मैं ने फत्वा संख्या : (37039) का उत्तर पढ़ा है, लेकिन यहाँ दक्षिण अफ्रीक़ा में हम क़ुर्बानी के जानवरों को प्राप्त करने के लिए गैर-मुसलमानों पर भरोसा करते हैं। इन किसानों की यह आदत है कि बचपन के दौरान जानवरों के पूंछ काट देते हैं, ताकि ये जानवर मोटे हो सकें। इसलिए बिना पूंछ कटे हुए जानवर की प्राप्ति हमारे लिए दुर्लभ होती है। तो क्या हमारे लिए इन जानवरों को खरीदना और उनकी क़ुबानी करना जायज़ है?
पूंछ या नितंब कटे हुए जानवर की क़ुर्बानी करने का हुक्म, और यदि सही सलामत जानवर न मिले तो क्या हुक्म है?
प्रश्न: 160316
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर:
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्वप्रथम :
पूंछकटे हुए क़ुर्बानीके जानवर और नितंबकटे हुए जानवरके बीच अंतर करनाज़रूरी है। क्योंकिविद्वानों के सबसेउचित कथन के अनुसार, पूंछका कटा होना क़ुर्बानीके जानवर की शुद्धताको प्रभावित नहींकरता है, जबकिनितंब के काटनेका मामला इसकेविपरीत है।
इब्नेक़ुदामा अल-मक़दसीकहते हैं : पुच्छरहित जानवर, यानीजिसके पूंछ नहींहोती, चाहे वहपैदायशी हो याकाट दी गई हो, किफायतकरेगा … क्योंकियह एक ऐसी कमी हैजो न गोश्त को कमकरती है और न उद्देश्यमें रूकावट बनतीहै, तथा इसके बारेमें निषेध भी वर्णितनहीं है।’’
‘‘अल-मुगनी’’ (13/371).
तथाउन्हों ने फरमाया: ‘‘वह जानवर काफीनहीं होगा जिसकाकोई अंग काट दियागया हो,जैसेकि नितंब।’’ समाप्तहुआ। ‘‘अल-मुगनी’’ (13/371).
तथाशैख इब्ने उसैमीनने फरमाया : वह जानवरजिसकी, पैदायशीतौर पर, पूंछ न होया वह कटी हुई हो: किफायत करेगा. . . , रही बात नितंबकटे हुए जानवरकी, तो वह पर्याप्तनहीं होगा ;क्योंकिनितंब एक मूल्यवाली चीज़ है औरअपेक्षित व उद्देश्यपूर्णहै।
इस आधारपर, यदि भेड़ कानितंब काट दियागया है तो वह काफीनहीं होगा, और अगरबकरी की पूंछ काटदी गई है तो वह काफीहोगी।’’समाप्तहुआ।‘‘अश्शरहुलमुम्ते’’ 7/435.?
तथाउन्हों ने यह भीफरमाया कि : ‘‘रहीबात नितंब कटेहुए जानवर की तोविद्वानों ने कहाहै कि : वह किफायतनहीं करेगा ; क्योंकिनितंब एक लाभदायकव अपेक्षित अंगहै, इसके विपरीतभेड़-बकरी, गायऔर ऊँट में पूंछअपेक्षित नहींहै।इसीलिएउसे काटकर फेंकदिया जाता है।इसी तरह ऑस्ट्रेलियाईबकरे की पूंछका भी मामलाहै, क्योंकिवह नितंब की तरहनहीं है, बल्किवह गाय की पूंछके समान है, उसमेंकोई अपेक्षित चीज़नहीं है।चुनांचेऑस्ट्रेलियाईबकरे की क़ुर्बानीजायज़ है ; क्योंकिउसकी कटी हुई पूंछकिसी काम की नहींहै।’’ शैख इब्नेउसैमीन की बातसमाप्त हुई।‘‘जलसातुलहज्ज’’ (पृष्ठ:108).
प्रश्नसंख्या : (37039) के उत्तरमें नितंब कटेहुए जानवर की क़ुर्बानीके जायज़ न होनेके बारे में स्थायीसमिति का फत्वाउल्लेख किया जाचुका है।
दूसरा:
आपकेऊपर क़ुर्बानी केऐसे जानवर को तलाशकरने की भरपूरकोशिश करना अनिवार्यहै जिसका नितंबकटा हुआ न हो। तथाजबतक आपके लिएहर दोष से सहीसलामत बकरी कीप्राप्ति संभवहै, आपके लिए नितंबकटी हुई बकरी कीक़ुर्बानी करनाकाफी नहीं है।
यदिआप निर्दोष बकरीप्राप्त करने मेंसक्षम नहीं है,तो धर्म संगत यहहै कि आप किसी दूसरेक़िस्म के जानवरकी तरफ स्थानांतरितहो जायें जो क़ुर्बानीमें पर्याप्तहोते हैं। चुनांचेआप इस दोषपूर्णभेड़ को छोड़ दें, और बकरेकी क़ुर्बानी करें, यदिउसे दोषरहित पाएं, या गायकी क़ुर्बानी करें(और इसी के समानभैंस भी है) या ऊँटकी क़ुर्बानी करें; चुनाँचेआप लोगों में सेहर सात लोग एक गाय, याएक ऊँट में साझेदारहो जायें, और जोव्यक्ति स्वैच्छिकरूप से अकेले एकगाय या एक ऊँट कीक़ी क़ुर्बानी करनाचाहे, तो वह ऐसाकर सकता है, और अगरउसमें सात से कमलोग साझेदार होतेहैं तो यइ भी उनकेलिए अनुमेय है, परंतुएक गाय या एक ऊँटमें सात से अधिकलोग साझेदार नहींहो सकते।
लेकिनअगर नितंब न कटीहुई भेड़-बकरीकी प्राप्ति दुर्लभहो जाए ;इस कारणकि देश में मौजूदसभी बकरियाँ इसीप्रकार हों, और आपकेलिए इनके अलावाचौपायों – जिनकाउल्लेख किया जाचुका है – कीक़ुर्बानीकरना संभव नहो, तो ऐसी स्थितिमें यही प्रत्यक्षहोता है कि उनकीक़ुर्बानी करनाजायज़ है। विशेषकरजबकि बकरी-वालेऐसा बकरी के हितके लिए करते हैं, और इसेकोई ऐसा ऐब(दोष) नहींसमझते हैं जिससेउसके मूल्य मेंकमी होती है ; क्योंकिऐसी स्थिति मेंनिषेध के कथन सेइस्लाम के प्रतीकोंमें से एक प्रतीकऔर अनुष्ठान कोनिलंबित करना निष्कर्षिकतहोगा।
और क़ुर्बानीके प्रतीक वअनुष्ठान के प्रदर्शनका हित,ऐबदारजानवर की क़ुर्बानीकरने की खराबीसे बढ़कर है। औरविद्वानों के यहाँयह निर्धारितव निश्चित नियम(सिद्धांत) है कि: ‘‘आसान वउपलब्ध चीज़ दुर्लभकी वजह से समाप्तनहीं होगी।’’ अर्थातवह चीज़ जिसे अपेक्षिततरीक़े पर करनाआसान नहीं है, बल्किउसका कुछ हिस्साही करना संभव है,तो वह समाप्त नहींहो जायेगी, बल्किउसमें से जितनाकरने की शक्तिहै उसे किया जायेगा।
यह नियमया मूल सिद्धांतकनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके इस कथन से लियागया है : ‘‘जब मैंतुम्हें किसी चीज़के करने का आदेशकरूँ, तो तुम अपनीयथाशक्ति उसे करो।’’ इसेबुखारी (हदीससंख्याः 7288) और मुस्लिम(हदीस संख्याः1337) ने रिवायत कियाहै।तथा देखिए:सुयूती की ‘‘अल-अश्बाहवन-नज़ाइर‘‘ (पृष्ठ:159).
तथाअल-इज़्ज़ बिन अब्दुस्सलामने फरमाया : ‘‘जिसेआज्ञाकारिता केकामों में से किसीचीज़ का मुकल्लफबनाया गया(यानी दायित्वसौंपा गया), तो वहउसमें कुछ को करनेमें सक्षम और कुछको करने मेंअसमर्थ है, तो वहउस चीज़ को अंजामदेगा जिसमेंवह सक्षम है, और वहचीज़ उससेसमाप्त हो जायेगीजिस में वह असमर्थहै।’’ समाप्तहुआ। ‘‘क़वाइदुलअहमाक’’(2/7).
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर