आपने जिस कारण का उल्लेख किया है, उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ नहीं है, बल्कि ऐसा करना हराम है। क्योंकि यह उन कारणों में शामिल नहीं है जो रमज़ान के महीने में रोज़ा तोड़ना अनुमेय कर देते हैं।
“फतावा अल-लजनह अद-दाइमह” (10/240) से उद्धरण समाप्त हुआ।
आपको ज्ञात होना चाहिए कि रमज़ान का रोज़ा हर मुकल्लफ़ (शरई अहकाम के लिए बाध्य) मुसलमान पर फ़र्ज़ है। तथा रोज़ा के समय में रोज़ा रखने से केवल वहीं लोग मुक्ति पा सकते हैं, जो ऐसे उज़्र (बहाने) वाले हैं जिन्हें रोज़ा तोड़ने की छूट दी गई है, जैसे कि बीमार, यात्री, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला, वयोवृद्ध और रोज़ा तोड़ने पर मजबूर किया गया व्यक्ति।