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उस पर व्यभिचार का आरोप लगाया गया जबकि वह बेगुनाह है, और उसके पास अपनी बेगुनाही का कोई सबूत व प्रमाण नहीं है। तो वह क्या करे?

प्रश्न: 216444

कुछ लोगों ने एक लड़की पर व्यभिचार का आरोप लगाया हालांकि वह उससे बरी (निर्दोष) है, तो ऐसी स्थिति में उसे क्या करना चाहिए? क्या वह इसे नज़रअंदाज़ कर दे, और अल्लाह तआला पर भरोसा करे ताकि वह उसे निर्दोष और बेगुनाह साबित कर दे। जबकि ज्ञात रहे कि उसके पास अपनी बेगुनाही का कोई प्रमाण नहीं है। केवल अल्लाह ही उसकी बेगुनाही का साक्षी है। लोग उसे बुरी नज़र से देखते हैं, तथा लोगों ने उसका बहिष्कार कर दिया है। यह सब केवल एक आदमी की वजह से हुआ है जिसने अपने बुरे कार्यों पर पर्दा डालने के लिए उससे बदला लिया है। कृपया आप सलाह दें।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार
की प्रशंसा और
गुणगान केवल अल्लाह
के लिए योग्य है।

सर्व
प्रथम
:

लोगों
की इज़्ज़त व आबरू
(सतीत्व) में पड़ने
से ज़ुबान की रक्षा
और बचाव करना ज़रूरी
है। तिर्मिज़ी
(हदीस संख्या :
2616) ने मुआज़ बिन जबल
रज़ियल्लाहु
अन्हु से रिवायत
किया है और उसे
सहीह कहा है कि
उन्हों ने नबी
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम से कहा
: ऐ अल्लाह के नबी! क्या हम
जो कुछ बात कहते
हैं उस पर हमारी
पकड़ होगी? तो आप ने
फरमाया :
‘‘ऐ मुआज़! तुम्हारी
माँ तुझे गुम पाए,
क्या लोगों
को उनके चेहरों
के बल या उनकी नाक
के बल जहन्नम में
उनकी ज़ुबानों की
कमाईयाँ नहीं डालेंगी?”

अल्बानी
ने सहीह तिर्मिज़ी
में इसे सहीह कहा
है।

पाकदामन
पवित्राचारिणी
महिला पर आरोप
लगाना ज़ुबान की
बुराइयों, बड़े
गुनाहों
और बुरे कार्यों
में से है,
और जिस व्यक्ति
ने किसी पाकदामन
महिला पर व्यभिचार
का आरोप लगाया
वह फासिक़ (अवज्ञाकारी)
है,
उसकी गवाही
को रद्द कर दिया
जायेगा,
और उसे अस्सी
कोड़े दण्ड के
रूप में लगाये
जायेंगे। अल्लाह
तआला ने फरमाया:

وَالَّذِينَ
يَرْمُونَ الْمُحْصَنَاتِ ثُمَّ لَمْ يَأْتُوا بِأَرْبَعَةِ شُهَدَاءَ
فَاجْلِدُوهُمْ ثَمَانِينَ جَلْدَةً وَلَا تَقْبَلُوا لَهُمْ شَهَادَةً أَبَدًا
وَأُولَئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَإِلَّا الَّذِينَ تَابُوا مِنْ بَعْدِ
ذَلِكَ وَأَصْلَحُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ

[النور :4-5]

”और जो लोग
पाक दामन औरतों
पर (व्यभिचार का)
आरोप लगाएँ फिर
(अपने दावे पर) चार
गवाह पेश न करें
तो उन्हें अस्सी
कोड़े मारो और फिर
कभी उनकी गवाही
क़बूल न करो और (याद
रखो कि) ये लोग स्वयं
बदकार
(अवज्ञाकारी) हैं।
सिवाय
उन लोगों के
जो इसके पश्चात
तौबा कर लें
और सुधार कर
लें, तो
निश्चय ही
अल्लाह बहुत
क्षमाशील,
अत्यन्त
दयावान है।”
(सूरतुन्नूर
: 4-5)

तथा
अल्लाह के पैगंबर
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम ने फरमाया
:
‘‘और जिसने
किसी असत्य चीज़
के बारे में वाद-विवाद
किया जबकि वह उसे
जानता है,
तो वह निरंतर
अल्लाह के क्रोध
में रहता है यहाँ
तक कि वह उससे बाहर
निकल जाए,
और जिसने किसी
मोमिन के बारे
में कोई ऐसी बात
कही जो उसमें नहीं
है तो अल्लाह तआला
उसे रदगतुल खबाल
में निवास देगा
यहाँ तक कि वह उससे
बाहर निकल जाए
जो उसने कहा है।”
इसे अबू दाऊद (हदीस
संख्या : 3579) वगैरह
ने रिवायत किया
है और अल्बानी
ने सहीह कहा है।

तथा
अल्लाह के पैगंबर
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम ने यह भी
फरमाया : ”जिसने
अपने गुलाम को
व्यभिचार से आरोपित
किया उस पर क़ियामत
के दिन हद (शरई दण्ड)
क़ायम किया जायेगा,
सिवाय इसके कि
वह उसी तरह हो जिस
तरह उसने कहा है।”
इसे मुस्लिम (हदीस
संख्या : 1660) ने रिवायत
किया है।

बन्दे
को अच्छी तरह मालूम
होना चाहिए कि
बदला कार्य ही
के जिन्स
(प्रकार) से मिलता
है,
और यह कि
जिसने अपने मुसलमान
भाई को अपमानित
करने का प्रयास
किया,

और उसकी
खामियों को तलाश
किया,

तो करीब
है कि अल्लाह तआला
उसे जल्द ही उसकी
सज़ा दे दे और उसे
लोगों के बीच अपमानित
कर दे।

तिर्मिज़ी
(हदीस संख्या :
2032) ने इब्ने उमर रज़ियल्लाहु
अन्हुमा से रिवायत
किया है कि उन्हों
ने कहा : अल्लाह
के पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
मिंबर पर चढ़े और
एक ऊँचे स्वर में
आवाज़ लगाते हुए
कहा : ”ऐ उन लोगों
के समूह जिसने
अपनी ज़ुबान से
इस्लाम स्वीकार
किया है और उसके
दिल में ईमान नहीं
प्रवेश किया है!
मुसलमानों को कष्ट
न पहुँचाओ,
उन्हें ताना
मत दो और उनकी त्रुटियाँ
न ढूँढों
;
क्योंकि जिसने
अपने मुसलमान भाई
की त्रुटि तलाश
की,
अल्लाह
उसकी त्रुटि ढूँढे
गा,
और जिसकी
त्रुटि अल्लाह
तलाश करे तो उसे
अपमानित कर देगा
चाहे वह अपने
घर के भीतर ही क्यों
न हो।” इसे अल्बानी
ने सहीह तिर्मिज़ी
में सहीह कहा है।

दूसरा
:

इस महिला
पर, जिसपर झूठा
व्यभिचार का आरोप
लगाया गया है : अपनी
बेगुनाही पर सबूत
स्थापित करना ज़रूरी
नहीं है,
बल्कि वह अपने
मूल इस्लाम से
ही इस आरोप से मुक्त
और बरी
(निर्दोष) है,
और किसी के
लिए इस बात की अनुमति
नहीं है कि वह बिना
किसी शरई सबूत
के उसे इसके
अलावा किसी चीज़
से आरोपित करे।
और शरई सबूत यह
है कि : चार न्याय
प्रिय मुसलमान
गवाह उसके ऊपर
गवाही दें,
उन में से
हर एक यह कहे कि
उसने उसे ऐसा करते
हुए देखा है,
या वह स्वयं
अपने ऊपर इसको
स्वीकार कर ले।
और जब तक ऐसा
नहीं होता है : वह
बरी और बेगुनाह
है,
किसी के
लिए यह जायज़ नहीं
है कि वह उसे इसके
अलावा किसी चीज़
से आरोपित करे।
और जिसने उसके
ऊपर इसका आरोप
लगाया : उसके ऊपर
क़ज़्फ (झूठी तोहमत
लगाने) का हद (दण्ड)
क़ायम किया जायेगा,
और वह फासिक़
(अवज्ञाकारी),
और झूठा होगा
उसकी गवाही रद्द
कर दी जायेगी।
यदि वह ऐसे देश
में नहीं है जहाँ
मज़लूम (अत्याचार
से पीड़ित) के साथ
न्याय किया जाता
है और जिसमें झूठा
आरोप लगाने वाले
अत्याचारी पर शरीअत
का दण्ड लागू किया
जाता है,
तो वह यथाशक्ति
अपने आप से उसको
दूर करने की भरपूर
प्रयास करेगी,
तथा अपने मामले
में निम्न चीज़ों
का पालन करेगी
:

– वह
परोक्ष और प्रत्यक्ष
सभी स्थितियों
में अल्लाह तआला
का भय रखे,
क्योंकि अल्लाह
तआला मज़लूमों और
अत्याचार ग्रस्त
लोगों का समर्थन
करता है और ईमानवालों
का पक्ष धरता है,
अल्लाह तआला
ने फरमाया
:

إِنَّ اللَّهَ يُدَافِعُ عَنِ الَّذِينَ آمَنُوا [الحج: 38]

”निश्चय ही
अल्लाह उन
लोगों की ओर
से प्रतिरक्षा
करता है,
जो
ईमान लाए।” (सूरतुल
हज्ज : 38)

– आप
अल्लाह से मदद
मांगें और धैर्य
से काम लें,
क्योंकि जो
भी अल्लाह से किसी
भलाई पर मदद मांगता
है ताकि उसे प्राप्त
करे या किसी बुराई
पर ताकि उसे दूर
कर दे तो अल्लाह
तआला उसकी मदद
करता है। और जिसने
सब्र से काम लिया
उसी के लिए परिणाम
है,
तथा मुस्लिम
(हदीस संख्या :2999) ने सुहैब
रज़ियल्लाहु अन्हु
से रिवायत किया
है कि उन्हों ने
कहा : अल्लाह के
पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लमने फरमाया
:

मोमिन
(अल्लाह तआला में
विश्वास रखने वाले)
का मामला बड़ा अनोखा
है कि उसके प्रत्येक
मामले में भलाई
है और यह विशेषता
केवल मोमिन ही
को प्राप्त है,
यदि उसे प्रसन्नता
प्राप्त होती है
और वह उस पर आभार
प्रकट करता है
तो यह उसके लिये
भला होता है,
और यदि उसे
कोई शोक (कष्ट) पहुंचता
है जिस पर वह धैर्य
से काम लेता है
तो यह उसके लिये
भला होता है।’’ (मुस्लिम)

तथा
अहमद (हदीस संख्या
: 2800) ने रिवायत किया
है कि आप सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
ने फरमाया : ”….
और यहा बात
जान लो कि जो तुम
नापसंद करते हो
उस पर धैर्य करने
में बहुत भलाई
है,
और यह कि
मदद व समर्थन सब्र
के साथ है,
और परेशानी
के साथ आसानी है,
और तंगी के
साथ आसानी है।”
(इसे अल्बानी ने
”ज़िलालुल जन्नह”
(1/125) में सहीह कहा
है।)

– वह
अपने आपसे जहाँ
तक हो सके उन सन्देहों
और आरोपों को हटाए
और दूर करे जो उसे
घेरे हुए हैं,
और इस संबंध
में सबसे बेहतर
तरीक़ा यह है कि
लोग उसके चाल-ढाल,
तरीक़े,
वेश-भूषा और
कार्य से ऐसी चीज़
देखें जिसके द्वारा
वे स्वयं ही उससे
इस असत्य और झूठ
चीज़ का खण्डन करें।

– वह अल्लाह
से विशुद्ध और
सच्ची दुआ करे
कि वह उसे इस परेशानी
से नजात दिलाए,
और उससे बुराई
को दूर करे,
क्योंकि अल्लाह
तआला का फरमान
है:


أَمَّنْ يُجِيبُ الْمُضْطَرَّ إِذَا دَعَاهُ وَيَكْشِفُ السُّوءَ وَيَجْعَلُكُمْ
خُلَفَاءَ الْأَرْضِ أَإِلَهٌ مَعَ اللَّهِ قَلِيلًا مَا تَذَكَّرُونَ
[النمل : 62].

‘‘वह कौन
है जो परेशान हाल
की पुकार का उत्तर
देता है जब वह उसे
पुकारे,
और उस की
संकट को दूर करता
है और तुम्हें
धरती का खलीफा
(उत्तराधिकारी)
बनाता है। क्या
अल्लाह के साथ
कोई अन्य पूज्य
भी है? तुम लोग बहुत
कम ही नसीहत पकड़ते
हो।’’ (सूरतुन
नम्ल : 62)

तथा
लाभ के लिए प्रश्न
संख्या : (112134) और (149276) का
उत्तर देखें।

और अल्लाह
तआला ही सबसे अधिक
ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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