मेरा प्रश्न दुआ से संबंधित है, चुनाँचे पिछले एक प्रश्न में इस बात की दुआ कि मनुष्य पैगंबर के हाथ से ऐसा खुशगवार घूँट पिए कि उसके बाद कभी प्यासा न हो के बारे में आप ने हमें अवगत कराया कि इस को प्रचलित करना उचित नहीं है, और इस की दुआ के बारे में कोई चीज़ वर्णित नहीं है। हमारा प्रश्न यह है कि : क्या यह दुआ करना जाइज़ है कि अल्लाह तआला हमें रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ हौज़ कौसर के पास और स्वर्ग में एकत्रित करे ॽ
क्या हमारे लिए यह दुआ करना जाइज़ है कि अल्लाह तआला हमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एकत्र करे ॽ
प्रश्न: 145721
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
यह दुआ करना कि अल्लाह तआला हमें रसूल सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम के साथ हौज़ कौसर के पास और स्वर्ग में एकत्रित करे : एक शुद्ध और सराहनीयदुआ है ;हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें सूचना दी है किवह सबसे पहले हौज़ कौसर पर आयेंगे,और यह कि आपके हौज़ से कुछ ऐसे लोगों को हटायाजायेगा जो आपके हौज़ से पीने के अधिकृत न होंगे, वे ऐसे लोग होंगे जिनका निफाक़ (पाखंड)सर्वज्ञात होगा, या जिसके अंदर अनुसरण (पैरवी) का लक्षण नहीं होगा, और वह (सज्देके असर से) चेहरे और (वुज़ू के असर से) वुज़ू के अंगों – हाथ पैर का चमकदार औरसफेद होना है, इसी प्रकार उस आदमी को भी हौज़ कौसर से दूर भगाया जायेगा जो आपका अनुयायीनहीं होगा। इस उम्मत (समुदाय) के सम्मान के तौर पर ऐसा होगा, और इसलिए कि प्रति उम्मतअपने ईश्दूत के साथ जा मिले ताकि आपके हौज़ से पानी पिए।
तथा प्रश्न संख्या (125919) का उत्तर देखें।उसके अंदर उन लोगों का विस्तार के साथ उल्लेख है जिन्हें हौज़ से हटाया जायेगा।
अतः यह दुआ कि अल्लाह तआला दुआ करने वाले कोहौज़ के पास एकत्र करे एक अच्छी दुआ है,इसी तरह उस दुआ के बारेमें भी कहा जायेगा कि उसका पालनहार उसे उसके नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ स्वर्गमें एकत्र करे,बल्कि यह दुआ करने वाले के सर्वोच्च संकल्पको दर्शाता है,लेकिन इस संकल्प के साथ महान कार्यों की आवश्यकताहोती है।
रबीआ बिन कअब अल-असलमी रज़ियल्लाहु अन्हु सेवर्णित है कि उन्हों ने कहा : मैं अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथरात बिताता था तो मैं आपके वुज़ू का पानी लाया और आपकी आवश्यकता पूरी की तो आप ने मुझसे फरमाया : (तुम माँगो)।तो मैं ने कहा : मैं जन्नत में आपका संगत माँगताहूँ।आप ने फरमाया : (क्या इसके अलावा कोई और माँग हैॽ) मैं ने कहा : बस वही है।आप ने फरमाया : (तो तुमअपने नफ्स पर अधिक से अधिक सज्दे के द्वारा मेरा सहयोग करो). इसे मुस्लिम (हदीस संख्या: 489) ने रिवायत किया है।
इब्ने अल्लान शाफई रहिमहुल्लाह – अल्लाह उनपर दया करे – ने फरमाया :
“तो मैं ने कहा: मैं जन्नत में आपका संगत माँगता हूँ।” अर्थात : मैं उसके अंदर आपके साथ रहूँ आपसे निकट रहूँ ;आपकी दृष्टि और निकटतासे लाभान्वित हूँ ताकि आप से अलग न रहूँ। अतः ऐसी स्थिति में कोई आपत्ति पैदा नहींहोती है कि “वसीला” का पद समस्त पैगंबरों के बीच आपके लिए विशिष्ट है, चुनाँचेआपके उस पद के अंदर कोई भेजा हुआ पैगंबर भी आप से बराबरी नहीं रखता है, दूसरों की बाततो बहुत दूर है ; इसलिए कि इस हदीस का मतलब यह है कि उन्हें आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से संपूर्ण निकटता का स्थान और पद प्राप्त हो,तो उसे संगत के द्वाराइंगित किया गया है।”
“दलीलुल फालेहीन लि-तुरुक़ि रियाज़िस्सालेहीन” (1/392) से समाप्त हुआ।
तथा “मैं जन्नत में आपका संगत माँगता हूँ।” का अर्थ यह है कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से अनुरोधहै कि आप उनके लिए इसकी दुआ करें, क्योंकि यह बात निश्चित रूप से ज्ञात है कि नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम किसी को स्वर्ग में प्रवेश दिलाने के मालिक नहीं हैं।
तथा इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“अल्लाह की क़सम इस संकल्प की सराहना कीजिए,उसका मामला कितनवा आश्चर्यपूर्णहै और वह कितना भिन्न और विचित्र है,एक संकल्प वह है जो सिंहासनके ऊपर की अस्तित्व के साथ संबंधित है,और एक संकल्प वह है जोगंदगियों और मल के आस पास घूमती है,और सामान्य लोग कहते हैं कि : “हर मनुष्य का मूल्य वही है जिसे वह अच्छी तरह कर सकता है”, तथा विशेष लोग कहते हैं कि : “मनुष्य का मूल वही है जिसे वह माँगता है।” और सबसे विशिष्ट लोग कहते हैं कि: “आदमी का संकल्प उसकी माँग से पता चलता है।”
और यदि आप संकल्पों की श्रेणियों को जानना चाहतेहैं तो रबीआ बिन कअब अल-असलमी रज़ियल्लाहु अन्हु के संकल्प को देखिए जबकि अल्लाह केपैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे कहा कि (तुम मुझसे माँगो),तो उन्हों ने कहा : “मैं जन्नत में आपका संगत माँगता हूँ।” जबकि कोई दूसरा होता तो अपने पेट को भरने, या अपने शरीर कोछुपाने की चीज़ की माँग करता।”
“मदारिजुस्सालेकीन” (3 / 147) से समाप्त हुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर