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क्या गरमी में मोज़ों पर मसह करना जाइज़ है ?

प्रश्न: 20431

मैं अक्सर कुछ नमाज़ियों को देखता हूँ कि वे अपने वुज़ू में मोज़ों पर मसह करते हैं यहाँ तक कि गरमी के मौसम में भी, आप से अनुरोध है कि मुझे इसकी वैधता के बारे में अवगत करायें, और उन दोनों में से निवासी के लिए कौन सा सर्वश्रेष्ठ है दोनों पैरों के धोने के साथ वुज़ू करना या मोज़ों पर मसह करने के साथ, यह बात ज्ञात रहे कि जो लोग मसह करते हैं उनके पास कोई उज़्र (कारण) नहीं होता है, किंतु वे कहते हैं कि : इसकी अनुमति (छूट) है।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है। तथा अल्लाह के संदेष्टा पर शांति और दया अवतरित हो। इसके बाद:

मोज़ों और जुर्राबों पर मसह करने के जाइज़ होने पर दलालत करने वाली सहीह (शुद्ध) हदीसों का सामान्य अर्थ जाड़े और गरमी दोनों में मसह करने की वैधता पर तर्क स्थापित करता है। और मैं कोई ऐसा शरई (धार्मिक) प्रमाण नहीं जानता हूँ जो जाड़े के समय को विशिष्ट करता हो, किंतु वह मोज़े या जुर्राब पर उसके मोतबर शर्तों के बिना मसह नहीं कर सकता है, उन्हीं शर्तों में से यह है कि मोज़ा वुज़ू के अंदर अनिवार्य स्थान को ढांपे हुए हो, उसे पवित्रता (वुज़ू) की अवस्था में पहना गया हो, तथा अवधि का ध्यान रखा जाये जो कि निवासी के लिए एक दिन और एक रात है तथा मुसाफिर के लिए तीन दिन तीन रात है, जिसका आरंभ, विद्वानों के अधिक शुद्ध कथन के अनुसार, अपवित्र होने के पश्चात मसह करने के समय से होता है। और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला है।

स्रोत

मजमूओ फतावा व मक़ालात मुतनौविआ लि-समाहतिश्शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह (10/113)

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