मैंने अपने पिता से कहा था कि मैं भीड़भाड़ से बचने के लिए अपनी क़ुर्बानी का जानवर ईद के दूसरे दिन ज़बह करूँगा। लेकिन पहले दिन मैंने अपने भाई को अपने दरवाज़े पर दस्तक देते हुए पाया, और उसके साथ मेरी क़ुर्बानी का ज़बह किया हुआ जानवर था। उसने कहा : पिता ने अन्य जानवरों के साथ इसे भी ज़बह करने का आदेश दिया था। तो इस क़ुर्बानी का क्या हुक्म हैॽ!
उसके क़ुर्बानी का जानवर उसके आदेश के बिना ज़बह कर दिया गया
प्रश्न: 317824
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
यदि किसी मुसलमान ने किसी बकरे को क़ुर्बानी के रूप में ज़बह करने के लिए निर्धारित किया। फिर कोई दूसरा आदमी उसकी अनुमति के बिना उसको ज़बह कर देता है, तो वह एक वैध (सही) क़ुर्बानी है, जब तक कि वह क़ुर्बानी के समय के दौरान ज़बह किया गया है, और जिसने उसे ज़बह किया है वह ज़बह करने में उसके मालिक की ओर से प्रतिनिधि होगा।
“अल-मौसूआ अल-फ़िक़्हिय्यह अल-कुवैतिय्यह” (5/105) में आया है :
“फुक़हा सर्वसम्मति से इस बात पर सहमत हैं कि यदि प्रतिनिधि मुसलमान है, तो क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह करने में प्रतिनिधित्व करना सही (मान्य) है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने की अनुमति के संबंध में मूल सिद्धांत यह है कि अनुमति मौखिक रूप से दी जानी चाहिए; लेकिन यह प्रथा के आधार पर भी मान्य है।
इब्नुल-क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने कहा :
“शरीयत के नियमों से यह स्थापित हो चुका है कि प्रथागत अनुमति, मौखिक रूप से दी गई अनुमति के समान है।” “मदारिजुस-सालिकीन” (2/1019) से उद्धरण समाप्त हुआ।
प्रथा और स्थिति के संकेत से पता चलता है कि आप अपने पिता को उसको ज़बह करने में अपनी ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए अनुमति देते हैं। इसलिए यह क़ुर्बानी आपकी ओर से मान्य है।
अल-कुदूरी अल-हनफ़ी रहिमहुल्लाह ने कहा :
“हमारे साथियों (अल्लाह उनपर रहम करे) ने कहा : “यदि कोई किसी अन्य व्यक्ति के क़ुर्बानी के जानवर को उसके आदेश के बिना ज़बह करता है, तो यह उसके मालिक के लिए क़ुर्बानी के तौर पर पर्याप्त है, और ज़बह करने वाला इसका ज़ामिन (उत्तरदायी) नहीं है।
तथा अश-शाफेई रहिमहुल्लाह ने कहा : यह क़ुर्बानी की ओर से पर्याप्त है, और ज़बह करने वाला उसका ज़ामिन होगा, जो ज़बह करने से कम हो गया है, और मालिक उसे दान कर देगा।
हमारा तर्क यह है कि : यह ज़बह करना क़ुर्बानी की ओर से जायज़ है, इसलिए ज़बह करने वाला उसका ज़ामिन नहीं होगा ….
तथा इसलिए कि ज़्यादातर आदमी अपने कुर्बानी के जानवर को स्वयं ज़बह नहीं करता है; बल्कि वह अपनी ओर से किसी दूसरे को उसके लिए प्रतिनिधि बना देता है और वह उसके लिए एक शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य होता है। तथा कभी-कभी शरई रूप से क़ुर्बानी करना अनिवार्य (निश्चित) हो जाता है। अतः क़ुर्बानी के जानवर का मालिक इस बात से प्रसन्न होता है कि वह व्यक्ति (स्वयं) इसकी ज़िम्मेदारी उठा लेता है और उससे मुआवज़ा (शुल्क) को समाप्त कर देता है। तो इस तरह ज़बह करने वाले को रिवाज (प्रथा) के मुताबिक़ उसकी इजाज़त प्राप्त होती है। और प्रथा के द्वारा प्राप्त अनुमति, मौखिक रूप से दी गई अनुमति की तरह है।”
“अत-तजरीद” (12/6341) से उद्धरण समाप्त हुआ।
अबू अब्दुल्लाह अल-खुरशी अल-मालिकी रहिमहुल्लाह ने कहा :
“चूंकि प्रॉक्सी की नियुक्ति मौखिक रूप से की जा सकती है, यह के आधार पर भी की जा सकती है, जो मौखिक नियुक्ति का स्थान लेती है। परन्तु यदि बलि चढ़ानेवाले का कुटुम्बी हो, और वह सामान्यतया अपने कुटुम्बी का काम देखता हो, और अपनी ओर से बलि का वध करे, तो वह (पशु के) स्वामी की ओर से स्वीकार्य है। ।
“प्रतिनिधित्व जिस तरह शब्दों के द्वारा (मौखिक रूप से) होता है, उसी तरह प्रथा (परंपरा) के द्वारा भी होता है, और वह शब्द की जगह लेता है। लेकिन अगर ज़बह करने वाला व्यक्ति क़ुर्बानी करने वाले का रिश्तेदार है, और उसकी अपने रिश्तेदार के कार्यों को करने की आदत है, और उसने उसकी ओर से उसके क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह कर दिया : तो प्रसिद्ध दृष्टिकोण के अनुसार वह क़ुर्बानी उसके मालिक की ओर से पर्याप्त है।”
“शर्ह मुख़्तसर ख़लील” (3/43) से उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा अन-नववी अश-शाफेई रहिमहुल्लाह ने कहा :
“यदि कोई अजनबी किसी विशिष्ट क़ुर्बानी के जानवर को क़ुर्बानी करने के समय में अपनी पहल पर ज़बह कर देता है, या वह किसी विशिष्ट हदी (हज्ज की क़ुर्बानी के जानवर) को उसके बलिदान के स्थान पर पहुँचने के बाद ज़बह कर देता है, तो प्रसिद्ध कथन यह कि : वह क़ुर्बानी हो जाएगी …
क्योंकि उसे ज़बह करने के लिए नीयत (इरादे) की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए यदि उसे उसके अलावा किसी अन्य ने (ज़बह) कर दिया, तो वह पर्याप्त होगा, जैसे कि अशुद्धता को दूर करना है।”
“रौज़तुत-तालिबीन” (3/214) से उद्धरण समाप्त हुआ।
अल-मर्दावी अल-हंबली रहिमहुल्लाह ने कहा :
“उनका कहना : और अगर कोई ज़बह करने वाला बिना अनुमति के उसे उसके समय पर ज़बह कर दे, तो यह पर्याप्त है और उसे ज़बह करने वाले की कोई ज़मानत [गारंटी या उत्तरदायित्व] नहीं है।)
यदि उसे उसके मालिक के अलावा कोई और ज़बह करता है, तो वह कभी उसके मालिक की ओर से उसकी नीयत (इरादा) करता है, तो कभी बिना किसी विशिष्ट इरादे के करता है, और कभी तो वह अपनी ओर से उसकी नीयत करता है। यदि वह उसे उसके मालिक की ओर से ज़बह करने की नीयत करता है, तो वह उसकी ओर से पर्याप्त है, और उसे ज़बह करने वाले की कोई गारंटी (उत्तरदायित्व) नहीं है। और यही हमारा मत है, और यही हमारे साथियों का दृष्टिकोण है। तथा “अल-फुरू” वग़ैरह में इसे निश्चितता के साथ उल्लेख किया गया है।”
“अल-इंसाफ” (9/387) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर