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महिला के लिए बिना मह्रम के यात्रा करने का निषेध और मह्रम की शर्तें

Pertanyaan: 316

मेरी माँ इन शा अल्लाह तआला उम्रा अदा करने के लिए जाना चाहती हैं और उनके पति और उनके भाई उनके साथ जाने में सक्षम नहीं हैं। जबकि उनका चचेरा भाई जो कि उनके पति का भाई है तथा वह उनकी बहन का पति भी है, वह अपनी पत्नी के साथ हज्ज के लिए जाएगा। तो क्या मेरी माँ के लिए उन दोनों के साथ उम्रा अदा करने के लिए जाना जायज़ हैॽ

Teks Jawaban

Puji syukur bagi Allah, dan salam serta berkat atas Rasulullah dan keluarganya.

इस्लाम ने महिला की सुरक्षा हेतु उसकी यात्रा के लिए मह्रम को अनिवार्य कर दिया है ताकि वह इच्छाओं के पुजारियों और घिनौने उद्देश्य वालों से उसे बचाए और उसकी रक्षा करे, तथा यात्रा में उसके कमज़ोर होने के कारण उसकी सहायता करे जो कि यातना (पीड़ा) का एक टुकड़ा है। अतः बिना मह्रम के महिला के लिए यात्रा करना जायज़ नहीं है, क्योकि इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप ने फरमायाः “निश्चित रूप से कोई महिला यात्रा न करे सिवाय इसके कि सके साथ एक मह्रम हो। तो एक आदमी खड़ा हुआ और कहने लगाः ऐ अल्लाह के पैगंबर, मैं ने अमुक युद्ध में नाम लिखवाया है और मेरी पत्नी हज्ज के लिए निकली है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः तुम जाओ और अपनी पतनी के साथ हज्ज करो।” (बुखारी फत्हुल बारी के साथ, हदीस संख्या : 3006)

मह्रम के अनिवार्य होने का पता इस बात से चलता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस आदमी को जिहाद छोड़ने का आदेश दिया जबकि उसका नाम एक युद्ध में लिखा हुआ था, और उसकी पत्नी की यात्रा एक आज्ञाकारिता और अल्लाह की निकटता अर्थात हज्ज की यात्रा थी, वह कोई पर्यटन के लिए या संदिग्ध यात्रा नहीं थी। इसके बावजूद भी नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसे युद्ध से लौटने का आदेश दिया ताकि वह अपनी पत्नी के साथ हज्ज कर सके।

विद्वानों ने मह्रम के लिए पांच शर्तें लगाई हैं जो कि ये हैं : वह एक पुरुष, मुसलमान, व्यस्क, बुद्धि वाला हो और वह उस महिला के साथ उसका विवाह सदैव के लिए हराम (निषिद्ध) हो जैसे पिता, भाई, चाचा, मामा, पति के पिता (ससुर), माँ का पति और रज़ाअत (स्तनपान) का भाई वग़ैरह (इसके विपरीत अस्थायी मह्रम अर्थात जिसके साथ केवल सामयिक रूप से विवाह हराम है, जैसे बहन का पति (बहनोई), फूफी का पति (फूफा) और खाला का पति (खालू) इससे खारिज हैं)।

इस के आधार पर, उनके पति का भाई (देवर) तथा उनके चाचा का बेटा (चचेरा भाई) या उनके मामा का बेटा मह्रम लोगों में से नहीं हैं। अतः उनके लिए इन लोगों के साथ यात्रा करना जायज़ नहीं है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

Refrensi

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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