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जिहाद की हिकमत (बुद्धिमत्ता)

प्रश्न: 21961

क्या जिहाद का अर्थ गैर-मुस्लिमों को क़त्ल करना होता है ?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हरप्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

जिहादका शाब्दिक अर्थ है : मनुष्य का अपनी कोशिश और ताक़त का लगाना।

शरीअतकी इस्तिलाह में जिहाद का मतलब है : अल्लाह के कलिमा को सर्वोच्च करने और उसके धर्मको धरती पर जमाने के लिए अपनी कोशिश लगाना।

इस्लाममें जिहाद का मतलब ग़ैर-मुस्लिमों को क़त्ल करना नहीं है,बल्कि उसकाअभिप्राय धरती पर अल्लाह के धर्म को स्थापित करना,उसकी शरीयत (धर्म शास्त्र) केअनुसार फैसला करना और मनुष्यों को मनुष्यों की पूजा से निकालकर मनुष्यों के पालनहारकी पूजा की तरफ, और धर्मों के अत्याचार व अन्याय से इस्लाम के न्याय की तरफ लानाहै, अल्लाह तआला का फरमान है :

وقاتلوهمحتى لا تكون فتنة ويكون الدين كله لله [الأنفال:39] .

”और उनसे लड़ाई करो यहाँ तक कि फित्नाबाक़ी न रहे और दीन पूरा का पूरा अल्लाह का हो जाए।” (सूरतुल अंफाल : 39)

शैखअब्दुर्रहमान अस-सअदी ने इस आयत की व्याख्या करते हुए फरमाया :

अल्लाहतआला ने अपने रास्ते में लड़ाई का उद्देश्य उल्लेख किया है,और यह किउसका मक़्सद काफिरों का खून बहाना और उनका धन हथियाना नहीं है,बल्कि उसकामक़्सद यह है कि समुचित रूप से धर्म अल्लाह के लिए हो जाए। चुनाँचे अल्लाहका धर्म अन्य सभी धर्मों पर गालिब आ जाए, और उसके विरूद्ध जो शिर्क (अनेकेश्वरवाद) आदि है उसे दूर करदे, और ”फित्ना” से मुराद यही है। अतः जब उद्देश्यऔर मक़्सद प्राप्त हो जाए तो फिर कोई क़त्ल और लड़ाई जायज़ नहीं है। ”तफ्सीर इब्ने सअदी”(पृष्ठ : 98).

तथाकाफिर लोग जिनसे हम जिहाद करते हैं, वे स्वयं जिहाद से लाभान्वित होते हैं,क्योंकि हमउनसे जिहाद और लड़ाई इसलिए करते हैं ताकि वे अल्लाह के मक़बूल व पसंदीदा धर्म में प्रवेशकरें, और यह उनके लिए दुनिया व आखिरत में मुक्ति का कारण है, अल्लाहतआला ने फरमाया :

كُنْتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍأُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَتُؤْمِنُونَبِاللَّهِ[آل عمران : 110]

”तुमसब से अच्छी उम्मत हो जो लोगों के लिए पैदा की गई है कि तुम नेक कामों का हुक्म देतेहो और बुरे कामों से रोकते हो, और अल्लाह पर ईमान रखते हो।” (सूरत आल-इम्रान:110)

तथाबुख़ारी (हदीस संख्या : 4557) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है किउन्हों ने फरमाया : ﴾كُنْتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍأُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ﴿”तुम सब से अच्छी उम्मत हो जोलोगों के लिए पैदा की गई है।” अर्थात तुम लोगों के लिए लोगों में सबसे अच्छे हो,तुम उन्हेंउनके गले में ज़ंजीरें डाल कर लाओगे ताकि वे इस्लाम में प्रवेश करें।

इब्नुलजौज़ी ने फरमाया : इसका अर्थ यह है कि वे बंदी बनाए गए और बाँध दिए गए,फिर जब उन्हेंइस्लाम की प्रामाणिकता और सत्यता का पता चला तो वे स्वेच्छा पूर्वक इस्लाम में प्रवेशकर लिए, अतः वे स्वर्ग में दाखिल हुए।” इब्नुलजौज़ी की बात समाप्त हुई।

प्रश्नसंख्या (20214) के उत्तर में हम ने जिहाद की श्रेणियों का उल्लेख किया है और वे चारश्रेणियाँ हैं: नफ्स से जिहाद, शैतान से जिहाद,कुफ्फार से जिहाद और मुनाफिक़ीन से जिहाद।

तथाप्रश्न संख्या (34647) के उत्तर में जिहाद की हिकमत (बुद्धिमत्ता) का उल्लेख किया गया,अतः उसे देखेंक्योंकि यह महत्वपूर्ण है, और इस प्रश्न में उसी की जानकारी मांगी गई है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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