मैंने और मेरे दो रिश्तेदारों ने अतीत में एक उम्रा किया, पहला उम्रा पूरा करने और सिर मुंडवाने के बाद हमने होटल में आराम किया और उसके बाद वापस आकर अपने सामान्य कपड़ों में हमने दूसरा उम्रा अदा किया। हम होटल से हरम के लिए निकले और उम्रा से फारिग होने के बाद हमने अपने सिर के बाल नहीं मुंडवाए न कटवाए। तो क्या हमारे उपर कोई चीज़ अनिवार्य हैॽ ज्ञात रहे कि मैंने और मेरे दूसरे रिश्तेदार ने एक अवधि के बाद एक और उम्रा किया, लेकिन उसी मीक़ात से नहीं। एक अवधि के बाद उसने शादी कर ली। परंतु मैंने अभी तक शादी नहीं की है। रही बात मेरे तीसरे रिश्तेदार की तो मुझे नहीं पता कि हमारे अपने सामान्य कपड़ों में उम्रा करने के बाद उसने कोई अन्य उम्रा किया या नहींॽ लेकन एक अवधि के बाद उसने भी शादी कर ली। क्या हमारे उपर कोई चीज़ अनिवार्य हैॽ
उसने मक्का के अंदर से अपने सामान्य कपड़ों में उम्रा किया और सिर के बालों को न मुंडवाया न कटवाया फिर उसने शादी की तो क्या उसकी शादी सही हैॽ
प्रश्न: 294650
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सर्व प्रथम :
उम्रा के वाजिबात में से : मीक़ात से एहराम बाँधना है। जो व्यक्ति मक्का में है और उम्रा करना चाहे : तो उसका मीक़ात (हरम की सीमा से बाहर) हिल्ल का क्षेत्र है। इसलिए वह हिल्ल (हरम की सीमा के बाहर) किसी भी स्थान पर, जैसे तनईम आदि, जाएगा और वहाँ से एहराम बाँधेगा
यदि वह मक्का के अंदर से एहराम बाँधता है तो उसने एक वाजिब को छोड़ दिया और उसके उपर एक दम (क़ुर्बानी) अनिवार्य है। यदि वह क़ुर्बानी न पाए तो, तमत्तू करने वाले पर क़यास करते हुए, दस दिन के रोज़े रखेगा।
“शर्ह मुंतहल इरादात” (1/525) में आया है : “(और) जो मक्का में है वह एहराम बांधेगा (उम्रा के लिए हिल्ल से); क्योंक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अब्दुर्रहमान बिन अबू बक्र को आदेश दिया कि वह आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा को तनईम से उम्रा करवाएँ। (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम).
तथा इसलिए कि उम्रा के सभी कार्य हरम के अंदर किए जाते हैं, इसलिए हिल्ल के क्षेत्र का होना ज़रूरी है ताकि वह अपने एहराम में (हिल्ल व हरम) दोनों क्षेत्रों को एकत्रित कर सके। जबकि हज्ज का मामला इसके विपरीत है, क्योंकि उसमें अरफ़ा के लिए बाहर निकलना पड़ता है, तो उसमें दोनों क्षेत्र एकत्रित हो जाते हैं।
(और सही – मान्य – होगा) उसका उम्रा के लिए एहराम बाँधना (मक्का से और उसके ऊपर अनिवार्य होगा) अर्थात जिसने उम्रा के लिए मक्का से एहराम बाँधा है (एक दम) क्योंकि उसने एक वाजिब छोड़ दिया, जैसे कि उस व्यक्ति का मामला है जो बिना एहराम बाँधे मीक़ात को पार कर जाए।” उद्धरण समाप्त हुआ।
इस आधार पर : आप लोगों पर एक दम (क़ुर्बानी) अनिवार्य है जिसे मक्का में ज़बह किया जाएगा और वहाँ के गरीबों में वित्रित कर दिया जाएगा।
दूसरा :
मोहरिम के लिए सिले हुए कपड़ों को न पहनना अनिवार्य है। अतः जिसने अपने सामान्य कपड़ों में उम्रा किया, उसने एहराम की अवस्था में निषिद्ध कार्य किया। उसके ऊपर वाजिब है कि तौबा करे और फ़िद्या (हर्जाना) दे।
यह फिद्या वैकल्पिक तौर पर है : वह एक बकरी ज़बह करे, या छह मिसकीनों को खाना खिलाए, या तीन दिन रोज़े रखे।
तीसरा :
सिर के बाल मुँडाना या कटवाना : उम्रा की इबादत का एक अनुष्ठान है, जिसको किए बिना उम्रा का एहराम बाँधने वाला व्यक्ति हलाल नहीं होता है।
“अल-इनसाफ” (4/56) में उल्लेख किया गया है : “उनका कथन : (फिर वह तवाफ़ और सई करे, फिर सिर के बाल मुँडवाए या कटवाए, फिर वह हलाल हो गया। क्या उसके हलाल होने का समय सिर के बाल मुँडवाने अथवा कटवाने से पहले हैॽ इसके बारे में दो रिवायतें हैं।) ये दोनों रिवायतों दरअसल : वही दोनों रिवायतें हैं जो हज्ज के संबंध में हैं : क्या सिर के बाल मुँडवाना और कटवाना एक अनुष्ठान (उपासना का कृत्य) हैं, या एहराम की अवस्था में निषिद्ध एक कार्य से मुक्ति है, जैसा कि पीछे बीत चुका। इसे शारेह (व्याख्याकार) और इब्ने मंजा ने उल्लेख किया है।
यह पहले उल्लेख किया जा चुका है कि हंबली मत में सही दृष्टिकोण यह है कि : वह एक अनुष्ठान (इबादत का कार्य) है। अतः यहाँ पर सही मत यह है कि : वह एक इबादत का कार्य है। इसलिए वह उन दोनों में से किसी एक को किए बिना हलाल नहीं होगा। यही हंबली मत है। इसे अत-तसहीह वगैरह में सही क़रार दिया गया है, और अल-वजीज़ वगैरह में इसे निश्चितता के साथ उल्लेख किया गया है।
दूसरी रिवायत : यह एक निषिद्ध कार्य से आज़ादी है। अतः उसके करने से पहले वह हलाल हो जाएगा। अल-हिदायह, अल-मुज़ह्हब और अत-तलखीस में इन दोनों को सामान्य रूप से उल्लेख किया गया है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
इस आधार पर : जिसने अपने उम्रा में सिर के बाल नहीं मुँडवाए या नहीं कटवाए : वह अपने एहराम की अवस्था में बाक़ी है, उसे चाहिए कि वह सिले हुए कपड़ों को उतार दे और अपने सिर के बाल मुँडवाए या कटवाए, और उसने एहराम की अवस्था में निषिद्ध चीज़ों में से जो कुछ कर लिया है उसके संबंध में उसपर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है, यदि वह नियम से अनभिज्ञ था।
चौथा :
जैसा कि हम उल्लेख कर चुके हैं कि जो व्यक्ति अपने सिर के बालों को मुँडवाया या कटवाया नहीं है, वह अपने एहराम ही की अवस्था में बाक़ी है। फिर यदि वह दूसरा उम्रा करता है, जिसमें वह अपने सिर के बालों को मुँडवाता या कटवाता है, तो वह इस बाल के मुँडवाने अथवा कटवाने से पहले उम्रा से हलाल हो जाएगा और दूसरा उम्रा अर्थहीन हो जाएगा। क्योंकि उसने उसका एहराम इस अवस्था में बाँधा था कि वह अभी पहले उम्रा के एहराम से बाहर नहीं निकला था।
इज़्ज़ बिन अब्दुस्सलाम “क़वाइदुल अहकाम” (पृष्ठ 252) में कहते हैं : “जिसने दो हज्ज या दो उम्रा का एहराम बाँधा, या एक हज्ज पर दूसरे हज्ज को, या एक उम्रे पर दूसरे उम्रे को दाखिल किया, या दो ज़ुहर की नमाज़ की नीयत की : तो उसके लिए एक हज्ज और एक उम्रा होगा और उसकी नमाज़ की नीयत नहीं होगी।” उद्धरण समाप्त हुआ।
हमने शैख अब्दुर्रहमान अल बर्राक हफ़िज़हुल्लाह से एक महिला के बारे में प्रश्न किया जिसने उम्रा किया और अपने सिर के बाल काटना भूल गई, फिर वह गई और एक नए उम्रा का एहराम बांधी और तवाफ़ व सई की और अपने बाल काटे।
तो उन्होंने उत्तर दिया : एक उम्रा पर दूसरा उम्रा दाखिल करना मुसलमानों के फुक़हा के निकट नहीं पाया जाता। इसलिए उसका दूसरा उम्रा बेकार (निरस्त) होगा और उसका बाल कटवाना पहले उम्रा के लिए होगा।
प्रश्न संख्या : (128712) तथा प्रश्न संख्या : (95860) के उत्तर देखें।
पाँचवाँ :
जिसने अपने पहले उम्रा से सिर के बाल मुँडाने या कटवाने से पहले निकाह किया और उसके बाद उम्रा नहीं किया, तो वास्तव में उसने एहराम की अवस्था में होते हुए निकाह किया है, इसलिए उसका निकाह सही नहीं है।
नववी रहिमहुल्लाह ने “शर्ह मुस्लिम” (9/193) में कहा :
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान : “मोहरिम स्वयं निकाह न करे, न किसी दूसरे का निकाह कराए और न शादी का संदेश दे।”
फिर मुस्लिम ने वह मतभेद ज़िक्र किया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जब मैमूना रज़ियल्लाहु अन्हा से शादी की तो आप एहराम की अवस्था में थे या हलाल थे।
उसी के कारण विद्वानों ने मोहरिम की निकाह के बारे में मतभेद किया है। शाफेई, अहमद और सहाबा तथा उनके बाद के लोगों में से जमहूर विद्वानों ने कहा है : मोहरिम का निकाह सही नहीं है। उन्होंने इस अध्याय की हदीसों पर भरोसा किया है।
तथा अबू हनीफ़ा और कूफ़ियों ने कहा : उसका निकाह सही है। इनका प्रमाण मैमूना रज़ियल्लाहु अन्हा के क़िस्सा की हदीस है।
जमहूर ने मैमूना रज़ियल्लाहु अन्हा की हदीस के कई उत्तर हैं, जिनमें सबसे सही यह है कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे हलाल होने की अवस्था में शादी की थी। अधिकांश सहाबा ने ऐसे ही रिवायत किया है। क़ाज़ी वगैरह ने कहा : केवल इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने रिवायत किया है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे मोहरिम होने की अवस्था में शादी की। मैमूना और अबू राफे वगैरह ने रिवायत किया है कि : आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे हलाल होने की अवस्था में शादी की, और वे इस मुद्दे को सबसे अच्छी तरह जानते हैं क्योंकि इसका संबंध उन्हीं से है। जबकि इब्ने अब्बास का मामला इसके विपरीत है। तथा इसलिए भी कि वे इब्ने अब्बास से अधिक याद रखने वाले और उनसे अधिक (संख्या में) हैं।
दूसरा उत्तर : इब्ने अब्बास की हदीस का यह अर्थ लिया गया है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मैमूना से हरम की सीमा के अंदर शादी की जबकि आप हलाल थे। तथा जो व्यक्ति हरम में हो उसे : मोहरिम कहा जाता है, भले ही वह हलाल हो। यह एक प्रचलित और प्रसिद्ध भाषा है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
यदि आपके तीसरे रिश्तेदार ने कोई दूसरा उम्रा करने से पहले शादी की है जिसमें उसने सिर के बाल मुँडाए या कटवाए हों, तो उसे चाहिए कि वह अपने निकाह का नवीकरण करे और यह एक आसान मामला है। पत्नी का अभिभावक दो मुसलमान गवाहों की उपस्थिति में उसका निकाह करते हुए कहे : मैंने अमुक महिला की तुझसे शादी कर दी। और आपका रिश्तेदार कहे : मैंने अमुक महिला से शादी को क़बूल किया।
तथा तुममें से प्रत्येक पर, हिल्ल से एहराम न बाँधने की वजह से, एक दम (क़ुर्बानी) अनिवार्य है, तथा अपने सामान्य कपड़ों में उम्रा करने के कारण वैकल्पिक रूप से फ़िद्या अनिवार्य है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर