क्या भाई की तरफ से अपने ज़रूरतमंद भाई (जो कि बाल बच्चों वाला है और काम करता है किंतु उसकी आय उसके लिए काफी नहीं है) को ज़कात देना जायज़ है ? इसी तरह क्या गरीब चाचा के लिए (ज़कात) जायज़ है ? तथा क्या औरत अपने धन की ज़कात अपने भाई, या अपनी फूफी, या अपनी बहन को दे सकती है ?
भाई, बहन, चाचा, फूफी और रिश्तेदारों को ज़कात भुगतान करने का हुक्म
प्रश्न: 21810
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
पुरूष या महिला के लिए अपने धन की ज़कात गरीब भाई, गरीब बहन, गरीब चाचा, गरीब फूफी तथा अन्य गरीब रिश्तेदारों को देने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। बल्कि उन्हें ज़कात देना सदक़ा और रिश्तेदारी निभाना दोनों है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ‘‘मिसकीन को सदक़ा देना दान है, और रिश्तेदार को सदक़ा देना दान और सिला रेहमी (रिश्तेदारी निभाना) है।” इसे इमाम अहमद (हदीस संख्या : 15794) और नसाई (हदीस संख्या : 2582) ने रिवायत किया है।
किंतु माता पिता अगरचे वे ऊपर तक चले जायें (जैसे दादा दादी …), तथा नर या मादा संतान (यानी बेटे व बेटियाँ) अगरचे वे नीचे तक चले जायें (जैसे पोते पोतियाँ …) इस नियम से अपवाद रखते हैं, चुनाँचे इन्हें ज़कात नहीं दी जायेगी चाहे वे गरीब ही हों, बल्कि उसके लिए अनिवार्य है कि उनके ऊपर अपने धन से खर्च करे अगर वह इसकी ताक़त रखता है और उसके अलावा उनपर खर्च करनेवाला कोई और मौजूद नहीं है।
इस्लाम प्रश्न और उत्तर
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद