मेरी शादी को दो साल से अधिक हो गए हैं। मैंने कई अवसरों पर अपनी पत्नी को तलाक़ दिया है। पहली बार, मैंने एक पाठ संदेश द्वारा दो तालक़ दिए, जबकि वह भारत में थी और मैं संयुक्त राज्य अमेरिका में था और उसके आने का इंतज़ार कर रहा था। हम दोनों के बीच बहस होने के कारण उस समय मैं गुस्से में था। लेकिन मेरा इरादा तलाक़ को लागू करने का नहीं था। मैंने पढ़ा है कि अगर तलाक़ का इरादा मौजूद नहीं है, तो लिखित तलाक़ को नहीं माना जाता है। क्या यह बात सही हैॽ दूसरे अवसर पर, मैंने ऊपर उल्लिखित समान कारणों के लिए लगातार दो तालक़ दिए, लेकिन इस बार वह मेरे पास थी और तलाक सीधे, आमने-सामने दिया गया था। और उस समय भी मैं गुस्से में था। यहाँ मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जिसे बहुत जल्दी गुस्सा आता है। जब मुझे गुस्सा आता है, तो मैं अपने आप पर और अपने शब्दों पर नियंत्रण खो देता हूँ। तीसरी बार, मैंने उसे लगातार तीन तालक़ दिए, जबकि मैं पिछले दो बार की तुलना में अधिक क्रोध की स्थिति में था। मैं अपने विचारों को एकत्र नहीं कर सका, और मैं यह याद नहीं रख सका कि वास्तव में क्या हुआ था, जिसने मुझे ऐसा करने के लिए उत्तेजित कर दिया। मैंने उसे छोड़ने का कभी इरादा नहीं किया। मैं केवल इतना करना चाहता था कि उसे डराया जाए और उसे एहसास दिलाया जाए कि स्थिति गंभीर है। अब मुझे क्या करना चाहिएॽ
उसने गुस्से में उसे कई बार तलाक़ दे दिया
प्रश्न: 184851
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सर्व प्रथम :
लिखित तलाक़ इस शर्त के साथ संपन्न हो जाती है कि तलाक़ देने का इरादा पाया जाए। इसलिए यदि कोई व्यक्ति तलाक़ के शब्दों को लिखता है, लेकिन उसका इरादा नहीं करता है, बल्कि वह अपनी पत्नी को डराने और उसे चिंता में डालने का इरादा रखता है, तो वह तलाक़ संपन्न नहीं होगा। तथा प्रश्न संख्या : (72291) का उत्तर देखें।
दूसरा :
गुस्से की अवस्था में दी गई तलाक़ के बारे में एक विस्तृत विवरण है, जिसका उल्लेख प्रश्न संख्या (96194) और (22034) के उत्तर में किया जा चुका है।
उसका सारांश यह है कि अत्यधिक क्रोध जिसमें एक आदमी को पता नहीं होता है कि वह क्या कह रहा है, वह तलाक़ के संपन्न होने में रुकावट है। यही हुक्म उस अत्यधिक क्रोध पर भी लागू होता है जो एक व्यक्ति को तलाक़ देने पर उत्तेजित करता है, भले ही वह यह जानता हो कि वह क्या कह रहा है।
जहाँ तक हल्के गुस्से का संबंध है, जो तलाक़ देने के लिए किसी व्यक्ति की इच्छा को प्रभावित नहीं करता है, तो उस गुस्से की स्थिति में तलाक़ हो जाएगी।
जिसने भी तीन या दो तलाक़े दी हैं, राजेह कथन (सही राय) के अनुसार वह एक ही तलाक़ होगी।
आपके प्रश्न से पता चलता है कि अंतिम तलाक़ नहीं होगी।
जहाँ तक इससे पहले हुए तलाक़ की बात है, तो वह उपर्युक्त विवरण के अनुसार होगा : अगर इसके साथ होने वाला गुस्सा अत्यधिक था, जैसा कि हमने वर्णन किया है, तो वह तलाक़ भी नहीं होगी। लेकिन अगर गुस्सा हल्का था, तो वह एक तलाक़ होगी।
आपको को अल्लाह से डरना चाहिए और गुस्से की स्थिति में अपनी ज़बान को तलाक़ से रोक रखना चाहिए। क्योंकि तलाक़ को इसके लिए वैध नहीं किया गया है। ऐसा करके आप अपने घर को विनाश और बर्बादी से ग्रस्त कर रहे हैं।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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