क्या आदमी के लिए अनुमेय है कि जब वह मीक़ात से एहराम बांधे तो बैठ कर अपने नाखूनों को तराशे, या उसके लिए ऐसा करना जाइज़ नहीं है सिवाय इसके कि वह हदी (क़ुर्बानी के जानवर) की बलि कर दे ॽ
यदि वह इसे एहराम से पहले करता है तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है,सिवाय इसके कि उसने क़ुर्बानी का इरादा किया है और ज़ुलहिज्जा का महीना शुरू हो गया है तो उसके लिए ऐसा करना जाइज़ नहीं है ; इसलिए कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस से रोका है,जहाँ तक उसे एहराम के बाद अर्थात एहराम में दाखिल होने की नीयत के बाद करने का संबंध है तो उसे बिल्कुल करना जाइज़ नहीं है ;क्योंकि मोहरिम के लिए अपने नाखूनों को तराशना या अपने बाल में से कुछ काटना अनुमेय नहीं है जब तक कि वह अपने उम्रा के तवाफ और सई से फारिग न हो जाए।उस से फारिग़ होने पर सिर के बाल मुंडाने या कटवाने पर अपने एहराम से हलाल हो जायेगा, इसी तरह हज्ज में जब जमरतुल अक़बा को कंकरी मार दे तो उसके लिए सिर के बाल मुंडाना या कटवाना धर्म संगत है, और बाल मुंडाना सर्वश्रेष्ठ है। फिर वह हलाल हो जायेगा चाहे वह क़ुबानी करने से पूर्व हो या उसके बाद,और उसका क़ुर्बानी के बाद होना सर्वश्रेष्ठ है यदि ऐसा करना आसान है।
और अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला है,तथा अल्लाह तआला हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम,आपकी संतान और साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।