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रियल एस्टेट फंड के शेयरों की ज़कात कैसे अदा करें

प्रश्न: 338679

मैं लंबी अवधि के निवेश और फंड के रिटर्न अर्जित करने के उद्देश्य से सऊदी स्टॉक एक्सचेंज (तदावुल) में पंजीकृत कई ‘रीट’ रियल एस्टेट फंडों में एक शेयरधारक हूँ और मैं इन शेयरों पर ज़कात की गणना करना चाहता हूँ। मैं अपनी सालाना ज़कात रमज़ान के महीने में अदा करता हूँ। मैंने इन शेयरों पर ज़कात की गणना करने का तरीक़ा खोजा, लेकिन मुझे कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला। ये फंड ट्रेडिंग (तदावुल) मार्केट में नए माने जाते हैं, और मुझे पता है कि फंड प्रबंधक उनपर ज़कात देने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसलिए मुझे आशा है कि आप उनपर ज़कात की गणना करने की विधि स्पष्ट करेंगे।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

रियल एस्टेट शेयरों पर ज़कात के विषय में, संपत्ति और उसमें निवेश करने की प्रकृति को देखा जाएगा, और यह दो प्रकार की होती है :

पहला :

यह कि अचल संपत्ति संचालन और किराए पर देने के लिए हो। तो यहाँ ज़कात, आय में से प्रत्येक शेयरधारक को प्राप्त होने वाले हिस्से में अनिवार्य है, जब उसका हिस्सा खुद से निसाब तक पहुँच जाए, या उसके पास मौजूद अन्य पैसों, या सोने या चाँदी को उसके साथ मिलाकर (निसाब तक पहुँच जाए)।

ज़कात अदा करने वाले को इन आय पर साल बीतने का ध्यान रखना चाहिए। और यह उसके उस धन का मालिक होने के समय से शुरू होता है, जिसके द्वारा उसने शेयर प्राप्त किया है। या वह ऐसा कर सकता है कि उसकी ज़कात अपने अन्य पैसों पर साल बीतने के साथ निकाले।

इसलिए यदि आप अपने पैसे की ज़कात रमज़ान में निकालते हैं, और आपके शेयर लेने के पैसे का साल शव्वाल में पूरा होता है, और आप इन शेयरों की ज़कात का भुगतान रमज़ान में करना चुनते हैं – यह मानते हुए कि अचल संपत्ति संचालन और किराए पर देने के लिए है, बिक्री के लिए नहीं है – तो इन शेयरों के आय से जो कुछ आपके पास बचा है, उसे आप अपने पैसों में जोड़ लेंगे, और कुल का 2.5% ज़कात के रूप में निकाल देंगे।

दूसरा :

यह कि अचल संपत्ति बिक्री के लिए हो – और अधिकतर ऐसा ही होता है – तो ऐसी स्थिति में शेयरों पर ज़कात, व्यापार के सामान की ज़कात के समान निकालेंगे।

अतः जब एक वर्ष बीत जाए, तो आप शेयरों के बाज़ार मूल्य को देखेंगे, और इस मूल्य से 2.5% ज़कात निकाल देंगे।

और वर्ष की शुरुआत निसाब तक पहुँचने वाले उस धन का मालिक होने से होती है, जिसके द्वारा आपने ये शेयर खरीदे थे।

शैख़ इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने एक रियल एस्टेट प्रतिष्ठान से संबंधित भूमि में शेयर लेने के बारे में कहा :

“यह हिस्सेदारी (शेयर ग्रहण करना) प्रत्यक्ष रूप से व्यापार का सामान है; क्योंकि जो लोग भूमि में शेयर लेते हैं, वे व्यापार करना और कमाना चाहते हैं। इसलिए उनके लिए हर साल इस पर ज़कात का भुगतान करना अनिवार्य है। इस प्रकार कि वे उसका मूल्यांकन करेंगे कि वह कितने मूल्य के बराबर है, फिर वे ज़कात का भुगतान करेंगे। यदि उसने तीस हज़ार का शेयर लिया था और वर्ष के अंत में वे शेयर साठ हजार के बराबर हैं, तो उसे साठ हज़ार की ज़कात देनी होगी। यदि वर्ष के पूरा होने पर वह तीस हज़ार, केवल दस हज़ार के बराबर होता है, तो उसके लिए केवल दस हज़ार की ज़कात देनी अनिवार्य होगी।”

“मजमूओ फ़तावा इब्ने उसैमीन” (18/226) से उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा डॉ. मुह़म्मद बिन सऊद अल-उसैमी हफ़िज़हुल्लाह से पूछा गया :

“शरई निवेश कोष से ज़कात का भुगतान कैसे करेंॽ और क्या इसलिए कि वे कंपनियाँ आयकर विभाग को ज़कात का भुगतान करती हैं, शेयरधारकों के लिए उन कोषों पर ज़कात देना अनिवार्य नहीं हैॽ

तो उन्होंने उत्तर दिया : यह जानना महत्वपूर्ण है कि निवेश फंड, चाहे स्टॉक (शेयर) में या व्यापारिक सामान में काम कर रहे हों, ज़कात का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं हैं, बल्कि वे अपने समझौते में इसे ग्राहक पर डालते हैं। इसलिए आपको, निवेश इकाई के बाज़ार मूल्य के अनुसार उस पर ज़कात का भुगतान करना अनिवार्य है।”

निम्नलिखित लिंक से उद्धरण समाप्त हुआ :

http://iswy.co/eupap

तथा डॉ. यूसुफ़ अश्-शुबैली ह़फ़िज़हुल्लाह से प्रश्न किया गया :

“मैं निवेश फंडों (कोषों) में लगे हुए अपने पैसों की ज़कात कैसे अदा करूँॽ

तो उन्होंने उत्तर दिया : निवेश कोषों में लगे हुए धन का हुक्म व्यापार के सामान का है। और यह बात सर्वज्ञात है कि इन कोषों से ‘ज़कात एवं आय विभाग’ के द्वारा ज़कात नहीं वसूल किया जाता है। और इस आधार पर, आपको इन फंडों में अपने पूरे हिस्से पर ज़कात का भुगतान करना होगा। वह इस प्रकार कि आप अपनी ज़कात के समय के आने पर उनका मूल्यांकन करें और उस मूल्य का चालीसवाँ हिस्सा अर्थात् फंड में अपने हिस्से के मूल्य का 2.5% भुगतान कर दें, उसमें होने वाली वृद्धि या कमी के अनुसार।”

निम्नलिखित लिंक से उद्धरण समाप्त हुआ :

http://iswy.co/e45au

तथा “अल-बिलाद बैंक के शरई बोर्ड के फ़तवा” में आया है : “निवेश फंड इकाइयों की ज़कात : वर्ष बीतने के समय, उनके बाज़ार मूल्य (बैंक द्वारा घोषित अंतिम मूल्यांकन) के अनुसार, निवेशक (इकाइयों के मालिक) पर अनिवार्य है।” मुहम्मद बिन इबराहीम अस-सुह़ैबानी और खालिद बिन अब्दुर-रहमान अल-मुहन्ना का शोध-पत्र : “ज़कातुल-मह़ाफ़िज़ वस-सनादीक़ अल-इस्तिस्मारीयह : रूयतुन जदीदह” (पोर्टफ़ोलियो और निवेश कोषों पर ज़कात – एक नई दृष्टि) से उद्धरण समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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