प्रश्न : व्यापार के लिए तैयार की गई ज़मीनों की ज़कात कैसे निकाली जायेगी जिनकी क़ीमतों में साल के दौरान उतार चढ़ाव होता रहता है ॽ
उस ज़मीन की ज़कात कैसे निकाली जाए जिसमें वर्ष के दौरान उतार चढ़ाव होता रहता है ॽ
प्रश्न: 145095
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरस्तुति केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्वप्रथम :
प्रश्नसंख्या (130487) के उत्तरमें व्यापार केसामानों में ज़कातके अनिवार्य होनेका वर्णन कियाजा चुका है।
दूसरा:
व्यापारके सामान की ज़कातमें साल के अंतका एतिबार कियाजायेगा,उदाहरण केतौर पर यदि एक आदमीके पास व्यापारका सामान है जिसकीक़ीमत का अनुमान- दस हज़ार रियाल- लगाया जाता है,फिर सालके दौरान उसकाभाव बढ़ गया,फिर उसमेंखरीद मूल्य सेकमी आगई,और जब व्यापारके सामान का सालपूरा हो गया तोउसका भाव बढ़ा हुआथा,तो ज़कातका एतिबार उस भावपर होगा जिस परसाल पूरा हुआ है,चाहे भावगिरा हुआ (यानीकम) हो या बढ़ा हुआ(यानी अधिक) हो।
ज़करिय्याअंसारी ने “अल-गुररअल-बहिय्या” (2/164) मेंफरमाते हैं : “व्यापारोंके निसाब (ज़कातके अनिवार्य होनेकी न्यूनतम सीमा)में साल के अंतका एतिबार कियाजायेगा ;क्योंकि वहीज़कात के अनिवार्यहोने का समय हैऔर उस से पहले कीस्थिति को नहींदेखा जायेगा।”अंत हुआ।
तथा“कश्शाफुल क़िना” (2/241) मेंआया है : “जिनसामानों के मूल्यमें ज़कात अनिवार्यहोती है साल पूराहोने पर उनका मूल्यांकनकिया जायेगा ;क्योंकिवही ज़कात के अनिवार्यहोने का समय है।”समाप्त हुआ।
तथाशैख इब्ने बाज़रहिमहुल्लाह नेफरमाया :
“घरों में ज़कातनहीं है यदि वेनिवास के लिए तैयारकिए गए हैं . . .,परंतुबिक्री के लिएतैयार किए गए घरों,दुकानोंऔर भूमि में हरवर्ष उनकी क़ीमतोंके अनुसार सालपूरा होने पर ज़कातअनिवार्य है,यदि उसके मालिकने बेचने का सुदृढ़संकल्प कर लियाहै।” अंत हुआ।
“मजमूउल फतावा” (14/173).
तथाशैख इब्ने उसैमीनरहिमहुल्लाह सेप्रश्न किया गया: एक व्यक्ति केपास ज़मीन का एकटुकड़ा है जिसेउसने बिक्री केलिए प्रस्तुत(प्रदर्शित) कियातो उस परसत्तर लाख रियालका भाव लगा,किंतु उसनेनहीं बेचा,एक अवधि केबाद उसने दूसरीबारे उसे बेचनेके लिए प्रदर्शितकिया तो उसका भावकेवल तीस लाख तकपहुँचा। तो क्याउसके ऊपर उसकेअंदर ज़कात अनिवार्यहै ॽ
तो उन्होंने उत्तर दिया: “यदि आप ने इसज़मीन को व्यापारके लिए तैयार कियाथा,और उसकीक़ीमत सत्तर लाखके बराबर थी फिरआप उसे बाक़ी रखकरउस से अधिक कीमतकी प्रतीक्षा करनेलगे यहाँ तक किउसकी क़ीमत गिरगई, और वह मात्रतीस लाख के बराबररह गई, तो आप जिससमय उसे बेचेंगेतो पहले साल कीज़कात सत्तर लाखसे निकालेंगे,और उन वर्षो कीज़कात जिनमें उसकाभाव गिर गया हैउनके ज़कात की मात्राउसी के हिसाब सेनिकाली जायेगी,क्योंकिव्यापार के सामानकी, साल पूरा होनेपर क़ीमत लगाई जोयगी,और जिसमूल्य में आप नेखरीद किया है उसकाएतिबार नहीं कियाजायेगा,जब आप साल पूराहोने पर क़ीमत लगायेंगेतो ज़कात के अनिवार्यहोने के समय जिसमूल्य के बराबरवह होगी उसकी ज़कातनिकालेंगे।”मजमूउल फतावा(18/235) से समाप्त हुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर