अल्लाह से क्षमा याचना करना दिल के जीवन का कारण है
प्रश्न: 225558
क्या यह कहना सही है किः इस्तिग़फार (अल्लाह से क्षमा याचना करना) दिलों के जीवन का कारण है?
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार
की प्रशंसा और
गुणगान केवल अल्लाह
के लिए योग्य है।
इस्तिग़फार
(अल्लाह से क्षमा
याचना करना) दिल
के जीवन,
उसके मार्गदर्शन
और उसके प्रकाश
का कारण है। क्योंकि
वह अल्लाह की दया
व करूणा का कारण
है,
अल्लाह
तआला ने फरमाया:
لَوْلَا تَسْتَغْفِرُونَ اللَّهَ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ [النمل :46]
”तुम अल्लाह
से क्षमा याचना
क्यों नहीं करते
ताकि तुम पर दया
किया जाए।”
(सूरतुन नम्ल:
46)
तथा कुछ पूर्वजों
का कथन है : ”अल्लाह
किसी ऐसे बन्दे
को इस्तिगफार करने
की प्रेणना नहीं
देता जिसे वह यातना
देना चाहता है।”
”एहयाओ उलूमिद्दीन”
(1/313) से अंत हुआ।
तथा इस्तिग़फार
करना अल्लाह के
स्मरण में से है,
और अल्लाह के स्मरण
से दिलों को जीवन
मिलता है।
इब्नुल क़ैयिम
रहिमहुल्लाह ने
फरमाया:
‘‘अल्लाह का स्मरण
करना दिल के जीवन
का परिणाम देता
है।’’
मदारिजुस्सालिकीन
(2/29) से अंत हुआ।
इस्तिग़फार
करना गुनाह से
दिलों का उपचार
है,
जो कि हर
मुसीबत और आपदा
का आधार (जड़) है।
क़तादा कहते हैं
: ‘‘क़ुरआन तुम्हें
तुम्हारी बीमारी
और तुम्हारे उपचार
(दवा) का पता देता
है,
रही तुम्हारी
बीमारी की बात
तो वह तुम्हारे
गुनाह हैं और जहाँ
तक तुम्हारी दवा
का संबंध है,
तो वह इस्तिग़फार
है।’’
‘‘शोअबुल ईमान’’ (9/347) से अंत हुआ।
इस्तिग़फार
दिल की सफाई करने
और उसे चमकाने,
तथा ज़ंग और गंदगी,
लापरवाही और चूक
से स्वच्छ रखने
के सबसे महान कारणों
में से है।
इब्नुल क़ैयिम
रहिमहुल्लाह ने
फरमाया:
मैं ने शैखुल
इस्लाम इब्ने तैमिय्या
रहिमहुल्लाह से
एक दिन कहा : कुछ
विद्वानों से प्रश्न
किया गया कि बन्दे
के लिए तस्बीह
करना सबसे अधिक
लाभदायक है या
इस्तिगफार करना?
तो उन्हों
ने कहा : यदि कपड़ा
साफ सुथरा हो : तो
बुखूर (धूनी) और
गुलाब जल उसके
लिए अधिक लाभदायक
है,
और यदि
वह गंदा है तो : साबून
और गरम पानी उसके
लिए अधिक लाभदायक
है।
तो आप रहिमहुल्लाह
ने मुझसे कहा : तो
उस समय क्या होना
चाहिए जबकि कपड़ा
निरंतर गंदा ही
है?”
‘‘अल-वाबिलुस सैयिब’’ (पृष्ठ : 92) से अंत
हुआ।
इस उपमा (उदाहरण)
में धूनी और गुलाब
जल से अभिप्राय
: तस्बीह आदि है।
और साबून से
मुराद : इस्तिगफार
है,
क्योंकि
वह गुनाहों से
ऐसे ही पवित्र
और साफ फर देता
है जिस तरह साबून
शरीर और कपड़े को
साफ कर देता है।
मुस्लिम (हदीस
संख्या : 2702) ने अगर्र
अल-मुज़नी रज़ियल्लाहु
अन्हु से रिवायत
किया है कि अल्लाह
के पैंगबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लमने फरमाया
: ‘‘मेरे दिल पर
परछाईं आती रहती
है,
और मैं
अल्लाह से दिन
में सौ बार इस्तिगफार
(क्षमा याचना) करता
हूँ।’’
शैखुल इस्लाम
इब्ने तैमिय्या
रहिमहुल्लाह ने
फरमाया : गैन एक
बारीक पर्दा है
जो बादल से अधिक
पतला होता है।
तो अल्लाह के पैगंबर
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम ने सूचना
दी है कि आप अल्लाह
से इतना इस्तिगफार
करते थे जो दिल
से पर्दा को हटा
देता था।’’
मजमूउल
फतावा’’ (15/283) से अंत
हुआ।
तथा अहमद
(हदीस संख्या :
8792),
और तिर्मिज़ी
(हदीस संख्या :
3334) ने अबू हुरैरा
रज़ियल्लाहु अन्हु
से रिवायत किया
है किया है कि अल्लाह
के पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लमने फरमाया
: ‘‘मोमिन व्यक्ति
जब पाप करता है
तो उसके दिल में
एक काला धब्बा
पड़ जाता है,
यदि उसने तौबा
कर लिया और उससे
निकल गया और इस्तिगफार
किया तो उसके दिल
को साफ व चमकदार
कर दिया जाता है,
और यदि उसने पाप
में वृद्धि कर
दी तो वह धब्बा
बढ़ जाता है यहाँ
तक कि उसके दिल
पर छा जाता है।
तो वह वही ज़ंग (मुर्चा,
ठप्पा) है,
जिसे अल्लाह ने
क़ुरआन में उल्लेख
किया हैः
كَلا بَلْ رَانَ عَلَى قُلُوبِهِمْ مَا كَانُوا يَكْسِبُونَ [سورة المطففين : 14].
”कदापि
नहीं,
बल्कि
जो कुछे वे किया
करते थे उसके कारण
उनके दिलों पर
ज़ंग लग गए।”
(सूरतुल
मुतफ्फिफीनः
14)
इसे अल्बानी ने
सहीह तिर्मिज़ी
(हदीस संख्या :
2654) में हसन का है।
अतः इस्तिगफार
करना दिल के जीवन
और उसकी सफेदी
को बहाल कर देता
है जिसमें कुछ
उसने हो सकता है
गुनाहों के कारणवशा
खो दिया हो।
तथा अधिक जानकारी
के लिए प्रश्न
संख्या (104919) का उत्तर
देखें।
और अल्लाह
तआला ही सबसे अधिक
ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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