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4,1545/शावन/1443 , 8/मार्च/2022

क्या गर्भवती और दूध पिलानेवाली महिला के लिए क़ज़ा के अलावा कोई अन्य समाधान है ?

Question: 3253

उस महिला का क्या हुक्म है जिसके विभिन्न वर्षों में रमज़ान के महीने के बहुत से दिनों के रोज़े छूट गए हैं, और क्या उसके ऊपर इन सभी दिनों की क़ज़ा करना अनिवार्य है यद्यपि वे बहुत अधिक हों ? और क्या रोज़े के अलावा कोई और विकल्प है जैसे कि उदाहरण के तौर पर मिसकीनों (निर्धनों) को खाना खिलाना, और क्या उसके लिए क़ज़ा करने से पहले नफ्ली रोज़ा रखना जायज़ है, उदाहरण के तौर पर शव्वाल के छः रोज़े, और क्या अगर वह इन महीनों के रोज़े नहीं रखती है और नया रमज़ान शुरू हो जाता है, तो सवाब कम हो जाएगा ?

Texte de la réponse

Louanges à Allah et paix et bénédictions sur le Messager d'Allah et sa famille.

मुसलमान महिला पर अनिवार्य है कि यदि वह बच्चा जनने या दूध पिलाने के कारण रमज़ान के कुछ दिनों के रोज़े तोड़ दे, तो अपने उज़्र के समाप्त होने के पश्चात उनकी क़ज़ा करे, उस बीमार व्यक्ति के समान जिसके बारे में अल्लाह तआला ने फरमाया है :

فَمَنْ كَانَ مِنْكُمْ مَرِيضًا أَوْ عَلَى سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِنْ أَيَّامٍ أُخَرَ [البقرة : 185]

''तुम में से जो बीमार हो या यात्रा पर हो तो वह दूसरे दिनों में (तोड़े हुए रोज़ों की) गिंती पूरी करे।'' (सूरतुल बक़रा : 184)

तथा उसके लिए जायज़ है कि वह क़ज़ा के इन रोज़ों को अलग-अलग दिनों में रखे। तो इस तरह यह उसके लिए आसान हो जाएगा। (देखिए : इसी पृष्ठ पर प्रकाशित किताब ''सबऊना मसअलतन फिस्सियाम'' (रोज़े से संबंधित सत्तर मसायल)

तथा वह इन दिनों की क़ज़ा अगले रमज़ान के आने से पहले-पहले करेगी। अगर उसका उज़्र निरंतर बना रहा तो वह कज़ा को सामर्थ्य होने तक विलंब कर देगी। और वह खाना खिलाने के विकल्प का सहारा नहीं लेगी सिवाय इस स्थिति में कि वह रोज़ा रखने में पूरी तरह असमर्थ हो।

Source

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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