जिसने रमज़ान के दौरान किसी दूसरे शहर की यात्रा की और उनके साथ रोज़ा पूरा किया, यहाँ तक कि उसने जो कुल रोज़ा रखा वह इकत्तीस दिन हो गया। इकत्तीसवें दिन उसने, अपने शहर के लोगों का पालन करते हुए रोज़ा रखा। फिर उस दिन के दौरान उसने यात्रा की और यात्रा की वजह से उसने रोज़ा तोड़ दिया। क्या उसके लिए रोज़ा क़ज़ा करना अनिवार्य हैॽ और क्या उसके लिए रोज़ा तोड़ना अनिवार्य है यदि वह उदाहरण के तौर पर ज़ुहर (दोपहर) के बाद अपने परिवार के शहर पहुँचा जबकि वे लोग रोज़े से नहीं थे क्योंकि वह उनके यहाँ ईद का दिन थाॽ
उसने शहर के लोगों का अनुकरण करते हुए 31 दिनों का रोज़ा रखा, फिर उसी दिन के दौरान उसने यात्रा किया और यात्रा की वजह से उसने रोज़ा तोड़ दिया, क्या उसके लिए क़ज़ा करना अनिवार्य हैॽ
प्रश्न: 231279
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर :
हरप्रकार कीप्रशंसा औऱगुणगान केवलअल्लाह के लिएयोग्य है।
मैं ने यह सवालशैख़ अब्दुर्रहमानअल बर्राकहफिज़हुल्लाहतआला के सामनेपेश किया।
तो उन्होंने उत्तरदिया :
“हाँ,उसके लिएरोज़ा क़ज़ाकरनाअनिवार्य है, क्योंकिइस दिन कारोज़ा उसकेऊपर अनिवार्य थाऔर उसने एकउज़्र के कारणरोज़ा तोड़दिया था।
और यदि वह ऐसे शहरमें पहुँचे जहाँके लोग रोज़ेसे न हों तोउसके लिए उनकेसाथ रोज़ातोड़ देनाअनिवार्य है,क्योंकि उसकाहुक्म उस शहरके लोगों काहुक्म हैंजिसमें वहपहुँचा है।
लेकिन अगरउसने फ़ज्र (सुबह)होने से पहले यात्राकी हैः तो उसकेलिए कुछ भीअनिवार्य नहींहै ; क्योंकिफ़ज्र उदयहोने से पहले उसपर रोज़े काहुक्म लागूनहीं होगा।”समाप्त हुआ।
तथा लाभ के लिएदेखें : (71203), (45545), (217122)।
और अल्लाहतआला ही सबसेअधिक ज्ञानरखता है।
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद