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पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के दौरान या किसी अन्य समय में (रात की नमाज़) ग्यारह रकअत से अधिक नहीं नहीं पढ़ते थे

Question: 222372

एक व्यक्ति का कहना है : आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा की वह हदीस जिसमें उन्होंने ग्यारह रकअत नमाज़ के बारे में बात की है, वह तहज्जुद या वित्र की नमाज़ के बारे में है, तरावीह के बारे में नहीं है। इस पर आपकी क्या टिप्पणी है?

Answer

Praise be to Allah, and peace and blessings be upon the Messenger of Allah and his family.

तहज्जुद, वित्र और तरावीह की नमाज़ सभी क़ियामुल-लैल (रात की नमाज़) या तरावीह की संज्ञा के अंतर्गत आते हैं, लेकिन तरावीह विशेष रूप से रमज़ान में क़ियामुल-लैल को कहा जाता है।

आयशा रजियल्लाहु अन्हा के शब्द वास्तव में रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रात की नमाज़ का उल्लेख करते हैं, जो हर उस नमाज़ को शामिल हैं जो आप रात के समय पढ़ते थे।

बुखारी (हदीस संख्या : 3569) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 738) ने अबू सलमा बिन अब्दुर-रहमान से बयान किया है कि उन्होंने आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से पूछा : रमजान के दौरान अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ कैसे थी?  तो उन्हों ने फरमायाः ''नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के महीने या किसी अन्य महीने में ग्यारह रकअत से अधिक नहीं पढ़ते थे। आप चार रकअतें पढ़ते थे तो आप उनकी लंबाई और ख़ूबसूरती के बारे में मत पूछें। आप फिर चार रकअतें पढ़ते थे तो आप उनकी लंबाई और ख़ूबसूरती के बारे में मत पूछें। फिर आप तीन रकअतें पढ़ते थे। मैंने कहा: हे अल्लाह के रसूल, क्या आप वित्र की नमाज़ अदा करने से पहले सो जाते हैं? आप ने फरमाया : "मेरी आँखें सोती हैं लेकिन मेरा दिल नहीं सोता है।"

इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने कहा :

''बुखारी में आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णित है कि रात में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ सात और नौ रकअत होती थी। इसके बाद बुखारी और मुस्लिम ने इब्ने अब्बास की हदीस से बयान किया कि रात में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  की नमाज़ तेरह रकअत होती थी और दो रकअत फज्र के बाद सुबह की सुन्नत पढ़ते थे। तथा ज़ैद बिन ख़ालिद की हदीस में है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दो हल्की (संक्षिप्त) रकअतें फिर दो लंबी रकअतें नमाज़ पढ़ीं। और उन्होंने पूरी हदीस को उल्लेख किया, और उसके अंत में कहा: तो वह तेरह रकअत हुई। क़ाज़ी ने कहा : विद्वानों ने कहा: इन हदीसों में इब्ने अब्बास, ज़ैद और आयशा रज़ियल्लाहु अन्हुम में से प्रत्येक ने उस चीज़ की सूचना दी है जो उन्हों ने देखा है।'' उद्धरण समाप्त हुआ।

इन सहाबा में से प्रत्येक ने कुल संख्या का जिक्र किया है जो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  रात में पढ़ा करते थे, जिसमें तहज्जुद और अन्य नमाज़ें शामिल हैं।

हाफ़िज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने उल्लेख किया है कि आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा का कथनः ''नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रात के समय की नमाज़ सात और नौ रकअत थी।'' तो इसका मतलब यह है कि ऐसा अलग अलग समय पर हुआ है।

तथा उनका अपने कथनः ''नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के महीने या किसी अन्य महीने में ग्यारह रकअत से अधिक नहीं पढ़ते थे।'' का मतलब यह है कि यह सबसे अधिक नमाज़ है जो आप रात को पढ़ा करते थे, और आप इससे अधिक नहीं पढ़ते  थे।

जहाँ तक उनके इस कथन का संबंध है किः ''नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तेरह रकअत नमाज़ अदा की।'' तो हाफिज़ इब्ने हजर ने इसके बारे में दो संभावनाओं का जिक्र किया है : प्रथम संभावना यह है कि आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा ने रात की नमाज़ में इशा की सुन्नत को जोड़ा दिया है। क्योंकि वह रात में पढ़ी जाती है। और दूसरी संभावना यह है कि हो सकता है कि उन्होंने उन दो हल्की (संक्षिप्त) रकअतों को जोड़ दिया हो जिनसे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रात की नमाज शुरू करते थे। हाफ़िज़ (इब्ने हजर) ने कहा : मेरे विचार में यह सबसे अधिक संभावित है…।'' (फत्हुल-बारी)

इससे यह स्पष्ट हो गया कि आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा का तात्पर्य यह था कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रात में कुल कितनी नमाज पढ़ते थे, और यही बात विद्वानों ने उनकी हदीस से समझी है।

अधिक लाभ के लिए प्रश्न संख्याः (9036) का उत्तर भी देखें।

और अल्लाह ही सबसे अघिक ज्ञान रखता है।

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