1- क्या मोज़ों पर मसह करने की नीयत करना वुज़ू शुरू करने से पहले करना अनिवार्य है या जब वह पैरों को धोने तक पहुंचे तो मसह करे या धो ले ॽ
2- एक व्यक्ति ने वुज़ू किया और अपने मोज़ों पर मसह किया, और अपने मोज़ों पर मसह करने के तुरंत पश्चात उसे याद आया कि मोज़ों पर मसह करने की अवधि समाप्त हो गई तो क्या वह मोज़ों को निकाल देगा और अपने दोनों पैरों को धुलेगा या दोनों मोज़ों को निकाल देगा और वुज़ू को नये सिरे से दोहरायेगा ॽ
उसने अपने मोज़ों पर मसह किया फिर उसे समय के समाप्त होने का याद आया तो क्या वह अपने पैरों को धोए या वुज़ू को दोहराये ॽ
प्रश्न: 147897
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
मोज़ों पर मसहकरने के जाइज़ होनेके लिए नीयत करनाशर्त नहीं है,यदि उसने पवित्रता(वुज़ू) की हालत मेंमोज़े पहने हैं, तो उसके लिएउन पर मसह करनाजाइज़ है, और उसकेलिए शर्त नहींहै कि वुज़ू से पहलेमसह करने की नीयतकरे,बल्कि जबवुज़ू में उसकीजगह पहुंचेगा तोउन पर मसह करेगाऔर उसके लिए वहकाफी होगा।
तथा शैख इब्नेउसैमीन रहिमहुल्लाहसे प्रश्न कियागया : क्या मोज़ोंपर मसह करने केजाइज़ होने के लिएयह शर्त है किवह उन पर मसह करनेही नीयत करे ॽ
तो उन्होंने उत्तर दिया: “यहाँ नीयतकरना अनिवार्यनहीं है,क्योंकियह ऐसा अमल है जिसकेमात्र पाए जानेपर हुक्म को लंबितकिया गया है,इसलिएनीयत की ज़रूरतनहीं है, जैसे कियदि कपड़ा पहन लेतो उसके लिए शर्तनहीं है कि वह इसकेद्वारा उदाहरणके तौर पर नमाज़के अंदर अपने शरमगाहको छिपाने की नीयतकरे, अतः मोज़े कोपहनने में इस बातकी नीयत करने कीशर्त नहीं है किवह उन पर मसह करेगा,और इसी तरह न अवधिकी नीयत करना हीशर्त है। बल्कियदि वह मुसाफिरहै तो उसके लिएतीन दिन मसह करनेकी अनुमति है चाहेउसकी नीयत करेया नीयत न करे,और यदिवह निवासी है तोउसके लिए एक दिनऔर एक रात है चाहेउसने उसकी नीयतकी हो या नीयत नकी हो।”मजमूओ फतावा इब्नेउसैमीन (11/117)
रही बात उसव्यक्ति कि जिसनेमोज़ों पर मसह कियाफिर उसे याद आयाकि मसह की अवधिसमाप्त हो गई है,तो यदियह मसह करने केतुरंत पश्चात हैजैसाकि प्रश्नकरने वाले ने वर्णनकिया है तो उसकेलिए काफी है किवह मोज़े उतार देफिर मात्र अपनेदोनों पैर धुलले,क्योंकिवुज़ू के अंगोंको धुलने के बीचनिरंतरता पाई गई,क्योंकिउसने सिर का मसहकरने और पैर धुलनेके बीच लंबे समयका अंतराल नहींकिया है।
लेकिन यदिउसका स्मरण करनावुज़ू से फारिगहोने की एक लंबीअवधि के बाद हुआहै तो उसके ऊपरवुज़ू को दोहरानाऔर दोनों पैर धुलनाअनिवार्य है,क्योंकिइस लंबे अंतरालके बाद वुज़ू केकुछ हिस्से कादूसरे हिस्से परबिना करना(जोड़ना) जाइज़ नहींहै।
देखिए: “अश्शरहुल मुम्ते” (1/355).
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर