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क्या बुराई को दूर करने की नीयत से बलिदान करना जायज़ है?

प्रश्न: 26952

मैं चार वर्ष से शादी शुदा हूँ लेकिन मेरी कोई संतान नहीं है। अल्लाह का शुक्र है कि हाल ही में मुझे सूचना मिली है कि मेरी पत्नी गर्भवती है। चुनाँचे मैं ने अपने पिता की सलाह पर दो जानवर बलिदान किए और उन्हें विशुद्ध रूप से अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए अपनी और अपनी पत्नी की तरफ से ज़रूरतमंद मुसलमानों में वितरित कर दिया। इस्लामी शरीअत में इसका क्या हुक्म है?

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार की प्रशंसाऔर गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

यदि आपका यह बलिदान करनाऔर ज़रूरतमंदों को खिलाना अल्लाह सर्वशक्तिमान के प्रति आभार प्रकट करने के लिए था, तो यह जायज़ है। क्योंकिखाना खिलाना लोगों के साथ एहसान व भलाई में से है, और अल्लाह तआला एहसान व भलाई करनेवालों से प्यार करता है।

और अगर आपका यह बलिदानकरना बुराई दूर करने और भलाई प्राप्त करने के तौर पर था, तो यह जायज़ नहीं है।सामान्य लोगों में ”फिद्या” के शब्द से यही अर्थ प्रसिद्ध है। वे लोग यह समझते हैंकि उनके ऐसा करने से बुराई दूर हो जाती है। वे ऐसा दुर्घटनाओं के घटने या बीमारियोंकी स्थिति में करते हैं जो उन्हें या उनके कुछ सदस्यों को पहुंचती हैं।

बलिदान करना शरीअत केदृष्टिकोण से अल्लाह की मुक़द्दर की हुई चीज़ में रूकावट नहीं है, चाहे वह अच्छी हो यहबुरी।

शैख अब्दुल अज़ीज़ बिनबाज़ – रहिमहुल्लाह – से निर्माण के पूरा होने या उसके आधा होने के समय बलिदान करनेके बारे में पूछा गया तो उन्हों ने कहा :

इस कार्य के अंदर विस्तारहै, अगर बलिदान करने से उसका मक़सद जिन्नों से बचाव या कोई अन्य मक़सद था, उससे घर केमालिक का मक़सद यह था कि इस बलिदान से ऐसा और ऐसा हासिल होगा जैसे कि वह और उसमें रहनेवाले सुरक्षित रहेंगें, तो यह जायज़ नहीं है। क्योंकि यह बिदअतों में से है, और अगर यह बलिदान जिन्नोंके लिए है, तो यह शिर्क अक्बर है; क्योंकि यह अल्लाह के अलावा की पूजा है।

लेकिन अगर यह इस बातपर शुक्र अदा करने के तौर पर है कि अल्लाह ने उसके ऊपर यह इनाम किया है कि उसका निर्माणछत तक पहुँच गया या घर पूरा हो गया। अतः वह अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को एकत्रकरता है और उन्हें इस दावत के लिए निमंत्रण देता है, तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है। इसे बहुत से लोगअल्लाह के उपहारों का शुक्र अदा करने के लिए करते हैं कि अल्लाह ने उनके ऊपर यह उपकारकिया है कि वे किराये पर रहने के बजाय घर निर्माण कर उसमें निवास करते हैं। इसी केसमान यह भी है जो कुछ लोग यात्रा से आगमन पर करते हैं कि अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियोंको सुरक्षित वापसी पर अल्लाह का आभारी होने के तौर पर दावत देते हैं। क्योंकि नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम जब यात्रा से वापस आए थे तो ऊँट बलिदान करके लोगों को उस पर आमंत्रितकिया था।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 3089) ने रिवायत किया है।

”मजमूओ फतावा शैख इब्नेबाज़” (5/388)

तथा शैख मुहम्मद सालेहअल-उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया :

जो कुछ लोग नये घर मेंआगमन पर बलिदान करते हैं और पड़ोसियों व रिश्तेदारों को आमंत्रित करते हैं : तो इसमेंकोई आपत्ति की बात नहीं है यदि उसके साथ कोई गलत आस्था न जुड़ा हुआ हो। जैसाकि कुछ स्थानोंपर किया जाता है कि जब आदमी किसी घर में उतरता है तो सबसे पहला काम यह करता है कि दरवाज़ेके चौखट पर बकरी ज़बह करता है यहाँ तक कि उसपर खून बह जाता है, और वह कहता है कि : यहजिन्न को घर में आने से रोकता है। तो यह एक भ्रष्ट आस्था है जिसका कोई आधार नहीं है।लेकिन जो व्यक्ति खुशी और प्रसन्नता के कारण करता है : तो इसमें कोई आपत्ति की बातनहीं है।

”अश्शरहुल मुम्ते”(7/550,551).

और अल्लाह तआला ही सबसेबेहतर ज्ञान रखता है।

स्रोत

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