मैं पश्चिम के एक देश में एक छात्र हूँ और एक ऐसे शहर में निवास करता हूँ जिसमें एक थोड़ी संख्या के अलावा कोई इस्लामी समुदाय नहीं है, और मैं उनमें से किसी को नहीं जानता जो गरीब हो और क़ुर्बानी के गोश्त का ज़रूरतमंद हो। तो क्या बेहतर यह है कि मैं पढ़ाई के देश में क़ुर्बानी करूँ या अपने मूल देश में किसी को वकील बना दूँ जो मेरी ओर से क़ुर्बानी करे?
वह पश्चिम के देश में पढ़ाई करता है, तो क्या वह वहाँ क़ुर्बानी करे या किसी को वकील बना दे जो उसकी ओर से उसके देश में क़ुर्बानी करे?
प्रश्न: 159854
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर:
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
धर्मसंगत यह है कि क़ुर्बानी,क़ुर्बानीकरने वाले के स्थानपर होनी चाहिए।जिस तरह कि यह धर्मसंगत है कि क़ुर्बानीकरनेवाला अपनेक़ुर्बानी के जानवरको स्वयं ज़बह करेऔर उससे खाए।क़ुर्बानीका उद्देश्य मात्रगोश्त नहीं है,बल्कि उसकामक़सद इस धर्मकाण्डऔर धार्मिककृत्य का प्रदर्शनकरना है।
शैखसालेह अल-फौज़ानहफिज़हुल्लाह नेफरमाया :
‘‘नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमक़ुर्बानी और अक़ीक़ाके जानवर को मदीनामें अपने घर मेंज़बह करते थे, उन्हेंमक्का नहीं भेजतेथे, हालाँकिवह मदीना से बेहतरहै, और उसमेंऐसे गरीब लोग थेजो हो सकता है मदीनाके गरीबों से अधिकज़रूरतमंद रहेहों।इसके बावजूदआप ने उस स्थानकी पाबंदी की जिसकेअंदर अल्लाह नेइबादत की अदायगीकरना निर्धारितकिया है।चुनाँचेआप ने हज्ज की क़ुर्बानीके जानवर (हदी) कोमदीना मे नहींज़बह किया, और न तो अक़ीक़ाऔर क़ुर्बानी केजानवर को मक्काभेजा, बल्किहर प्रकार के जानवरको उसके उस स्थानपर ज़बह किया जिसमेंउसे ज़बह करना धर्मसंगतहै। ”और सबसे श्रेष्ठमुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका तरीक़ा है, और सबसेबुरा मामला नयीअविष्कार करली गई चीज़ें (नवाचार)हैं, और हरबिदअत (नवाचार) पथभ्रष्टताहै।’’
‘‘अल-मुन्तक़ामिन फतावा अल-फौज़ान’’(10/50) सेसाप्त हुआ।
यहीमूल सिद्धांत है: कि क़ुर्बानी करनेवालाअपने उस स्थानमें क़ुर्बानी करेजिसमें वह उपस्थितिहै, और किसीको अपनी ओर से किसीदूसरे देश मेंवकील न बनाए।
किंतू. . यदि क़ुर्बानीकरनेवाला एक देशमें है, और उसका परिवारकिसी दूसरे देशमें है, तो अगर वह दोजानवर ज़बीहा पेशकर सकता है, एक अपनेदेश में, और दूसरा अपनेपरिवार के पास,तो यही सर्वश्रेष्ठहै। यदि वह इसमेंसक्षम नहीं हैतो उसके लिए कोईआपत्ति की बातनहीं है कि वह अपनेपरिवार के पासपैसे भेज दे ताकिवे उसकी ओर से अपनेदेश में क़ुर्बानीकरें।
शैखइब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाहसे पूछा गया :
वह व्यक्तिजो अपने देश सेदूर इस देश मेंआया है, और उसके वहाँबाल बच्चे हैं,और वे लोगयहाँ से अधिक ज़रूरतमंदहैं, क्याउसके लिए बेहतरयह है कि वह अपनेक़ुर्बानी के जानवरको यहाँ ज़बह करेया उन्हें पैसेभेज दे ताकि वेइसकी ओर से क़ुर्बानीकरें?और आप, अल्लाह आपकोतौफीक़ प्रदानकरे, कुछ मुसलमानदेशों में सख्तज़रूरत को जानतेहै।
तो उन्होंने उत्तर दिया: मैं इस स्थितिमें यह उचित समझताहूँ कि वह यहाँऔर वहाँ दोनोंजगह क़ुर्बानी करे।अगर वह इसमें सक्षमनहीं है तो वहाँक़ुर्बानी करे ताकिउसके घर वाले इनशुभ दिनों मेंक़ुर्बानी से लाभान्वितहो सकें।’’
”अल्लिक़ाअश्शहरी” (1/440) से समाप्तहुआ।
तथाउनसे यह भी प्रश्नकिया गया कि :
हम इसदेश के नहीं हैं,और आपकेऊपर यह बात रहस्यनहीं है कि हमारेघर वाले कुर्बानीऔर उसके गोश्ततथा चमड़े से लाभउठाने के सबसेअधिक ज़रूरतमंदहैं, और आमतौरपर वे गरीबीसे पीड़ित होतेहैं, तो क्याहमारे लिए संभवहै कि हम उनके पासक़ुर्बानी के जानवरकी क़ीमत भेज देंऔर किसी को अपनीओर से प्रतिनिधित्वकरने के लिए वकीलबना दें, जबकि ज्ञातरहे कि इसका मक़सदइस धार्मिककृत्य (अनुष्ठान)का प्रदर्शन करनाहै?
तो उन्होंने उत्तर दिया:
”यदिइन्सान किसी देशमें है और उसकेघर-परिवार वालेदूसरे देश मेंहैं, तो उसकेऊपर कोई आपत्तिकी बात नहीं हैकि वह किसी को वकीलबना दे जो उसकेपरिवार वालों केपास उसकी ओर सेक़ुर्बानी करे ताकिउसके परिवार वालेक़ुर्बानी से खुशीका अनुभव करेंऔर उससे लाभ उठासकें ; क्योंकिअगर उसने परदेशमें क़ुर्बानी की,तो कु़र्बानी केगोश्त को कौन खाएगा?संभावितहै कि वह किसी कोन पाए जिसे दानकर सके। इसलिएहम उचित समझतेहैं कि जिसके घर-परिवारवाले हैं वह क़ुर्बानीके जानवर की क़ीमतको अपने घर वालोंके पास भेज दे औरवे लोग वहाँ क़ुर्बानीकरें।’’
अल्लिक़ाअश्शहरी’’ (2/306) से समाप्तहुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर