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पाप से तौबा करने वाला उस व्यक्ति के समान है जिसने कोई पाप किया ही न हो

प्रश्न: 131552

अगर कोई लड़की हस्तमैथुन किया करती थी और उससे तौबा कर ली, तो क्या उसपर कुछ करना अनिवार्य हैॽ और क्या वह उसकी तरह है जो अपने प्रेमी के साथ ज़िना (व्यभिचार) करती है, जिसका अर्थ यह है कि उसे 100 कोड़े मारे जाएँगे?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हस्तमैथुन (गुप्त आदत) हराम है। हमने इसे प्रश्न संख्या (329 ) के उत्तर में स्पष्ट किया है। लेकिन यह ज़िना (व्यभिचार) की तरह नहीं है, जो शरई हद्द (सज़ा) को अनिवार्य करता है। हद्द को अनिवार्य करने वाला ज़िना (व्यभिचार) केवल संभोग है।

जो कोई भी इसे करता है, उसे इसे छोड़ने में जल्दी करना चाहिए, अपने पालनहार से क्षमा माँगना चाहिए और अपने किए पर पछतावा करना चाहिए। तथा उसे यह जानना चाहिए कि इसका धर्म, मन और शरीर पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसके बारे में शरीयत में कोई विशिष्ट सज़ा वर्णित नहीं है। इसके लिए सज़ा का मामला सर्वशक्तिमान अल्लाह के हवाले है। क्योंकि यह उन वर्जनाओं में से एक है जिनके कारण शरई हद्द अनिवार्य नहीं होता है।

यदि कोई व्यक्ति किसी भी पाप से – चाहे वह हस्तमैथुन हो या कुछ और – ईमानदारी से (सच्ची) तौबा करता है, तो अल्लाह तआला उसकी तौबा को स्वीकार करता है और उसके पाप को ऐसे क्षमा कर देता है, जैसे कि वह कभी हुआ ही नहीं था। अल्लाह तआला ने फरमाया :

وَهُوَ الَّذِي يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَعْفُو عَنْ السَّيِّئَاتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُونَ

سورة الشورى : 25

“वही (अल्लाह) है जो अपने बंदो की तौबा क़बूल फरमाता है और गुनाहों को क्षमा कर देता है और जो कुछ तुम कर रहे हो (सब) जानता है।” (सूरतुश्-शूरा : 25)

तथा अल्लाह ने फरमाया :

قُلْ يَا عِبَادِي الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوا مِنْ رَحْمَةِ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ

الزمر:53

“(ऐ नबी!) आप कह दीजिए : ऐ मेरे बंदो! जिन्होंने अपनी जानों पर अत्याचार किया है, अल्लाह की रहमत से निराश न हो, निःसंदेह अल्लाह सब पापों को क्षमा कर देता है। निश्चय वह अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।” (सूरतुज़-ज़ुमर : 53)

यह आयत तौबा करने वाले व्यक्ति के बारे में है। अल्लाह तआला उसके उन सभी पापों को क्षमा कर देता है, जिनसे वह तौबा करता है।

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “पाप से तौबा करने वाला उस व्यक्ति के समान है जिसने कोई पाप किया ही न हो।” इसे इब्ने माजा (हदीस संख्या : 4250) ने रिवायत किया है और अलबानी ने सहीह इब्ने माजा में इसे सहीह कहा है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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