रमज़ान के एक दिन में, मैं फज्र के बाद सो गया तो मुझे स्वपनदोष हो गया और वीर्य निकल आया। मेरा प्रश्न यह है कि : क्या उस दिन का रोज़ा यदि मैं उसे पूरा करूँ तो क्या वह स्वीकार किया जायेगा, जबकि जो कुछ घटित हुआ है उसमें नियंत्र करना मेरे बस में नहीं था ॽ
रमज़ान के दिन में स्वपनदोष और हदीस (सपना शैतान की तरफ से है) का अर्थ
प्रश्न: 14014
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
रमज़ान के दिन में स्वपनदोष का होना रोज़े को व्यर्थ (अमान्य) नहीं करता है ; क्योंकि वह मनुष्य की शक्ति और ताक़त से बाहर चीज़ है और वह उसे रोकने में सक्षम नहीं है, औ अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है कि :
لا يكلّف الله نفساً إلا وسعها
“अल्लाह किसी प्राणी पर उसकी शक्ति से अधिक भार नहीं डालता है।”
“यदि उसे स्वपनदोष हो जाए तो उसका रोज़ा फासिद (खराब) नहीं होगा, क्योंकि वह उसकी इच्छा से बाहर है, तो वह ऐसे ही है जैसे कि सोने की हालत में उसके गले में कोई चीज़ प्रवेश कर जाए।”
देखिए : “अल-मुग़्नी” लिब्ने क़ुदामा 3/22 .
स्थायी समिति से प्रश्न किया गया कि एक आदमी को रमज़ान के दिन में स्वपनदोष हो गया तो उसका क्या हुक्म है ॽ तो उसने उत्तर दिया कि :
जिस आदमी को इस हालत में स्वपनदोष हो गया कि वह रोज़ा रखे हुए था या हज्ज व उम्रा का एहराम बाँधे हुए था तो उसके ऊपर कोइ पाप या कफ्फारा (परायश्चित) नहीं है, और वह उसके रोज़े को प्रभावित नहीं करेगा, और उसके ऊपर जनाबत का ग़ुस्ल अनिवार्य है यदि उस से वीर्यपात हुआ है।
फतावा स्थायी समिति 10 / 274.
स्वपनदोष : “सपने में संभोग को देखने” को कहते हैं और वह ऐसी चीज़ों में से है जिस पर अल्लाह तआला ने मर्दों और औरतों को पैदा किया है, इसीलिए उम्मुल मोमिनीन (विश्वासियो की माता) उम्मे सलमा के बारे में आया है कि उन्हों ने कहा कि अबू तल्हा की पत्नी उम्मे सुलैम अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आईं और कहा : ऐ अल्लाह के रसूल ! (अल्लाह तआला हक़ से नहीं शर्माता है, क्या औरत पर यदि उसे एहतिलाम (स्वपनदोष) हो जाए तो स्नान करना अनिवार्य है ॽ तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : हाँ, जब वह पानी (वीर्य) को देख ले।” इसे बुखारी (स्नान / 373) और मुस्लिम (हैज़ / 471) ने रिवायत किया है।
एहतिलाम से अभिप्राय संभोग की कल्पना है जिस सोने वाला देखता है।
तथा वह हदीस जिसे बुखारी ने अबू सलमा से रिवायत किया है कि है अबू क़तादा अंसारी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि मैं ने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना : (सपना अल्लाह की तरफ से है और स्वपनदोष शैतान की तरफ से है, जब तुम में से कोई व्यक्ति बुरा सपना देखे जिसे वह नापसंद करता है तो अपने बाएं तरफ थूक दे और उस से अल्लाह की पनाह मांगे तो वह उसको कदापि नुकसान नहीं पहुँचाए गा।) (अत्ताबीर / 6488) मुस्लिम (अर्रूया / 4196)
अतः इसका उद्देश्य यह नहीं है कि शैतान ही उसका कारण है और उसी ने इसको प्रेरित किया है।
तथा विद्रोही शैतानों के रमज़ान के महीने में जकड़ दिए जाने का मतलब यह नहीं है कि शैतानवस्वसा डालने और बुराई का आदेश करने से बाज़ आ जोते हैं, किंतु यह रमज़ान में अन्य महीनों की तुलना में कम हो जाता है, और इसके प्रभाव देखे और महसूस किए जात हैं।
इब्ने हजर कहते हैं : स्वपनदोष को शैतान से संबंधित करना इस अर्थ में है कि यह उसके गुणविशेष झूठ, अतिशयोक्ति आदि के अनुकूल है, जबकि सच्चे सपनों का मामला इसके विपरीत है अतः अल्लाह की तरफ उसकी निसबत सम्मान के तौर पर की गई है, यद्यपि सभी चीज़ें अल्लाह के पैदा करने और उसके मुक़द्दर करने से होती हैं . . अंत
“फत्हुलबारी” (12 / 393)
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद