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यदि क़ुरबानी का जानवर ज़बह करने से पहले क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसका क्या हुक्म है?

प्रश्न: 178524

मैंने इस वर्ष अल-जमइय्यह अश-शरइय्यह (शरई संस्था) के अधीन मस्जिद के माध्यम से क़ुर्बानी करने का इरादा किया। चुनाँचे मैं दूसरे लोगों के साथ एक बछड़े में छः हिस्से में से एक हिस्से के साथ भागीदार हुआ, और शरई संस्था को 2000 पाउंड भुगतान किया गया, और उन्हों ने क़ुर्बानी के जानवर खरीदे, और भागीदार लोगों की संख्या के हिसाब से हर भागीदार समूह के लिए उनका क़ुर्बानी का जानवर निर्धारित कर दिया, पूर्व सहमति के अनुसार हर पाँच या छः या सात लोगों के लिए एक क़ुर्बानी का जानवर (निर्धारित किया गया)। लेकिन ईद की फज्र से कुछ घण्टे पहले मेरे लिए विशिष्ट क़ुर्बानी का बछड़ा मर गया, और उसके एवज़ में मुझे कोई धन वापस नहीं मिला; क्योंकि मैंने क़ुर्बानी का जानवर खरीद लिया था और वह खरीदने के बाद और क़ुर्बानी करने से पहले मर गया। इसलिए मैंने एक दूसरा क़ुर्बानी का जानवर तलाश किया और 1000 पाउंड की एक बकरी ज़बह की। प्रश्न यह है किः सबसे पहले इस हालत में क्या करना ठीक और अनिवार्य है? दूसराः क्या यह भलाई से वंचित होना एक सज़ा है जो मुझे मेरे पापों के कारण मिली है?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

उत्तरः

हर प्रकार कीप्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

1-यदि मनुष्य क़ुर्बानी का जानवर निर्धारित कर दे, फिर उसकी लापरवाही और अति केबिना वह मर जाए तो उसके ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है।

इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ‘‘अल-मुग़्नी’’ (9/353) में फरमाते हैं :

‘‘यदि क़ुर्बानी का जानवर उसके हाथ में उसकी लापरवाही के बिना क्षतिग्रस्त हो जाए, या चोरी हो जाए, या गुम हो जाए तो उसके ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य नहींहै। क्योंकि वह उसके हाथ में अमानत है, अतः अगर उसने कोताही नहीं की है तो वदीआ केसमान वह उसका ज़ामिन (ज़िम्मेदार) नहीं होगा।’’ अंत हुआ। देखिएः मर्दावी की पुस्तक‘‘अल-इंसाफ़’’ (4/71).

2-यदि उसने स्वयं या किसी अन्य ने उसे क्षतिग्रस्त कर दिया है तो जो व्यक्ति उसको क्षतिग्रस्त करने का कारण बना है, वह उसकी क़ीमत या उसके बदले दूसरे जानवर का ज़ामिन होगा।

इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ‘‘अल-मुग़नी’’ (9/352) में फरमाते हैं :

‘‘अगर उसने अनिवार्य क़ुर्बानी के जानवर को नष्ट कर दिया, तो उसके ऊपर उसकीक़ीमत अनिवार्य है, क्योंकि वह क़ीमत लगाई जानेवाली चीज़ों में से है, और उस दिनकी क़ीमत का एतिबार किया जाएगा जिस दिन उसने उसे नष्ट किया है।’’

जब यह स्पष्ट होगयाः तो आपके ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है, क्योंकि आप ने क़ुर्बानी के जानवर कोनष्ट नहीं किया है, और न तो आप ने उसकी सुरक्षा करने में कोई लापरवाही की है।

रही बात आप ने इसकेबाद क़ुर्बानी की नीयत से (दूसरा) जानवर ज़बह किया है तो यह एक अच्छी बात है,जिसपर इन शा अल्लाह आपको अज्र मिलेगा। हालांकि आपके ऊपर उसके बदले में दूसरा जानवरज़बह करना अनिवार्य नहीं था। लेकिन जब आप ने कर ही लिया है तो यह ऐच्छिक (नफ्ल)है, और आपकी ओर से भलाई में वृद्धि है, इन शा अल्लाह।

तथा आपकी क़ुर्बानीके जानवर के मर जाने में कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिससे यह इंगित होता हो कि यह एकप्रकार की महरूमी या ईश्वरीय दण्ड, या इस तरह की कोई चीज़ है। बल्कि किसे मालूम किशायद वह एक परीक्षा हो जिसपर आपको पुण्य़ मिलेगा। इसके साथ-साथ आप ने भलाई करने केलिए प्रयास किया है, फिर अल्लाह ने आपके लिए मुक़द्दर किया कि आप ने नष्ट हो जानेवाले क़ुर्बानी के जानवर के बदले एक दूसरा क़ुर्बानी का जानवर ज़बह किया। यह सब,इन शा अल्लाह, आप के लिए भलाई और नेकी में वृद्धि है।

शैखुल इस्लाम इब्नेतैमिय्या रहिमहुल्लाह ने फरमायाः

‘‘दृढ़ संकल्प यदिमनुष्य उसके साथ वह चीज़ करता है जिसकी वह शक्ति रखता है तो वह शरीअत में संपूर्णकार्य करनेवाले के समान हैः उसे उस संपूर्ण कार्य करनेवाले का सवाब और उस संपूर्णकार्य करनेवाले का दण्ड मिलेगा जिसने पूरा अपेक्षित कार्य किया हो, ताकि उसे उसचीज़ पर पुरस्कृत और दंडित किया जाए जो उसकी क्षमता के क्षेत्र से बाहर है, उदाहरणके तौर पर नेकी के कामों पर सहयोग करने वाले और उसमें भागीदार लोग।’’

‘मजमूउल फतावा(10/722-723) से समाप्त हुआ। तथा देखिएः ‘मजमूउल फतावा (23/236).

हम अल्लाह तआला सेप्रार्थना करते हैं कि वह आप के और समस्त मुसलमानों के नेक कार्य को स्वीकार करे।

और अल्लाह तआला हीसबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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