाले के क़ब्ज़े
में कई सालों तक
रही हो।
तथा
अधिक लाभ के लिए
प्रश्न संख्या
(125854) का उत्तर देखें।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
संबंधित उत्तरों