रमज़ान के अतिरिक्त, यदि मैं सोमवार और जुमेरात को बिना सेहरी खाए रोज़ा रखना चाहूँ (तो क्या रख सकता हूँ) क्योंकि मैं फ़ज्र के लिए उठने और सेहरी करने में सक्षम नहीं हूँ। तो क्या बिना सेहरी खाए रोज़ा रखना जायज़ हैॽ
शैख़ इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने फ़रमाया : “.. रोज़ा के सही (मान्य) होने के लिए सेहरी खाना शर्त नहीं है, बल्कि यह मुस्तहब (वांछनीय) है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : “सेहरी खाओ, क्योंकि सेहरी खाने में बरकत है।” (सहीह बुख़ारी व सहीह मुस्लिम).