यदि मोहरिम भूलकर एहराम की हालत में निषिद्ध चीज़ों में से कोई निषिद्ध चीज़ भूलकर या इस बात को न जानते हुए कि यह हराम है कोई निषिद्ध काम कर ले तो उसका क्या हुक्म है ॽ
जिस आदमी ने भूलकर या अज्ञानता में एहराम की हालत में निषिद्ध चीज़ों में से कोई निषिद्ध चीज़ कर लिया
प्रश्न: 36522
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हरप्रकार की प्रशंसाऔर गुणगान केवलअल्लाह के लिएयोग्य है।
शैखइब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाहने फरमाया :
यदिउसने भूलकर याअज्ञानता में एहरामकी हालत में निषिद्धचीज़ों में से कोईकाम कर लिया तोउसके ऊपर कोई चीज़नहीं है,किंतुउसके ऊपर अनिवार्ययह है कि वह मात्रउज़्र (कारण) के समाप्तहोते ही उस निषिद्धचीज़ को छोड़ दे, और अनिवार्ययह है कि भुलक्कड़को याद दिलायाजाए और अनजानेको शिक्षितकिया जाय।
इसकाउदाहरण यह है कि: यदि कोई आदमी भूलजाए और एहराम कीहालत में कपड़ापहन ले तो उसकेऊपर कोई चीज़ नहींहै, किंतुउसके याद आते हीउसके ऊपर अनिवार्यहै कि वह इस कपड़ेको उतार दे, इसी तरह यदिवह भूल जाए और अपनापायजामा न उतारे, फिर नीयत करनेऔर तल्बियह कहनेके बाद उसे यादआए, तो उसकेऊपर अनिवार्य यहहै कि वह अपने पायजामेको तुरंत उतारदे और उसके ऊपरकोई चीज़ अनिवार्यनहीं है।इसीतरह यदि वह अनजानाहै तो उसके ऊपरकोई चीज़ अनिवार्यनहीं है,उदाहरणके तौर पर यदि वहऐसा शर्ट पहन लेजिसमें सिलाई नहींहै, यह समझतेहुए कि हराम(निषिद्ध) केवलवह है जिसमें सिलाईहो तो उसके ऊपरकोई चीज़ अनिवार्यनहीं है,किंतुयदि उसे पता चलजाए की शर्ट यद्यपिउसमें सिलाई नहींहै फिर भी वह निषिद्धकपड़ों में से हैतो उसके ऊपर उसेनिकालना अनिवार्यहै।
इसबारे में सामान्यनियम यह है कि एहरामकी हालत में निषिद्धसभी चीज़ें यदिमनुष्य इन्हेंभूलकर, या अज्ञानतामें या जबरन करलेता है तो उसकेऊपर कोई चीज़ अनिवार्यनहीं है,क्योंकिअल्लाह तआला काफरमान है :
] رَبَّنَا لا تُؤَاخِذْنَا إِنْ نَسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا[ (البقرة:286)
“ऐ हमारेपालनहार, यदि हमभूल गए हों या हमसेगलती हो गई हो तोहमारी पकड़ न करना।”(सूरतुल बक़रा : 286)तो अल्लाह तआलाने फरमाया : मैंने स्वाकार करलिया।
तथा अल्लाहतआला का फरमानहै :
وليس عليكم جناح فيما أخطأتم به ولكنما تعمّدت قلوبكم وَكَانَاللَّهُ غَفُوراً رَحِيماً [ الأحزاب : 5 ]
“तुमसे भूल चूक से जोकुछ हो जाये उसमेंतुम पर कोई पापनहीं, परन्तुपाप वह है जिसकातुम दिल से निश्चयकरो, औरअल्लाह तआलाक्षमा करनेवाला बड़ा दयालूहै।”(सूरतुल अहज़ाब: 5)
तथाइसलिए कि अल्लाहतआला ने शिकारके बारे में फरमाया,और वह एहराम कीहालत में निषिद्धचीज़ों में से है:
ومن قتله منكم متعمداً [ المائدة : 95 ]
“औरतुम में से जोभी जान बूझ-करउसे मारे तोउसे फिद्यादेना है उसीके समान पालतूजानवर से जोउसने मारा है।”(सूरतुल माइदा: 95)
तथाइस बात के बीच कोईअंतर नहीं है किएहराम की हालतमें निषिद्ध चीज़कपड़े, खुश्बूइत्यादि में सेहै, या शिकारकरने, सिरका बाल मुँडानेइत्यादि में सेहै, यद्यपिकुछ विद्वानोंने इसके और उसकेबीच अंतर कियाहै, किंतुसही बात अंतर नकरना है,क्योंकियह उस निषिद्धकाम में से है जिसकेबारे में मनुष्यअज्ञानता,भूलचूकऔर बाध्य किए जानेके कारण क्षम्यसमझा जाता है।
स्रोत:
फतावा अरकानुल इस्लाम (पृ. 536 - 537)