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क्या आदमी दुआओं की पाबंदी करने के बावजूद जिन्न से ग्रस्त हो सकता हैॽ तथा मोहित जिन्न का इलाज कैसे किया जा सकता हैॽ

प्रश्न: 335778

नमाज़ तथा सुबह एवं शाम और सोने के समय की दुआएँ, मुसलमान को उसपर जिन्न के अतिक्रमण (मोहित होने) से बचाने के लिए पर्याप्त क्यों नहीं हैंॽ समय पर नमाज़ पढ़ने, तथा नियमति रूप से सुबह एवं शाम और सोने के समय के अज़कार (दुआओं) की पाबंदी करने के बावजूद, निरंतर जिन्न मेरे सपने में आता है, और उसके बावजूद संभोग होता है, तथा अन्य चीजें होती हैं।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

सर्व प्रथम :

मूल सिद्धांत यह है कि अनिवार्य नमाज़ों, तथा सुबह एवं शाम और सोने के समय की दुआओं की नियमित पाबंदी करना, इनसान को जिन्न के वर्चस्व से बचाता है। लेकिन इनसान कभी ऐसे समय से गुज़र सकता है जब वह असावधान होता है, जिसके दौरान जिन्न उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है, या वह दुआओं की पाबंदी करने से पहले ही जिन्न से ग्रस्त हो सकता है। ऐसी स्थिति में उसे रुक़्या (झाड़-फूँक) करने या उसे बार-बार करने की आवश्यकता होती है। वह मात्र दुआओं की पाबंदी करने से उससे दूर नहीं जाता है। लेकिन ज़िक्र की पाबंदी करना जिन्न के प्रभाव को कमज़ोर कर देता और उसे पूरी तरह से दूर भी कर सकता है।

शैख़ सालेह अल-फ़ौज़ान ह़फ़िज़हुल्लाह से पूछा गया : “हम पाते हैं कि कुछ लोग जिन्न के प्रभाव या बुरी नज़र से ग्रस्त हो जाते हैं, जबकि वे सुबह और शाम की दुआओं के द्वारा अपने आपको संरक्षित रखते हैं। इस संबंध में नियम क्या हैॽ

तो उन्होंने उत्तर दिया : यदि अल्लाह उसे किसी चीज़ से पीड़ित करना चाहता है, तो वह व्यक्ति उस दिन ज़िक्र को त्याग कर देता है; वह उसे भूल जाता है, या वह उससे असावधान हो जाता है।” निम्न लिंक से उद्धरण समाप्त हुआ :

www.al-fawzan.af.org.sa/node/14626

दूसरी बात :

जिन्न के प्रभाव से ग्रस्त होने का इलाज सुन्नत का पालन करने वाले के हाथ पर शरई रुक़्या (दम, झाड़-फूँक) के द्वारा, तथा सुबह एवं शाम और सोते समय, शौचालय में प्रवेश करने, कपड़े उतारने और खाने-पीने की दुआओं की नियमित रूप से पाबंदी करने के द्वारा किया जाना चाहिए। तथा आप इन दुआओं को मनन-चिंतन और हृदय की उपस्थिति के साथ पढ़ें, और आप शुद्धता (पवित्रता) की स्थिति में सोएँ। इसी तरह हम आपको यह सलाह देते हैं कि अल्लाह के समक्ष रोएँ-गिड़गिड़ाए और उससे यह दुआ करें कि वह आपकी विपत्ति को दूर कर दे और आपको आरोग्य प्रदान करे और स्वस्थ कर दे।

शैख अब्दुल्लाह अल-जिबरीन रहिमहुल्लाह ने कहा : “कोई जिन्न, इनसान को किसी महिला के रूप में दिखाई देता है, फिर वह इनसान उसके साथ संभोग करता है। इसी तरह जिन्न एक पुरुष के रूप में दिखाई देता है और वह मानव में से औरत के साथ संभोग करता है, जिस तरह कि एक आदमी एक औरत के साथ संभोग करता है।

इसका उपचार यह है कि :

उनके नर और मादा दोनों से संरक्षण अपनाया जाए, सुन्नत से प्राप्त दुआओं और विर्दों, तथा उन आयतों के पाठ के द्वारा, जो अल्लाह की अनुमति से उनसे संरक्षण और रखवाली पर आधारित हैं।”

“फतावा उलमाइल-बलदिल-हराम” (पृष्ठ 1546) से उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा प्रश्न संख्या : (9577) का उत्तर भी देखें।

हम अल्लाह से आपके लिए आरोग्य और स्वास्थ्य का प्रश्न करते हैं।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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