कुछ लोग जब इमाम के साथ वित्र पढ़ते हैं और इमाम सलाम फेर देता है तो वे खड़े हो जाते हैं और एक रकअत पढ़ते हैं ताकि वह वित्र को रात के अंतिम हिस्से में पढ़ें, तो इस कार्य का क्या हुक्म है? और क्या इसे इमाम के साथ नमाज़ से फारिग होना समझा जायेगा?
जब कोई व्यक्ति इमाम के वित्र पर एक रकअत की वृद्धि करे ताकि वह वित्र बाद में पूरा करे
प्रश्न: 3453
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हम इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं समझते हैं। विद्वानों ने इसे स्पष्टता के साथ उल्लेख किया है। और इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है ताकि वह अपनी वित्र को रात के अंतिम भाग में अदा करे। और इस पर यह बात पूरी उतरती है कि उसने इमाम के साथ क़ियाम किया है यहाँ तक कि वह नमाज़ से फारिग हो गया। क्योंकि उसने इमाम के नमाज़ से फारिग होने तक उसके साथ क़ियाम कया है और एक शरई हित के लिए एक रकअत अधिक पढ़ी है ताकि उसकी वित्र रात के अंतिम हिस्से में हो। अतः इसमें कोई हरज और आपत्ति की बात नहीं है, और इसकी वजह से वह इमाम के साथ क़ियाम करने से बाहर नहीं निकलेगा, बल्कि उसने इमाम के साथ कियाम किया है, यहाँ तक कि वह फारिग हो गया, लेकिन वह उसके साथ फारिग नही हुआ है बल्कि थोड़ा विलंब कर दिया है।
स्रोत:
शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ की किताबः अल-जवाबुस्सहीह मिन अहकामि सलातिल्लैल वत्तरावीह, पृष्ठ: 541