मैं ने छह साल पूर्व एक बैंक र्से आर्थिक ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र दिया था, उस समय मुझे सूद का हुक्म ज्ञात नहीं था, मैं ने वह धन प्राप्त कर लिया और थोड़ी अवधि के लिए कुछ क़िस्तों का भुगतान भी शुरू कर दिया। फिर इसके कुछ महीनों के बाद मैं ऋण समेत अपनी बचत की राशि लेकर देश के बाहर चला गया, जहाँ मैं ने अचल संपत्ति खरीद ली और शादी कर ली, और उसी समय से बैंक को भुगतान नहीं किया।
अब जबकि मुझे पता चल गया कि यह हराम (निषिध) है, तो मैं इस पैसे को बैंक को वापस लौटाने के लिए तैयार हूँ, किन्तु मैं छह साल तक भागे रहने के कारण क़नूनी दायित्व और जवाबदेही से भयभीत हूँ। और मामला मेरे जेल जाने तक पहुँच सकता है, तो क्या ऐसी स्थिति में मेरे लिए जाइज़ है कि मैं इस धन को बैंक को वापस करने के बजाय गरीबों और निर्धनों के लिए निकाल दूँ ॽ
वह बैंक को पैसे लौटाने पर पूछताछ किए जाने और जेल में बंद किए जाने से डरता है तो क्या वह उसे दान कर दे
प्रश्न: 160824
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्व प्रथम :
सूद पर उधार लेना जाइज़ नहीं है,और जो व्यक्ति इस मेंपड़ गया है वह अल्लाह सर्वशक्तिमान से पश्चाताप करे,और उसके लिए केवल मूलधन को ही वापस लौटाना ज़रूरी है।जहाँ तक व्याज का संबंध है तो वह उस के लिएज़रूरी नहीं है,और वह उसे समाप्त करने और उसका भुगतान न करनेके लिए उपाय कर सकता है,जब तक कि उस पर उसके लिए कोई नुकसान निष्कर्षितन होता हो।
दूसरा :
आप के ऊपर किसी भी संभावित तरीक़े से बैंक कोऋण वापस करना अनिवार्य है,और आप के लिए उस धन का सदक़ा करना काफी (पर्याप्त)नहीं है ;क्योंकि सदक़ा उस समय किया जाता है जब हक़ वाले का पता न चले याउसके पास तक पहुँचना संभव न हो, अतः इंसान उस हक़ का सदक़ा कर देगा इस आधार पर कि जबउस का मालिक मिलेगा उसे उस सदक़ा को लागू करने या उस हक़ को लेने के बीच चयन करने काअधिकार होगा।
यहाँ पर हक़ वाला बैंक है और वह मौजूद है, अतः उसे वह पैसा लौटाना अनिवार्य है और आप कोई ऐसा उपाय खोजें जो आप को जवाबदेही और सज़ा से छुटकारा दे सके।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर