मेरी हाल ही में शादी हुई है। मैं और मेरी पत्नी परिवार निर्माण से पहले हज्ज के कर्तव्य को पूरा करने के लिए जाना चाहते हैं। हमारा कुछ धन समाप्त हो गया है, किन्तु हमारे पास अभी कुछ सोना बाक़ी रह गया है जो हमने तोहफे के रूप में पाया था। हम चाहते हैं कि उसे गिरवी रखकर कुछ धन हासिल कर लें ताकि हम उसके द्वारा हज्ज करने के लिए जायें।
तो क्या इस तरीक़े से और इस तरह के धन से हज्ज करना जायज़ है या कि बेहतर यह है कि हम उसे बेच ही दें?
और क्या उस सोने में उसके गिरवी रखे होने की हलत में ज़कात अनिवार्य है?
क्या उसके लिए सोने को गिरवी रखना जायज़ है ताकि वह और उसकी पत्नी हज्ज करने के लिए धन प्राप्त कर सकें?
प्रश्न: 198148
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सर्व प्रथम:
आप दोनों परइस धन के द्वाराजिसे आप दोनोंने उधार लिया है, हज्ज करनेमें कोई आपत्तिकी बात नहीं है, जबकि आपकेपास सोना या उसकेअलावा कोई अन्यचीज़ मौजूद है, जिसके द्वारा, अदायगी केदुर्लभ होने कीस्थिति में, क़र्ज का भुगतानकरना संभव है।
गिरवी रखनाकिताब व सुन्नतऔर इजमाअ (विद्वानोंकी सर्वसहमति)से जायज़ है।
और उसका उद्देश्यक़र्ज़ को सुदृढ़करना है ; ताकि क़र्जदेनेवाला, क़र्ज़दारसे अपने हक़ की अदायगीको सुनिश्चित करसके।
अल्लाह तआलाने फरमाया :
وَإِنْ كُنْتُمْ عَلَى سَفَرٍ وَلَمْ تَجِدُوا كَاتِبًا فَرِهَانٌمَقْبُوضَةٌ فَإِنْ أَمِنَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا فَلْيُؤَدِّ الَّذِي اؤْتُمِنَ أَمَانَتَهُوَلْيَتَّقِ اللَّهَ رَبَّهُ [البقرة : 283]
”औरयदि तुम सफ़रमें हो औरकिसीलिखनेवाले कोन पा सको,तो गिरवीरखकर मामलाकरो। फिर यदितुम आपस मेंएक दूसरे सेसन्तुष्ट हो, तोजिसे अमानत दीगई है उसेचाहिए कि वह उसेअदा कर दे औरअल्लाह सेडरता रहे, जोउसका रब(पालनहार) है।”(सूरतुलबक़राः 283).
और इसमें कोईआपत्ति की बातनहीं है कि गिरवीसोने से हो, या चाँदी सेया इसके अलावाअन्य धनों से हो, क्योंकि अल्लाहतआला का कथन ( (فَرِهَانٌمَقْبُوضَةٌयानी”गिरवी रखलिया करो” सर्वसामान्यहै।
स्थायी समितिके विद्वानों सेप्रश्न किया गया:
हमारे पासएक दोस्त आता है, और उसके पाससोना है, वह एक धन राशिमाँगता है, हम उसे धनराशि दे देते हैंऔर धन राशि के बदलेमें सोना ले लेतेहैं यहाँ तक किवह भुगतान कर दे।तो इसका क्या प्रावधानहै?
तो समिति केविद्वानों ने उत्तरदिया : ”चाँदी मेंसोना, और सोना मेंचाँदी रहन (गिरवी)रखना जायज़ है।”
स्थायी समितिके फतावा (13/480) से समाप्तहुआ।
तथा समितिके विद्वानों सेयह भी पूछा गयाकि :
मेरे पास बिजलीके उपकरणों कोक़िस्तों पर बेचनेके लिए एक संस्थाहै, औरवह गिरवी रखनेकी विधि से है ; ग्राहक आताहै और एक निर्धारितमूल्य पर मुझसेबिजली के सामानखरीदता है, तो मैं उससेसोने की गिरवीमांगता हूँ जोउस मूल्य के बराबरया उससे कुछ कमहोता है। चुनाँचेवह मेरे पास अमानतरहता है यहाँ तककि वह अपने ऊपरअनिवार्य सभी क़िस्तोंका कुछ निर्धारितज्ञात महीने केदौरान भुगतान करदे। जब ग्राहकउन सभी क़िस्तोंका उस अवधि मेंभुगतान कर देताहै जिस पर समझौताकिया गया है, तो मैं उसेपूरी गिरवी उसीतरह वापस कर देताहूँ जिस तरह किमैं ने उससे प्राप्तकिया था। तो क्यामैं जो तरीक़ा अपनारहा हूँ वही गिरवीका सहीह शरई तरीक़ाहै?
तो उन्होंने उत्तर दिया:
”आपका उस आदमीसे, जो एक विलंबितसमय के लिए क़र्ज़के द्वारा कोईसामान खरीदता है,यह मुतालबा करनाकि वह उस क़र्ज़ केबदले में उसकेबराबर सोना याइसी तरह की कोईचीज़ गिरवी रखे,शरीअत की दृष्टिसे जायज़ है ; क्योंकि गिरवीरखना क़ुरआन, हदीस और इजमाअ(विद्वानों कीसर्वसहमति) सेसाबित है। क्योंकिगिरवी (रहन) की वास्तविकताक़र्ज़ को किसी ऐसीचीज़ के द्वारासुदृढ़ करना हैजिसका शरीअत कीदृष्टि से बेचनाजायज़ हो, ताकि यदि क़र्ज़दारसे क़र्ज़ की आपूर्तिदुर्लभ हो जाए, तो रहन (गिरवी)या उसकी क़ीमत सेक़र्ज़ की आपूर्तिकी जा सके। लेकिनआपके ऊपर रहन कीरक्षा करना अनिवार्यहै ; क्योंकिवह आपके पास अमानतहै, औरजब रहन रखनेवालाअपने ऊपर अनिवार्यक़र्ज़ का भुगतानन करे, या रहन कोबेचकर आपको उसकीक़ीमत से भुगतानन करे ; तो उसको बेचनेऔर उससे आपका हक़लेने के लिए शरईअदालत की तरफ लौटाजायेगा।”
”फतावा स्थायीसमिति” (11/140-141) से अंतहुआ।
तथा रहन (गिरवी)की वैधता की तत्वदर्शिताऔर रहस्य जाननेके लिए प्रश्नसंख्याः (132648) का उत्तरदेखें।
दूसरा :
अगर गिरवीरखा हुआ सोना निसाब(अर्थात ज़कात अनिवार्यहोने की न्यूनतममात्रा) को पहुँचजाए, या आपके पासकोई दूसरा सोनाहो जिसके साथ मिलकरवह निसाब को पहुँचजाए, तो उसपर सालबीत जाने पर उसमेंज़कात अनिवार्यहै, औरउसका क़र्ज के बदलेमें गिरवी रखाहुआ होना उसमेंज़कात अनिवार्यहोने में रूकावटनहीं है ; क्योंकिवह उसका पूरी तरहसे मालिक है।
इसके लिए प्रश्नसंख्या : (99311) का उत्तरदेखें।
और अल्लाहतआला ही सबसे अधिकज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर