मैं इस मस्अले का हुक्म जानना चाहता हूँ कि : यदि पति सुन्नत नमाज़ पढ़ रहा है और पत्नी उसी कमरे में फर्ज नमाज़ पढ़ रही है, किंतु दोनों अलग अलग हैं, तो क्या पत्नी के लिए ज़रूरी है कि वह पति के पीछे खड़ी हो, जैसे कि वह दूसरी सफ्फ में हो ॽ या उसके लिए जाइज़ है कि वह उसके एक या दो क़दम पीछे खड़ी हो ॽ या उसके लिए उसके बगल में खड़ा होना जाइज़ है लेकिन उससे थोड़ा दूर रहेगी ॽ अल्लाह तआला आपको सर्वश्रेष्ठ बदला प्रदान करे।
यदि पत्नी अपने पति के बगल में या उसके सामने अकेले नमाज पढ़े तो क्या उसकी नामज़ सही है ॽ
प्रश्न: 156199
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
जब उनमें से प्रत्येक अकेले नमाज़ पढ़ रहे हों,तो उसके लिए जहाँ वह चाहे खड़ा होना जाइज़ है,अपने पति के बगल में,या उसके सामने,या उसके पीछे ; क्योंकि उन दोनों के नमाज़ के बीच कोई लगाव और संबंध नहीं है।
और यदि वह उसकी इक़्तिदा कर रही है तो वह उसके पीछे नमाज़ पढ़ेगी,जैसाकि हदीस इस पर तर्क स्थापित करती है, बुखारी (हदीस संख्या : 380)और मुस्लिम (हदीस संख्या : 658)ने अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उनकी दादी मुलैका ने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को खाने पर आमंत्रित किया जिसे उन्हों ने आपके लिए तैयार किया था। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस से खाया फिर फरमाया : उठो ताकि मैं तुम्हारे लिए नमाज़ पढ़ूँ। अनस फरमाते हैं : मैं अपने एक चटाई की तरफ उठा जो लंबी अवधि से इस्तेमाल करने के कारण काली हो चुकी थी, और उस पर पानी छिड़क कर साफ किया, तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खड़े हुए,और मैं और एक छोटा बच्चा आप के पीछ खड़े हुए, और बूढ़ी औरत हमारे पीछे थी, तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमारे लिए दो रक्अत नमाज़ पढ़ी फिर चले गए।
और यदि मर्द और औरत एक साथ एक इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ें,या पुरूष और महिलाएं किसी इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ें,तो सुन्नत का तरीक़ा यह है कि महिलाएं, पुरूषों के पीछे खड़ी हों,किंतु यदि ऐसी अवस्था में औरत,मर्द की बराबरी में नमाज़ पढ़े तो जमहूर विद्वानों के निकट सब की नमाज़ सही है,क्योंकि कोई ऐसी दलील मौजूद नहीं है जो उसके बातिल (व्यर्थ) होने की अपेक्षा करती हो।
जबकि हनफिया इस बात की ओर गए हैं कि यदि औरत बिना किसी आड़ के पुरूषों के बगल में नमाज़ पढ़ती है : तो वह तीन पुरूषों के नमाज़ को नष्ट कर देगी : एक अपनी दाहिनी ओर के आदमी की, दूसरा अपनी बायीं ओर के आदमी की और तीसरा अपने पीछे वाले आदमी की,कुछ शर्तों के साथ जिन्हें उन्हों ने उल्लेख किया है, हालांकि उनका कथन मरजूह (अनुचित) है उसका कोई प्रमाण नहीं है, जैसाकि प्रश्न संख्या (79122)के उत्तर में उसका वर्णन हो चुका है।
किंतु मसअले के जिस रूप के बारे में प्रश्न किया गया है वह इस मतभेद के अंतर्गत नहीं आता है ;क्योंकि यहाँ औरत अकेले नमाज़ पढ़ रही है,अपने पति की इक़्तिदा नहीं कर रही है, और न ही वे दोनों एक साथ किसी इमाम की इक़्तिदा कर रहे हैं, इसलिए उन दोनों के नमाज़ के सहीह होने में कोई मतभेद नहीं है यद्यपि वह अपने पति के सामने खड़ी हो या उसके बराबर में खड़ी हो।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर