क्या दो जुर्राबों (मोज़ों) पर एक दूसरे के ऊपर मसह करना जाइज़ है ? और यदि ऐसा करना जाइज़ है और उसने मसह कर लिया किंतु उसने पहला मोज़ा निकाल दिया फिर उसका वुज़ू टूट गया तो क्या उसके लिए अब मसह करना जाइज़ है या नहीं ?
यदि एम मोज़े के ऊपर दूसरा मोज़ा या एक जुर्राब पर दूसरा जुर्राब पहन लें तो दोनों में से किस पर मसह किया जायेगा ?
प्रश्न: 36737
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवलअल्लाह के लिए योग्य है।
मनुष्य के लिए एक मोज़ेके ऊपर दूसरा मोज़ा और एक जुर्राब के ऊपर दूसरा जुर्राब पहनना जाइज़ है,यदि उसने ऊपर वाले मोज़े पर मसह किया – जिन हालतोंमें उन पर मसह करने की अनुमति है जैसाकि आगे आ रहा है – फिर उसे निकाल दिया,और उसका वुज़ू टूट गया,तो कुछ विद्वानों के कथन के अनुसार उसके लिएनीचे वाले मोज़े पर मसह करना जाइज़ है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाहने मोज़े के ऊपर मोज़ा या जुर्राब के ऊपर जुर्राब पहनने की हालतों का खुलासा किया हैजैसाकि निम्नलिखित है:
1- यदि आदमी ने मोज़ाया जुर्राब पहना, फिर उसका वुज़ू टूट गया,फिरउसने वुज़ू करने से पहले उसके ऊपर दूसरा मोज़ा पहन लिया, तो पहले मोज़े का हुक्म लागूहोगा। अर्थात् यदि वह इसके बाद मसह करने का इरादा करे तो पहले मोज़े पर मसह करेगा,उसके लिए ऊपर वाले मोज़े पर मसह करना जाइज़ नहीं है।
2- यदि आदमी ने कोई मोज़ाया जुर्राब पहना, फिर उसका वुज़ू टूट गया,और उसनेउस मोज़े पर मसह किया,फिर उसके ऊपर दूसरा मोज़ापहन लिया,तो सही कथन के अनुसारउसके लिए दूसरे मोज़े पर मसह करना जाइज़ है। “अल-फुरूअ़” के लेखक का कहना है: इमाम मालिक के अनुसार जाइज़ होने का कथनउचित है। (अंत) तथा नववी ने कहा: यही बात सब से स्पष्ट और पसंदीदा है क्योंकि उसनेउसे तहारत (वुज़ू) की हालत में पहना है। लोगों का यह कहना कि यह एक अपूर्ण पवित्रताहै, अस्वीकारनीय है। (नववी की बात का अंत हुआ) और जब हमने इस कथन को स्वीकार कर लियातो मसह करने की अवधि का आरंभ पहले मोज़े पर मसह करने से होगा। तथा उसके लिए इस स्थितिमें बिना किसी संदेह के पहले मोज़े पर भी मसह करना जाइज़ है।
3- यदि आदमी ने एक मोज़ेया जुर्राब पर दूसरा मोज़ा पहन लिया,और ऊपर वाले मोज़े परमसह किया,फिर उसे उतार दिया,तो क्या वह शेष अवधि भर नीचे वाले मोज़े पर मसहकर सकता है ? मैं किसी भी विद्वानको नहीं जानता जिसने इसको स्पष्ट रूप से वर्णन किया है, किंतु नववी ने अबुल अब्बासबिन सुरैज से वर्णन किया है कि यदि आदमी मोज़े पर जुर्राब को पहन लेता है तो उसके तीनअर्थ हैं, उन्हीं में से एक यह है कि : वे दोनों एक मोज़े के समान होंगे,ऊपर वाला मोज़ा प्रत्यक्ष है और नीचे वाला मोज़ापरोक्ष है। मैं कहता हूँ : और इस आधार पर नीचे वाले मोज़े पर मसह करना जाइज़ है यहाँतक कि ऊपर वाले मोज़े पर मसह करने की अवधि समाप्त हो जाये,जैसेकि यदि प्रत्यक्ष (ज़ाहिरी) मोज़े को खोल दिया जाये तो तोउसके बातिनी (अंदरूनी) हिस्से पर मसह किया जायेगा।
“फतावा अत्तहारा” (पृष्ठ : 192) से समाप्त हुआ।
जुरमूक़ : उस मोज़े कोकहते है जो आम मोज़े के ऊपर पहना जाता है, विशेष रूप से ठंडे देशों। “कश्शाफुल क़िना” (1/130)
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षमोज़े से अभिप्राय यह है कि जैसे कोई ऐसा मोज़ा हो जो दो परतों से बना हो,तो ऊपर वाले को प्रत्यक्ष और नीचे वाले को अप्रत्यक्षकहा जाता है। “अश्श्रहुल मुम्ते” (1 / 211)
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर