मेरे पति एक व्यापारी हैं, जिसका मतलब यह है कि उनके ऊपर बहुत सारी ज़िम्मेदारियाँ हैं, लेकिन उनके पास एक पार्टनर भी है जो उनका स्थान ले सकता है यदि वह हज्ज के फरीज़ा की अदायगी के लिए जाना चाहें। लेकिन एक दूसरा मुद्दा भी है और वह यह कि मैं गर्भवती हूँ और हज्ज से सात हफ्ते पहले अपने गर्भ को जन्म दूँगी। समस्या यह है कि मैं जोड़ों में कुछ दर्द से पीड़ित हूँ जो मेरे चलने-फिरने की शक्ति में बाधा डालती है। और स्वभाविक रूप से जनने के बाद स्थिति और खराब हो जाएगी। मेरे पति के अलावा मेरे परिवार का कोई अन्य सदस्य भी नहीं है जो इस परिस्थिति में मेरा सहयोग करे और बच्चों की देख-रेख कर सके . . . इसलिए मैं समझती हूँ कि सबसे अच्छा यही है कि वह अगले वर्ष तक हज्ज को विलंब कर दें, तो क्या यह एक सही उज़्र है?
क्या वह अपनी पत्नी की बीमारी की वजह से हज्ज को विलंब कर देगा
प्रश्न: 170799
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्व प्रथम:
मुसलमान परअनिवार्य है किजब भी उसके पाससामर्थ्य हो वहहज्ज के फरीज़ाकी अदायगी करनेमें शीघ्रता सेकाम ले। क्योंकिनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका फरमान है : ”हज्ज- अर्थात अनिवार्यहज्ज – करने मेंशीघ्रता से कामलो, क्योंकितुम में से कोईनहीं जानता किउसके साथ क्या(समस्या या रूकावट)पेश आ जाए।” इसेअहमद (हदीस संख्या: 2721) ने रिवायत कियाहै और अल्बानीने इरवाउल गलील(हदीस संख्या : 990)में सहीह कहा है।
तथा आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका फरमानहै :
”जिसने हज्जका इरादा कियाहै, उसे जल्दी करनाचाहिए।” इसे अल्बानीने सहीह अबू दाऊद(हदीस संख्या :1524) में हसन करार दियाहै।
दूसरा :
यदि औरत कोउसके पति के हज्जके फरीज़ा की अदायगीके लिए यात्राकरने से वास्तविकनुक़सान पहुँच सकताहै, तोइस हालत में पति के लिएअगले साल तक हज्जको विलंब करनाजायज़ है, क्योंकि अल्लाहका फरमान है:
وَلِلَّهِ عَلَى النَّاسِ حِجُّ الْبَيْتِ مَنْ اسْتَطَاعَإِلَيْهِ سَبِيلا [آل عمران : 97]
‘‘अल्लाहतआला ने उन लोगोंपर जो उस तक पहुँचनेका सामर्थ्य रखतेहैं इस घर का हज्जकरना अनिवार्यकर दिया है।” (सूरत आल-इम्रान: 97) और अपने परिवारपर भय के साथ वहसक्षम नहीं है।
लेकिन . . यदिपति के लिए संभवहै कि वह उसके पासअपने रिश्तेदारोंमें से किसी महिलाया कोई नौकरानीछोड़ दे, तो उके ऊपरअनिवार्य है किवह हज्ज के लिएयात्रा करे, और हज्ज करनेके बाद वह मक्कामें लंबे समय तकन ठहरे। यदि ऐसासंभव नहीं है औरउसकी पत्नी अपनेसाथ उसकी उपस्थितिकी ज़रूरतमंद हैतो उसके ऊपर हज्जको विलंब करनेमें कोई आपत्तिकी बात नहीं है, और वह माज़ूर(क्षम्य) समझा जायेगा।
और अल्लाहतआला ही सबसे अधिकज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर