क्या चीन में हड्डियों से बनाए गए बर्तनों में खाना जायज़ हैॽ मुझे उन हड्डियों के स्रोत के बारे में पता नहीं है जिनसे उन्हें चीन में बनाया जाता है।
मृत पशु की हड्डी और उससे बनाए गए बर्तनों का हुक्म
प्रश्न: 258312
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
अह्ले किताब (यहूदी व ईसाई) के अलावा मुश्रिकीन जो भी ज़बह करते हैं वह मृत (मुर्दार) है, भले ही ज़बह किया गया जानवर ऐसा हो जिसके गोश्त को खाने की अनुमति है।
जहाँ तक मृत जानवरों की हड्डियों से लाभ उठाने का संबंध है, चाहे वे ऐसे जानवर की हों जिसका गोश्त खाया जाता है या नहीं खाया जाता है, उसके बारे में विद्वानों ने मतभेद किया है कि वह पवित्र है या हलाल हैॽ
जमहूर विद्वान उसके अपवित्र होने की ओर गए हैं, जबकि हनफिय्या ने इनका विरोध करते हुए उनके पवित्र होने की बात कही है।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“मृत की हड्डी नापाक है, चाहे उस मृत जानवर का मांस खाया जाता हो, या उसका मांस न खाया जाता हो, और वह किसी भी हाल में पाक नहीं हो सकती। यह मालिक, शाफेई और इसहाक़ … का मत है।
जबकि सौरी और अबू हनीफ़ा उसके पवित्र होने की ओर गए हैं; क्योंकि मृत्यु उसमें प्रवेश नहीं करती है, इसलिए वह, बाल की तरह, अपवित्र नहीं होगी।
तथा इसलिए कि मांस और चमड़े में अपवित्र होने का कारण रक्त और आर्द्रताओं (रुतूबतों) का उससे मिलना है, और यह कारण हड्डियों में नहीं पाया जाता है।
हमारे लिए प्रमाण अल्लाह का यह कथन है :
قَالَ مَنْ يُحْيِ الْعِظَامَ وَهِيَ رَمِيمٌ * قُلْ يُحْيِيهَا الَّذِي أَنْشَأَهَا أَوَّلَ مَرَّةٍ وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيمٌ
سورة يس : 79
“कहने लगा : हड्डियों को कौन जीवित करेगा जबकि वे जीर्ण हो चुकी होंगीॽ कह दीजिए : उन्हें वही जीवित करेगा जिसने उन्हें पहली बार पैदा किया और वह प्रत्येक उत्पत्ति को जाननेवाला है।” (सूरत यासीन : 79)
और जो चीज़ जीवित है वह मरेगी भी।
तथा इसलिए कि जीवन का प्रमाण एहसास (भावना) और दर्द है, और हड्डी में दर्द, मांस और त्वचा में दर्द से अधिक तीव्र होता है…
तथा जिसमें जीवन प्रवेश करता है, उसमें मृत्यु भी प्रवेश करती है; क्योंकि मृत्यु जीवन को अलग करने वाली है, और जिसमें मृत्यु प्रवेश करती है वह उसकी वजह से, मांस के समान, अपवित्र हो जाता है।” “अल-मुग़्नी” (1/54) से उद्धरण समाप्त हुआ।
इस कथन को शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने राजेह क़रार दिया है। “अश-शर्हुल मुम्ते” (1/93) देखें।
शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने हनफ़िय्या के कथन को अपनाया है और कहा है :
“मृत जानवर की हड्डी, उसकी सींग औक नाखून और जो कुछ उसके वर्ग से है : जैसे कि खुर आदि, तथा उसका बाल, पंख और रोवाँ… सबके सब : पवित्र हैं; जैसे कि अबू हनीफ़ा का कथन है, तथा वह मालिक और अहमद के मत में भी एक कथन है।
और यही कथन ठीक है; क्योंकि उसमें मूल सिद्धांत पवित्रता है और उसके अशुद्ध होने का कोई प्रमाण नहीं है।
तथा मूलतः ये चीज़ें पवित्र चीज़ों में से हैं, गंदी (अशुद्ध) चीज़ों में से नहीं हैं। इसलिए ये तहलील की आयत (यानी हलाल की गई चीज़ो) में दाखिल हैं; क्योंकि ये उन गंदी चीज़ों के अंतर्गत नहीं आती हैं जिन्हें अल्लाह ने हराम घोषित किया है; न तो शाब्दिक रूप से और न तो अर्थ की दृष्टि से।
जहाँ तक शब्द का संबंध है, तो जैसे कि अल्लाह के कथन : حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ “तुम पर हराम कर दिया गया है मुर्दार (मृत जानवर जिसे शरई तरीक़े से न ज़बह किया गया हो)” में बाल और उसके समान चीज़ें दाखिल नहीं हैं; क्योंकि मृतक जीवित के विपरीत है, औ जीवन के दो प्रकार हैं : पशु (जानवर) का जीवन और पौधों का जीवन। जानवर के जीवन की विशेषता भावना और स्वैच्छिक हरकत (आंदोलन) है, तथा पौधों का जीवन बढ़ना और खुराक अर्जित करना है…
निषिद्ध मुर्दार : केवल वह है जिसमें भावना और स्वैच्छिक हरकत हो। रही बात बाल की, तो वह खेती की तरह बढ़ता, खुराक प्राप्त करता और लंबा होता है, और खेती में न तो भावना होती है और न ही वह इच्छा से हरकत करता है, तथा उसमें पशु जीवन प्रवेश नहीं करता है कि वह उसके अलग होने से मर जाए, और उसे अशुद्ध ठहराने का कोई औचित्य नहीं है।
जहाँ तक हड्डियों आदि का मामला है : तो यदि कहा जाए कि : ये मृत जानवर में दाखिल हैं; क्योंकि ये अपवित्र हो जाते हैं।
ऐसा कहने वाले से कहा जाएगा : तुमने शब्द के सामान्य भाव (व्यापकता) को नहीं लिया है, क्योंकि जिसका बहने वाला खून न हो जैसे मक्खी, बिच्छू और गुबरैला, तुम्हारे निकट और जमहूर के निकट अपवित्र नहीं होता है, जबकि उन्हे पाश्विक मृत्यु आती है …
यदि ऐसा मामला है, तो पता चला कि मृत के अशुद्ध होने का कारण उनमें रक्त का रुकना है। अतः जिसमें बहने वाला खून नहीं है, यदि वह मर जाए तो उसमें खून नहीं रुकेगा। इसलिए वह अशुद्ध नहीं होगा।
अतः हड्डी आदि अशुद्ध न होने के इससे अधिक योग्य है, क्योंकि हड्डी में बहने वाला खून नहीं है, और न ही वह स्वैच्छिक रूप से हरकत करती है मगर अधीनस्थ होकर।
जब स्वैच्छिक रूप से हरकत करने वाला भावना से युक्त संपूर्ण जानवर : अशुद्ध नहीं होता है, क्योंकि उसमें बहने वाला खून नहीं है, तो फिर हड्डी कैसे अशुद्ध हो सकती जिसमें बहने वाला खून नहीं है…
जब ऐसी बात है : तो हड्डी, नाखून, सींग और खुर वगैरह में बहने वाला खून नहीं है, इसलिए उन्हें अशुद्ध ठहराने का कोई औचित्य नहीं है। यह जमहूर सलफ़ का कथन है।
ज़ुहरी ने कहा : इस उम्मत के बेहतरीन लोग हाथी की हड्डियों से बनी कंघियों से कंघी करते थे।
हाथी के दाँत के बारे में एक प्रसिद्ध हदीस वर्णित है, लेकिन वह विचाराधीन है जिसका यह स्थान नहीं है, क्योंकि हमें उससे प्रमाण स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है।
फिर चमड़ा मृत का एक हिस्सा है, जिसमें उसके शेष भागों की तरह खून भी होता है, लेकिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसकी दबाग़त को उसका शरई तरीक़े से ज़बह किया जाना क़रार दिया, क्योंकि दबाग़त देना (चमड़े को पकाना) उसकी रुतूबतों (आर्द्रताओं) को सुखा देता है।
इससे पता चला कि अशुद्ध ठहराने का कारण रुतूबतों (आर्द्रताओं) का होना है, और हड्डी में बहने वाला रक्त नहीं है, और जिसमें उनमें से कुछ होता है वह सूख जाता है। तथा हड्डी, चमड़े से अधिक समय तक बाक़ी और सुरक्षित रहती है। अतः वह पवित्र होने के चमड़े से अधिक योग्य है।
“अल-फतावा अल कुब्रा” (1/266-271) से सारांश के साथ समाप्त हुआ।
सारांश :
ये बर्तन यदि ऐसे जानवर की हड्डी से बनाए गए हैं जिसके मांस को खाने की अनुमति है और उसे किसी मुसलमान या यहूदी अथवा ईसाई ने ज़बह किया है, तो वह पवित्र है और उसका उपयोग करना हलाल है।
लेकिन यदि वे इसके विपरीत हैं – जैसाकि अक्सर चीन में होता है – तो वे मृत जानवरों से निर्मित हैं और मृत जानवर की हड्डी के बारे में प्रबल मतभेद है। मुसलमान के लिए अपने धर्म के प्रति सावधानी अपनाते हुए उनसे दूर रहना बेहतर है, और उनके अलावा बर्तन बहुत से हैं।
परंतु यदि ये बर्तन मृत जानवर की हड्डी की राख से बने हैं, तो उनकी राख अशुद्ध नहीं है; क्योंकि वह परिवर्तित होने से पाक हो जाती है।
तथा प्रश्न संख्या : (233750) का उत्तर देखें।
और अल्लाह तआला सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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