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काबा को स्पर्श करना

प्रश्न: 36644

तवाफ के दौरान देखा जाता है कि कुछ लोग काबा की दीवार और उसके पर्दे, तथा मक़ाम इब्राहीम को स्पर्श करते हैं, तो इस काम का क्या हुक्म है ॽ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

इस प्रश्न को शैख उसैमीन रहिमहुल्लाह पर पेश किया गया तो उन्हों ने फरमाया :

“यह काम लोग करते हैं, इससे वे अल्लाह की निकटता प्राप्त करने और उसकी उपासना का इरादा रखते हैं, और हर वह काम जिस से आप अल्लाह की निकटता प्राप्त करना और उसकी उपासना करना चाहते हैं, और उसका शरीअत में कोई आधार नहीं है तो वह बिद्अत (नवाचार) है, उससे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सावधान किया है, आप ने फरमाया : “तुम दीन में नवाचार (नयी ईजाद कर ली गई चीज़ों) से बचो, क्योंकि हर बिद्अत गुमराही (पथ भ्रष्टता) है।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 2676) और अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4607) ने रिवायत किया है।

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहीं भी प्रमाणित नहीं है कि आप ने रूक्ने यमानी (काबा का यमन की ओर का कोना जो दक्षिणी दिशा में है) और हज्र अस्वद के सिवा कुछ और भी छुवा है।

इस आधार पर, अगर इंसान रूक्ने यमानी और हज्र अस्वद के अलावा काबा के किसी अन्य कोने या उसके किसी दिशा को छूता है तो वह बिद्अत करने वाला समझा जायेगा, तथा जब अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने मुआविया बिन अबू सुफयान रज़ियल्लाहु अन्हुमा को देखा कि वह दोनों उत्तरी कोनों को छूते हैं तो उन्हों ने उन्हें मना किया, तो मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु ने उनसे कहा : काबा की काई चीज़ छोड़ी जाने वाली नहीं है, तो इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने कहा : “तुम्हारे लिए अल्लाह के पैगंबर में सर्वश्रेष्ठ आदर्श है।” (सूरतुल अहज़ाब : 21). और मैं ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को दोनों यमनी कोनों अर्थात रूक्ने यमानी और हज्र अस्वद को स्पर्श करते हुए देखा है, चुनाँचे मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु इब्ने अब्बास की बात की ओर पलट गए।

तथा यह बात प्राथमिकता के साथ बिद्अत में दाखिल है जो कुछ लोग मक़ामे इब्राहीम को स्पर्श करते हैं, क्योंकि यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित नहीं है कि आप ने मक़ाम इब्राहीम के किसी दिशा को स्पर्श किया हो।

इसी तरह जो कुछ लोग ज़मज़म को स्पर्श करते, तथा बरामदे के खंभों – और वे उसमानी निर्माण के पुराने खंभे हैं -, और ये सारी चीज़ें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित नहीं हैं, अतः यह सब के सब बिद्अत है, और हर बिद्अत पथभ्रष्टता है।”

स्रोत

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

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